Sunday, April 19, 2015


जल्दी सोना और जल्दी उठना, इंसान को स्वस्थ, सम्रद्ध और बुद्धिमान बनाता है।




दुनिया के सबसे बड़े 7 डाक्टर 1- सुरज की किरणें 2- रोजाना रात 6/8 घंटे निंद 3- शुध्द शाकाहारी भोजन 4- हररोज व्यायाम. 5- खुदपर विश्वास 6- पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन 7- अच्छे दोस्त इन 7 बातोंको हमेशा अपने पास रखीये सभी दर्द दुर हो जायेंगे
  




सिर की खुश्की (Dryness of scalp) परिचय:- इस रोग के कारण सिर में रूसी हो जाती है जिसके कारण सिर में खुजली होने लगती है। सिर में खुश्की होने का कारण- सिर की सही तरीके से सफाई न करने के कारण सिर में गंदगी भर जाती है जिसके कारण सिर में खुश्की पैदा हो जाती है। सिर में खुश्की होने पर प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार- गुड़हल के फूल तथा पोदीने की पत्तियों को आपस में पीसकर इसमें थोड़ा सा पानी मिलाकर लेप बना लें। इस लेप को सप्ताह में कम से कम 2 बार आधे घण्टे के लिए सिर पर लगाना चाहिए ऐसा करने से बालों के कई प्रकार के रोग ठीक हो जाते हैं तथा सिर की खुश्की भी खत्म हो जाती है। सिर की खुश्की को दूर करने के लिए चुकन्दर के पत्तों का लगभग 80 मिलीलीटर रस सरसों के 150 मिलीलीटर तेल में मिलाकर आग पर पकाएं। जब पत्तों का रस सूख जाए तो इसे आग पर से उतार लें और ठंडा करके छानकर बोतल में भर लें। इस तेल से प्रतिदिन मालिश करने से रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है। सिर की खुश्की को दूर करने के लिए आंवले के चूर्ण को नींबू के रस में मिलाकर सिर में लगाना चाहिए। सिर की खुश्की तथा बालों के कई प्रकार के रोगों को दूर करने के लिए कई प्रकार के योगासन है जो इस प्रकार हैं- (सर्वांगासन, मत्स्यासन, शवासन तथा योगनिद्रा) सिर की खुश्की को दूर करने के लिए 1 लीटर पानी में 1 चम्मच चोकर तथा साबूदाना मिलाकर कुछ देर तक उबालना चाहिए। इसके बाद इस पानी को ठंडा करके दिन में 2 बार सिर को अच्छी तरह से धोना चाहिए। इसके बाद गहरे रंग की बोतल के सूर्यतप्त तेल से सिर की मालिश करने से सिर की खुश्की दूर हो जाती है। सिर की खुश्की को ठीक करने के लिए सबसे पहले रोगी को अपने पेट की सफाई करनी चाहिए और इसके बाद इस रोग का उपचार करना चाहिए। सिर की खुश्की से पीड़ित रोगी को कुछ दिनों तक चोकर युक्त आटे की रोटी, सब्जी, सलाद तथा फल और दूध का सेवन करके अपने शरीर के खून को शुद्ध करना चाहिए और इसके बाद इस रोग का उपचार करना चाहिए










 मोतियाबिंद से बचाव और उपचार जब आँख के लैंस की पारदर्शिता हल्की या समाप्त होने लगती है धुंधला दिखने लगता है तो उसे मोतियाबिंद कहते है । इस रोग में आँखों की काली पुतलियों में सफ़ेद मोती जैसा बिंदु उत्पन्न होता है जिससे व्यक्ति की आँखों की देखने की क्षमता कम हो जाती है ज्यादातर यह रोग 40 वर्ष के बाद होता है। मोतियाबिंद उम्र , मधुमेह, विटामिन या प्रोटीन की कमी , संक्रमण, सूजन या किसी चोट की वजह से भी सकता है । * मोतियाबिंद से बचाव के लिए सुबह जागने के बाद मुंह में ठंडा पानी भरकर पूरी आँखें खोलकर आंखों पर पानी के 8-10 बार छींटे मारें। * 1 चम्मच त्रिफला चूर्ण, आधा चम्मच देसी घी और 1 चम्मच शहद को मिला लें। इसे रोज सुबह खाली पेट ले। इससे मोतियाबिंद के साथ-साथ आंखों की कई दूसरी बीमारियों से भी बचाव होता है। * मोतियाबिंद से बचने और आँखों की रौशनी तेज करने लिए प्रतिदिन गाजर, संतरे, दूध और घी का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें। * एक बूंद प्याज का रस और एक बूंद शहद मिलाकर इसे काजल की तरह रोजाना आंख में लगाएं। आँखों की समस्या शीघ्र ही दूर होगी। * एक चम्मच घी, दो काली मिर्च और थोड़ी-सी मिश्री मिलाकर दिन में तीन बार इसका सेवन करें । * सौंफ और धनिया को बराबर मात्रा में लेकर उसमें हल्की भुनी हुई भूरी चीनी मिलाएं इसको एक एक चम्मच सुबह शाम सेवन करने से भी बहुत लाभ मिलता है। * 6 बादाम की गिरी और 6 दाने साबुत काली मिर्च पीसकर मिश्री के साथ सुबह पानी के साथ लेने पर भी मोतियाबिंद में लाभ मिलता है। * आँखोँ की तकलीफ में गाय के दूध का नियमित रूप से सेवन करना चाहिए । * गाजर, पालक, आंवलें के रस का सेवन करने से मोतियाबिंद 2-3 महीने में कटकर ख़त्म हो जाता है । * एक चम्मच पिसा हुआ धनिया एक कप पानी में उबाल कर छान लें ठंडा होने पर सुबह शाम आँखों में डाले इससे भी मोतियाबिंद में आराम मिलता है । * हल्दी मोतियाबिंद होने से रोकती है। हल्दी में करक्युमिन नामक रसायन होता है जो रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाता है और साइटोकाइन्स तथा एंजाइम्स को नियंत्रित करता है।इसलिए हल्दी का अधिक से अधिक सेवन करना चाहिए। * आंखों में मोतियाबिंद और रतौंधी हो जाने पर नीम के तेल को सलाई से आंखों में अंजन की तरह से लगाएं






 डीपोपुलेशन के लिए पोलियो ड्राप्स में sv40 नाम का कैन्सर वाइरस , नमक में आयोडीन और टीटी इंजेक्शन में anti-HCG antigen मिलाया जा रहा है ..इसका असर अभी नहीं दिखाई देगा ..आने वाली नेक्स्ट जेनेरेशन में केवल तीस प्रतिशत स्त्रियाँ ही संतान उत्पन्न कर सकेगी बाकि के सत्तर प्रतिशत बाँझपन से पीड़ित होगी ! ..गूगल कीजिये !






8 आदतों से सुधारें अपना घर : १) 👉:: अगर आपको कहीं पर भी थूकने की आदत है तो यह निश्चित है कि आपको यश, सम्मान अगर मुश्किल से मिल भी जाता है तो कभी टिकेगा ही नहीं . wash basin में ही यह काम कर आया करें ! २) 👉:: जिन लोगों को अपनी जूठी थाली या बर्तन वहीं उसी जगह पर छोड़ने की आदत होती है उनको सफलता कभी भी स्थायी रूप से नहीं मिलती.! बहुत मेहनत करनी पड़ती है और ऐसे लोग अच्छा नाम नहीं कमा पाते.! अगर आप अपने जूठे बर्तनों को उठाकर उनकी सही जगह पर रख आते हैं तो चन्द्रमा और शनि का आप सम्मान करते हैं ! ३) 👉:: जब भी हमारे घर पर कोई भी बाहर से आये, चाहे मेहमान हो या कोई काम करने वाला, उसे स्वच्छ पानी जरुर पिलाएं ! ऐसा करने से हम राहू का सम्मान करते हैं.! जो लोग बाहर से आने वाले लोगों को स्वच्छ पानी हमेशा पिलाते हैं उनके घर में कभी भी राहू का दुष्प्रभाव नहीं पड़ता.! ४) 👉:: घर के पौधे आपके अपने परिवार के सदस्यों जैसे ही होते हैं, उन्हें भी प्यार और थोड़ी देखभाल की जरुरत होती है.! जिस घर में सुबह-शाम पौधों को पानी दिया जाता है तो हम बुध, सूर्य और चन्द्रमा का सम्मान करते हुए परेशानियों से डटकर लड़ पाते हैं.! जो लोग नियमित रूप से पौधों को पानी देते हैं, उन लोगों को depression, anxiety जैसी परेशानियाँ जल्दी से नहीं पकड़ पातीं.! ५) 👉:: जो लोग बाहर से आकर अपने चप्पल, जूते, मोज़े इधर-उधर फैंक देते हैं, उन्हें उनके शत्रु बड़ा परेशान करते हैं.! इससे बचने के लिए अपने चप्पल-जूते करीने से लगाकर रखें, आपकी प्रतिष्ठा बनी रहेगी .. ६) 👉:: उन लोगों का राहू और शनि खराब होगा, जो लोग जब भी अपना बिस्तर छोड़ेंगे तो उनका बिस्तर हमेशा फैला हुआ होगा, सिलवटें ज्यादा होंगी, चादर कहीं, तकिया कहीं, कम्बल कहीं ? उसपर ऐसे लोग अपने पुराने पहने हुए कपडे तक फैला कर रखते हैं ! ऐसे लोगों की पूरी दिनचर्या कभी भी व्यवस्थित हीं रहती, जिसकी वजह से वे खुद भी परेशान रहते हैं और दूसरों को भी परेशान करते हैं.! इससे बचने के लिए उठते ही स्वयं अपना बिस्तर समेट दें.! ७)👉:: पैरों की सफाई पर हम लोगों को हर वक्त ख़ास ध्यान देना चाहिए, जो कि हम में से बहुत सारे लोग भूल जाते हैं ! नहाते समय अपने पैरों को अच्छी तरह से धोयें, कभी भी बाहर से आयें तो पांच मिनट रुक कर मुँह और पैर धोयें.! आप खुद यह पाएंगे कि आपका चिड़चिड़ापन कम होगा, दिमाग की शक्ति बढेगी और क्रोध धीरे-धीरे कम होने लगेगा.! ८) 👉:: रोज़ खाली हाथ घर लौटने पर धीरे-धीरे उस घर से लक्ष्मी चली जाती है और उस घर के सदस्यों में नकारात्मक या निराशा के भाव आने लगते हैं.! इसके विपरित घर लौटते समय कुछ न कुछ वस्तु लेकर आएं तो उससे घर में बरकत बनी रहती है.! उस घर में लक्ष्मी का वास होता जाता है.! हर रोज घर में कुछ न कुछ लेकर आना वृद्धि का सूचक माना गया है.! ऐसे घर में सुख, समृद्धि और धन हमेशा बढ़ता जाता है और घर में रहने वाले सदस्यों की भी तरक्की होती है.!








* जोड़-दर्द या घुटनों का दर्द या आर्थराइटिस एवं गठिया आदि के रोगोपचारों के बारे में इन आजमाए हुए अचूक नुस्खों को प्रयोग करे ...

* घुटनों में दर्द को कम करने के लिए गरम या ठंडे पेड से सिकाई की जरूरत हो सकती है|

* घुटनों में तीव्र पीड़ा होने पर आराम की सलाह डी जाती है ताकि दर्द और सूजन कम हो सके\ फिजियो थेरपी में चिकित्सक विभिन्न प्रक्रियाओं के द्वारा घुटनों के दर्द और सूजन को कम करने का प्रयास करते हैं...

* भोजन द्वारा इलाज के अंतर्गत रोजाना ३-४ खारक खाते रहने से घुटनों की शक्ति को बढ़ाया जा सकता है| अस्थियों को मजबूत बनाए रखने के लिए केल्शियम का सेवन करना उपकारी है| केल्शियम की ५०० एम् जी की गोली सुबह शाम लेते रहें| | दूध ,दही,ब्रोकली और मछली में पर्याप्त केल्शियम होता है|

* घुटनों के लचीलेपन को बढाने के लिए दाल चीनी,जीरा,अदरक और हल्दी का उपयोग उत्तम फलकारी है| इन पदार्थों में ऐसे तत्त्व पाए जाते हैं जो घुटनों की सूजन और दर्द का निवारण करते हैं|

* मैथी दाने, सौंठ और हल्दी समान मात्रा में मिलाकर, पीसकर नित्य सुबह-शाम भोजन करने के बाद गरम पानी से, दो-दो चम्मच फ़की लेने से लाभ होता है.

* रोज सुबह भूखे पेट एक चम्मच कुटे हुए मैथी दाने में 1 ग्राम कलौंजी मिलाकर एक बार फाँकी लें.

* मैथी दाने हमेशा सुबह खाली पेट जबकि दोपहर और रात में खाना खाने के बाद, आधा चम्मच मात्रा, पानी के साथ फाँकने से सभी जोड़ मजबूत रहेंगे और जोड़ों में किसी भी प्रकार का दर्द कभी नहीं होगा.

* हल्दी-चूर्ण, गुड़, मैथी दाना पाऊडर और पानी सामान मात्रा में मिलाकर, गरम करके इनका लेप, रात को घुटनों पर करें व पट्टी बाँधकर रातभर बंधे रहने दें. सुबह पट्टी हटा कर साफ कर लें. कुछ ही दिनों में जबरदस्त फायदा महसूस होने लग जाएगा.

* अलसी के दानों के साथ 2 अखरोट की मिगी सेवन करने से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है.

* मैथी के लड्डू खाने से हाथ-पैर और जोड़ों के दर्दो में आराम मिलता है.

* अँकुरित मैथी दाने खाएँ और उसके खाने के बाद आधे घंटे तक कुछ न खाएँ.

* 30 की उम्र के बाद मैथी दाने की फाँकी लेने से शरीर के जोड़ मजबूत बने रहते हैं तथा बुढ़ापे तक मधुमेह, ब्लड प्रेशर और गठिया जैसे रोगों से बचाव होता है.

* मैथी दानों को तवे या कढ़ाही में गुलाबी होने तक सेकें. ठंडा होने पर पीस लें. रोज सुबह खाली पेट आधा चम्मच, एक गिलास पानी के साथ लें.

* मैथी दानों को दरदरा कूटकर सर्दियों में 2 चम्मच और गर्मी में एक चम्मच की फाँकी सुबह-सुबह खाली पेट पानी के साथ लें.

* नीम का तेल एवं अरंडी का तेल बराबर मात्रा में मिलाकर सुबह-शाम इसकी मालिश कीजिए.

* अगर कैल्शियम की कमी से जोड़ों का दर्द हो तो खाने वाला चूना खाईए. गेंहू के दाने के आकार का चूना दही या दूध में घोल कर दिन में एक बार के हिसाब से, 90 दिन तक लीजिए. ध्यान रखें 90 दिन से अधिक नहीं लेना है.

* अगर घुटनों की चिकनाई ख़तम हुई हो गई हो और जोड़ो के दर्द में किसी भी प्रकार की दवा से आराम ना मिलता हो तो ऐसे लोग हारसिंगार (पारिजात) पेड़ के 12 पत्तों को कूटकर 1 गिलास पानी में उबालें. जब पानी एक चौथाई बच जाए तो बिना छाने ही ठंडा करके पी लें. 90 दिन में चिकनाई पूरी तरह वापिस बन जाएगी. अगर कुछ कमी रह जाए तो 1 महीने का अंतर देकर फिर से 90 दिन तक इसी क्रम को दोहराएँ. निश्चित लाभ की प्राप्ति होती है.

* गाजर में जोड़ों में दर्द को दूर करने के गुण मौजूद हैं |चीन में सैंकडों वर्षों से गाजर का इस्तेमाल संधिवात पीड़ा के लिए किया जाता रहा है| गाजर को पीस लीजिए और इसमें थोड़ा सा नीम्बू का रस मिलाकर रोजाना खाना उचित है| यह घुटनों के लिगामेंट्स का पोषण कर दर्द निवारण का काम करता है|

* मैथी के बीज संधिवात की पीड़ा निवारण करते हैं| एक चम्मच मैथी बीज रात भर साफ़ पानी में गलने दें | सुबह पानी निकाल दें और मैथी के बीज अच्छी तरह चबाकर खाएं| शुरू में तो कुछ कड़वा लगेगा लेकिन बाद में कुछ मिठास प्रतीत होगी| भारतीय चिकित्सा में मैथी बीज की गर्म तासीर मानी गयी है| यह गुण जोड़ों के दर्द दूर करने में मदद करता है|

* प्याज अपने सूजन विरोधी गुणों के कारण घुटनों की पीड़ा में लाभकारी हैं| दर असल प्याज में फायटोकेमीकल्स पाए जाते हैं जो हमारे इम्यून सिस्टम को ताकतवर बनाते हैं| प्याज में पाया जाने वाला गंधक जोड़ों में दर्द पैदा करने वाले एन्जाईम्स की उत्पत्ति रोकता है| एक ताजा रिसर्च में पाया गया है कि प्याज में मोरफीन की तरह के पीड़ा नाशक गुण होते हैं|


* गरम तेल से हल्की मालिश करना घुटनों के दर्द में बेहद उपयोगी है| एक बड़ा चम्मच सरसों के तेल में लहसुन की २ कुली पीसकर डाल दें | इसे गरम करें कि लहसुन भली प्रकार पक जाए| आच से उतारकर मामूली गरम हालत में इस तेल से घुटनों या जोड़ों की मालिश












रोगप्रतिकारक शक्ति बनाये रखने के उपाय व सावधानियाँ💫
1- 90 प्रतिशत रोग केवल पेट से होते हैं। पेट में कब्ज नहीं रहना चाहिए। अन्यथा रोगों की कभी कमी नहीं रहेगी।
2- कुल 13 असाधारणीय शारीरिक वेग होते हैं । उन्हें रोकना नहीं चाहिए ।।
3-160 रोग केवल मांसाहार से होते है
4- 103 रोग भोजन के बाद जल पीने से होते हैं। भोजन के 1 घंटे बाद ही जल पीना चाहिये।
5- 80 रोग चाय पीने से होते हैं।
6- 48 रोग ऐलुमिनियम के बर्तन या कुकर के खाने से होते हैं।
7- शराब, कोल्डड्रिंक और चाय के सेवन से हृदय रोग होता है।
8- अण्डा खाने से हृदयरोग, पथरी और गुर्दे खराब होते हैं।
9- ठंडेजल (फ्रिज)और आइसक्रीम से बड़ीआंत सिकुड़ जाती है।
10- मैगी, गुटका, शराब, सूअर का माँस, पिज्जा, बर्गर, बीड़ी, सिगरेट, पेप्सी, कोक से बड़ी आंत सड़ती है।
11- भोजन के पश्चात् स्नान करने से पाचनशक्ति मन्द हो जाती है और शरीर कमजोर हो जाता है।
12- बाल रंगने वाले द्रव्यों(हेयरकलर) से आँखों को हानि (अंधापन भी) होती है।
13- दूध(चाय) के साथ नमक (नमकीन पदार्थ) खाने से चर्म रोग हो जाता है।
14- शैम्पू, कंडीशनर और विभिन्न प्रकार के तेलों से बाल पकने, झड़ने और दोमुहें होने लगते हैं।
15- गर्म जल से स्नान से शरीर की प्रतिरोधक शक्ति कम हो जाती है और शरीर कमजोर हो जाता है। गर्म जल सिर पर डालने से आँखें कमजोर हो जाती हैं।
16- टाई बांधने से आँखों और मस्तिश्क हो हानि पहुँचती है।
17- खड़े होकर जल पीने से घुटनों(जोड़ों) में पीड़ा होती है।
18- खड़े होकर मूत्रत्याग करने से रीढ़ की हड्डी को हानि होती है।
19- भोजन पकाने के बाद उसमें नमक डालने से रक्तचाप (ब्लडप्रेशर) बढ़ता है।
20- जोर लगाकर छींकने से कानों को क्षति पहुँचती है।
21- मुँह से साँस लेने पर आयु कम होती है।
22- पुस्तक पर अधिक झुकने से फेफड़े खराब हो जाते हैं और क्षय(टीबी) होने का डर रहता है।
23- चैत्र माह में नीम के पत्ते खाने से रक्त शुद्ध हो जाता है मलेरिया नहीं होता है।
24- तुलसी के सेवन से मलेरिया नहीं होता है।
25- मूली प्रतिदिन खाने से व्यक्ति अनेक रोगों से मुक्त रहता है।
26- अनार आंव, संग्रहणी, पुरानी खांसी व हृदय रोगों के लिए सर्वश्रेश्ठ है।
27- हृदयरोगी के लिए अर्जुनकी छाल, लौकी का रस, तुलसी, पुदीना, मौसमी, सेंधा नमक, गुड़, चोकरयुक्त आटा, छिलकेयुक्त अनाज औशधियां हैं।
28- भोजन के पश्चात् पान, गुड़ या सौंफ खाने से पाचन अच्छा होता है। अपच नहीं होता है।
29- अपक्व भोजन (जो आग पर न पकाया गया हो) से शरीर स्वस्थ रहता है और आयु दीर्घ होती है।
30- मुलहठी चूसने से कफ बाहर आता है और आवाज मधुर होती है।
31- जल सदैव ताजा (चापाकल, कुएं आदि का) पीना चाहिये, बोतलबंद (फ्रिज) पानी बासी और अनेक रोगों के कारण होते हैं।
32- नीबू गंदे पानी के रोग (यकृत, टाइफाइड, दस्त, पेट के रोग) तथा हैजा से बचाता है।
33- चोकर खाने से शरीर की प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है। इसलिए सदैव गेहूं मोटा ही पिसवाना चाहिए।
34- फल, मीठा और घी या तेल से बने पदार्थ खाकर तुरन्त जल नहीं पीना चाहिए।
35- भोजन पकने के 48 मिनट के अन्दर खा लेना चाहिए । उसके पश्चात् उसकी पोशकता कम होने लगती है। 12 घण्टे के बाद पशुओं के खाने लायक भी नहीं रहता है।।
36- मिट्टी के बर्तन में भोजन पकाने से पोशकता 100% कांसे के बर्तन में 97% पीतल के बर्तन में 93% अल्युमिनियम के बर्तन और प्रेशर कुकर में 7-13% ही बचते हैं।
37- गेहूँ का आटा 15 दिनों पुराना और चना, ज्वार, बाजरा, मक्का का आटा 7 दिनों से अधिक पुराना नहीं प्रयोग करना चाहिए।
38- मनष्य को मैदे से बनीं वस्तुएं (बिस्कुट, ब्रेड, पीज़ा समोसा आदि)
कभी भी नहीं खाना चाहिए।
39- खाने के लिए सेंधा नमक सर्वश्रेष्ठ होता है उसके बाद काला नमक का स्थान आता है। सफेद नमक जहर के समान होता है।
40- जल जाने पर आलू का रस, हल्दी, शहद, घृतकुमारी में से कुछ भी लगाने पर जलन ठीक हो जाती है और फफोले नहीं पड़ते।
41- सरसों, तिल,मूंगफली या नारियल का तेल ही खाना चाहिए। देशी घी ही खाना चाहिए है। रिफाइंड तेल और
वनस्पति घी (डालडा) जहर होता है।
42- पैर के अंगूठे के नाखूनों को सरसों तेल से भिगोने से आँखों की खुजली लाली और जलन ठीक हो जाती है।
43- खाने का चूना 70 रोगों को ठीक करता है।
44- चोट, सूजन, दर्द, घाव, फोड़ा होने पर उस पर 5-20 मिनट तक चुम्बक रखने से जल्दी ठीक होता है।
हड्डी टूटने पर चुम्बक का प्रयोग करने से आधे से भी कम समय में ठीक होती है।
45- मीठे में मिश्री, गुड़, शहद, देशी (कच्ची) चीनी का प्रयोग करना चाहिए सफेद चीनी जहर होता है।
46- कुत्ता काटने पर हल्दी लगाना चाहिए।
47-बर्तन मिटटी के ही परयोग करन चाहिए।
48- टूथपेस्ट और ब्रश के स्थान पर दातून और मंजन करना चाहिए दाँत मजबूत रहेंगे ।
(आँखों के रोग में दातून नहीं करना)
49- यदि सम्भव हो तो सूर्यास्त के पश्चात् न तो पढ़े और लिखने का काम तो न ही करें तो अच्छा है ।
50- निरोग रहने के लिए अच्छी नींद और अच्छा(ताजा) भोजन अत्यन्त आवश्यक है।
51- देर रात तक जागने से शरीर की प्रतिरोधक शक्ति कमजोर हो जाती है। भोजन का पाचन भी ठीक से नहीं हो पाता है आँखों के रोग भी होते हैं।
52- प्रातः का भोजन राजकुमार के समान, दोपहर का राजा और देर रात्रि का भिखारी के
समान ।
आपने पढ़ा अब आगे ओर सब भी पढ़ें ऐसा कुछ करें ।











🌅 कमर दर्द व स्लिप डिस्क 🌅

  - कुछ भाई/बहनों का मानना है कि मै लम्बी पोस्ट लिखता हूँ , इसलिए लोग पढ़ते नहीं । मेरा मानना है कि हर लेख सबके लिए नहीं होती है । जब मुफ्त में किसी को कोई सलाह दिया जाए तो उसकी अहमियत नहीं होती है । जब हमें कमर-दर्द नहीं है तब मुझे इसकी जरुरी महसूस नहीं होगी , लेकिन मै अपने विषय में नहीं सोचता कि मुझे कमर दर्द है तो ही मै पढूं मेरा मानना है यह स्वास्थ्य के लिए है तो इसे पढूं और दूसरों को भी बताऊँ ।

   - आज हमारे गलत खानपान और गलत दिनचर्या के कारण अनेक विमारियों हो रही है , जहाँ पहले के लोग बैलगाड़ी , पैदल आदि से इतनी यात्रायें करते थे कि उन्हें कभी कमर-दर्द  नहीं होते थे ।

   - जब हम स्पाईनल सिस्टम कमजोर होता है तो कमर-दर्द , सर्वाइकल , स्लिपडिस्क , माइग्रेन आदि तरह-तरह के रोग हो रहे जो वर्षो पूर्व नहीं थे ।

   - कमर दर्द की वजह से आपको बड़ी परेशानी होती है जिसकी वजह से आपका बैठना या खड़ा रह पाना मुशकिल हो जाता है।

 - कमर दर्द की इस वजह से मांसपेशियों में तनाव आ जाता है और दर्द तेज होने लगता है।

कमर दर्द से ज्यादातर महिलाएं परेशान रहती है लेकिन अक्सर देखा गया है जो पुरूष बैठकर काम करते हैं उन्हें भी कमर दर्द की परेशानी होती है।

कमर दर्द के कारण -

कमर दर्द से परेशान वे लोग ज्यादा होते हैं जो भारी सामान को उठा लेते हैं, या फिर उठाते रहते हैं उन्हें कमर दर्द की परेशानी ज्यादा होती है।

ज्यादा देर तक ठंडे पानी में भीगने से भी कमर दर्द होता है महिलाओं में कमर दर्द का कारण उनका वजन बढ़ना, मासिक धर्म, और श्वेत प्रदर आदि होता है।

आयुर्वेद के अनुसार कमर दर्द की मुख्य वजह है देर रात तक जागना, किसी कठोर सीट पर बैठने से, अधिक ठंडा पानी पीने से, गलत तरीके से बैठने से ,  कमर पर किसी तरह की चोट लगने से, या अति मैथुन करने से कमर दर्द होता है।

कमर दर्द में अपनाएं ये घरेलू उपाय -

सुरजना फली का सेवन करना कमर दर्द में उपयोगी माना गया है, कुछ दिनों तक नियमित रूप से फली का सेवन करने से कमर दर्द की पीड़ा में राहत मिलती है।

सुबह शाम दिन में दो बार दो-दो छुहारे खाते रहें  ऐसा नियमित कुछ दिनों तक करने से कमर दर्द में राहत मिलती है।

देशी गाय के घी में अदरक का रस मिलाकर पीते रहें, कुछ दिनों तक सेवन करने से कमर दर्द की शिकायत दूर हो जाती है।

मेथी का प्रयोग खाने में करते रहने से भी कमर दर्द में राहत मिलती है मेथी के लडुओं को सेवन नियमित करते रहने से कमर दर्द नहीं होता।

यदि कमर में दर्द अधिक है तो आप मेथी के तेल , तिल के तेल को हल्का गर्म करके मालिश करने से कमर दर्द में  जरूर करें लाभ मिलेगा।

200 ग्राम दूध में 5 ग्राम एरंड की गिरी को पकाकर, दिन में दो बार सेवन करने से कमर दर्द की पीड़ा जल्दी ठीक हो जाती है।

कमर दर्द में कच्चे आलू की पुल्टिस बांधने से कमर से संबंधित दर्द समाप्त हो जाता है लेकिन नियमित इस का प्रयोग करेगें तभी।

गेहूं की बनी रोटी जो एक ओर से नहीं सिकी हो उस पर तिल के तेल को चुपड़कर कमर दर्द वाली जगह पर रखने से कमर दर्द जल्दी ठीक होता है।

गरम पट्टी को कमर पर बांधने से कमर दर्द मे राहत मिलती है, आप गरम पानी में थोड़ा सेंधा नमक डालकर नहाने से भी कमर और पीठ दर्द में राहत मिलती है।

कमर दर्द से परेशान होने की जरूरत नहीं है आप इन कारगर घरेलू उपायों के जरिए कमर दर्द से छुटकारा पा सकते हैं लेकिन इसके साथ ही आपको व्यायाम की जरूरत भी है।

कमर दर्द और मासपेशियों के दर्द के लिए लाल तेल :-

प्रत्येक घर में किसी न किसी को कमर दर्द जोड़ो में दर्द मसल्स में खिचाव आदि की समस्या हो ही जाती है ऐसे में तुरंत उपचार के लिए मार्केट में available तरह तरह के जेल और ऑइंटमेंट ही फौरी समाधान के लिए नजर आते है लेकिन अधिकतर के अपने साइड इफेक्ट भी है है और अगर लम्बे समय तक प्रयोग करना हो तो जेब पर भी भारी पड़ते है . क्यों न एक आयल घर पर ही बना लिया जाये जो तुरंत राहत तो दे ही उपचार भी करे ...

सामग्री--- तिल का तेल 300 ml , तारपीन का तैल 100 ml , लहसुन छिले 60 ग्राम , रतनजोत पाउडर 20 ग्राम , पुदीना सत्त्व 15 ग्राम अजवाइन सत्व 15 ग्राम , देशी कपूर 20 ग्राम हल्दी पाउडर 5 ग्राम

विधि- सर्वप्रथम पुदीना सत्व, अजवाइन सत्व व कपूर इन तीनों को एक साफ कांच की शीशी में डालकर हिलाकर रख दें। 2-3 घटें में तीनों वस्तुए आपस में मिलकर लिक्विड हो जाएगी। इसे ‘‘ अमृत धारा ‘‘ कहते है। इसे व तारपीन के तैल को अलग रख दें ।

अब कढाही में तिल का तैल गर्म करें और इसमें लहसुन की कलियां कुचल कर डाल दें। इसे इतना भूनें की लहसुन काला पड़ जाए। अब आंच आंच बंद कर इस गरम तेल में ही रतनजोत और हल्दी पाउडर डाल दें तथा कलछी से धीरे धीरे हिलाएं . ठण्डा होने पर इसे मसल कर कपड़े से तेल छान लें। अब इस तेल में अमृत धारा और तारपीन का तैल मिला दें। मालिश के लिए तैल तैयार है।

सावधानी- तैल बनाते समय ध्यान रखें कि अमृत धारा व तारपीन तैल अन्त में तैल छानने के बाद व ठण्डा होने पर मिलाना है।

 - अब आपके लिए उन नुस्खो को बता रहा हूँ जो आपके स्लिप-डिस्क को भी ठीक करेंगे । सूर्य जल चिकित्सा , प्राकृतिक चिकित्सा , पुल्तिश द्वारा  इसका इलाज है ।

१.  पहले 50 ग्राम चावल को भिगो ले थोडा मुलायम होने पर 20 ग्राम राई के साथ इसे पीसकर इसकी पुल्टिस को डिस्क के ऊपर 4 इंच चौड़ा लेप कर दें डेढ़ से दो घंटे बाद उतार दें , यदि जलन हो तो तेल लगा लें । ऐसा कम से दिन में दो बार या एक बार 15 दिनों तक करें निश्चित आराम मिलेगा ।

२. सहिजल के जड़ की छाल , निर्गुन्डी की जड़ को बराबर मात्रा में मिलाकर ऊपर वाली विधि से लेप करे निश्चित आराम होगा ।

३. सिरस की पत्ती एक मुट्ठी लगभग 50 ग्राम + 2 चम्मच अजवाइन लेकर प्राकृतिक चिकित्सा विधि से भाप के द्वारा सिकाई करना है ।

४. पिठुवन की छाल सर्वाइकल के लिए प्रयोग होता है ।

* उपरोक्त चरों विधि वैज्ञानिक डा पवन वर्मा जी ने बताई जो मानव मंदिर कानपुर में शोध में कार्यरत हैं । डा पवन वर्मा जी ने ऐसे अनेक पुल्तिश से शोध किया है । उनके पास ऐसे भी सर्वाइकल के रोगी आते है जो पूर्ण अपाहिज होते है और बोलते है डाक्टर साहब जिन्दगी से ऊब चूका हूँ अब आप जहर दे दीजिये। मै डाक्टर पवन वर्मा जी दिल से धन्यवाद करता हूँ ।
आप गूगल पर भी मानव मंदिर डाल कर देख सकते हैं ।
साथ ही सीधे खड़े होने और सीधे बैठने की आदत को डालें।


🌷 भारतीय नारी संजीवनी 🌷















अपनी भारत की संस्कृति
को पहचाने.
ज्यादा से ज्यादा
लोगो तक पहुचाये. खासकर अपने बच्चो को बताए क्योकि ये बात उन्हें कोई नहीं बताएगा...

📜😇( ०१ )    दो पक्ष-

कृष्ण पक्ष ,
शुक्ल पक्ष !

📜😇( ०२ )    तीन ऋण -

देव ऋण ,
पितृ ऋण ,
ऋषि ऋण !

📜😇( ०३ )    चार युग -

सतयुग ,
त्रेतायुग ,
द्वापरयुग ,
कलियुग !

📜😇( ०४ )    चार धाम -

द्वारिका ,
बद्रीनाथ ,
जगन्नाथ पुरी ,
रामेश्वरम धाम !

📜😇( ०५ )   चारपीठ -

शारदा पीठ ( द्वारिका )
ज्योतिष पीठ ( जोशीमठ बद्रिधाम )
गोवर्धन पीठ ( जगन्नाथपुरी ) ,
शृंगेरीपीठ !

📜😇( ०६ )   चार वेद-

ऋग्वेद ,
अथर्वेद ,
यजुर्वेद ,
सामवेद !

📜😇( ०७ )   चार आश्रम -

ब्रह्मचर्य ,
गृहस्थ ,
वानप्रस्थ ,
संन्यास !

📜😇( ०८ )   चार अंतःकरण -

मन ,
बुद्धि ,
चित्त ,
अहंकार !

📜😇( ०९ )   पञ्च गव्य -

गाय का घी ,
दूध ,
दही ,
गोमूत्र ,
गोबर !

📜😇( १० )   पञ्च देव -

गणेश ,
विष्णु ,
शिव ,
देवी ,
सूर्य !

📜😇( ११ )   पंच तत्त्व -

पृथ्वी ,
जल ,
अग्नि ,
वायु ,
आकाश !

📜😇( १२ )   छह दर्शन -

वैशेषिक ,
न्याय ,
सांख्य ,
योग ,
पूर्व मिसांसा ,
दक्षिण मिसांसा !

📜😇( १३ )   सप्त ऋषि -

विश्वामित्र ,
जमदाग्नि ,
भरद्वाज ,
गौतम ,
अत्री ,
वशिष्ठ और कश्यप!

📜😇( १४ )   सप्त पुरी -

अयोध्या पुरी ,
मथुरा पुरी ,
माया पुरी ( हरिद्वार ) ,
काशी ,
कांची
( शिन कांची - विष्णु कांची ) ,
अवंतिका और
द्वारिका पुरी !

📜😇( १५ )   आठ योग -

यम ,
नियम ,
आसन ,
प्राणायाम ,
प्रत्याहार ,
धारणा ,
ध्यान एवं
समािध !

📜😇( १६ )   आठ लक्ष्मी -

आग्घ ,
विद्या ,
सौभाग्य ,
अमृत ,
काम ,
सत्य ,
भोग ,एवं
योग लक्ष्मी !

📜😇( १७ )   नव दुर्गा --

शैल पुत्री ,
ब्रह्मचारिणी ,
चंद्रघंटा ,
कुष्मांडा ,
स्कंदमाता ,
कात्यायिनी ,
कालरात्रि ,
महागौरी एवं
सिद्धिदात्री !

📜😇( १८ )   दस दिशाएं -

पूर्व ,
पश्चिम ,
उत्तर ,
दक्षिण ,
ईशान ,
नैऋत्य ,
वायव्य ,
अग्नि
आकाश एवं
पाताल !

📜😇( १९ )   मुख्य ११ अवतार -

 मत्स्य ,
कच्छप ,
वराह ,
नरसिंह ,
वामन ,
परशुराम ,
श्री राम ,
कृष्ण ,
बलराम ,
बुद्ध ,
एवं कल्कि !

📜😇( २० )   बारह मास -

चैत्र ,
वैशाख ,
ज्येष्ठ ,
अषाढ ,
श्रावण ,
भाद्रपद ,
अश्विन ,
कार्तिक ,
मार्गशीर्ष ,
पौष ,
माघ ,
फागुन !

📜😇( २१ )   बारह राशी -

मेष ,
वृषभ ,
मिथुन ,
कर्क ,
सिंह ,
कन्या ,
तुला ,
वृश्चिक ,
धनु ,
मकर ,
कुंभ ,
कन्या !

📜😇( २२ )   बारह ज्योतिर्लिंग -

सोमनाथ ,
मल्लिकार्जुन ,
महाकाल ,
ओमकारेश्वर ,
बैजनाथ ,
रामेश्वरम ,
विश्वनाथ ,
त्र्यंबकेश्वर ,
केदारनाथ ,
घुष्नेश्वर ,
भीमाशंकर ,
नागेश्वर !

📜😇( २३ )   पंद्रह तिथियाँ -

प्रतिपदा ,
द्वितीय ,
तृतीय ,
चतुर्थी ,
पंचमी ,
षष्ठी ,
सप्तमी ,
अष्टमी ,
नवमी ,
दशमी ,
एकादशी ,
द्वादशी ,
त्रयोदशी ,
चतुर्दशी ,
पूर्णिमा ,
अमावास्या !

📜😇( २४ )   स्मृतियां -

मनु ,
विष्णु ,
अत्री ,
हारीत ,
याज्ञवल्क्य ,
उशना ,
अंगीरा ,
यम ,
आपस्तम्ब ,
सर्वत ,
कात्यायन ,
ब्रहस्पति ,
पराशर ,
व्यास ,
शांख्य ,
लिखित ,
दक्ष ,
शातातप ,
वशिष्ठ !
















जैविक घड़ी पर आधारित शरीर की दिनचर्या 🌿-----

🍃प्रातः 3 से 5 – इस समय जीवनीशक्ति विशेष रूप से फेफड़ो में होती है। थोड़ा गुनगुना पानी पीकर खुली हवा में घूमना एवं प्राणायाम करना । इस समय दीर्घ श्वसन करने से फेफड़ों की कार्यक्षमता खूब विकसित होती है। उन्हें शुद्ध वायु (आक्सीजन) और ऋण आयन विपुल मात्रा में मिलने से शरीर स्वस्थ व स्फूर्तिमान होता है। ब्रह्म मुहूर्त में उठने वाले लोग बुद्धिमान व उत्साही होते है, और सोते रहनेवालो का जीवन निस्तेज हो जाता है ।

🍃प्रातः 5 से 7 – इस समय जीवनीशक्ति विशेष रूप से आंत में होती है। प्रातः जागरण से लेकर सुबह 7 बजे के बीच मल-त्याग एवं स्नान का लेना चाहिए । सुबह 7 के बाद जो मल – त्याग करते है उनकी आँतें मल में से त्याज्य द्रवांश का शोषण कर मल को सुखा देती हैं। इससे कब्ज तथा कई अन्य रोग उत्पन्न होते हैं।

🍃प्रातः 7 से 9 – इस समय जीवनीशक्ति विशेष रूप से आमाशय में होती है। यह समय भोजन के लिए उपर्युक्त है । इस समय पाचक रस अधिक बनते हैं। भोजन के बीच –बीच में गुनगुना पानी (अनुकूलता अनुसार ) घूँट-घूँट पिये।

🍃प्रातः 11 से 1 – इस समय जीवनीशक्ति विशेष रूप से हृदय में होती है। दोपहर 12 बजे के आस–पास मध्याह्न – संध्या (आराम ) करने की हमारी संस्कृति में विधान है। इसीलिए भोजन वर्जित है । इस समय तरल पदार्थ ले सकते है। जैसे मट्ठा पी सकते है। दही खा सकते है ।

🍃दोपहर 1 से 3 - इस समय जीवनीशक्ति विशेष रूप से छोटी आंत में होती है। इसका कार्य आहार से मिले पोषक तत्त्वों का अवशोषण व व्यर्थ पदार्थों को बड़ी आँत की ओर धकेलना है। भोजन के बाद प्यास अनुरूप पानी पीना चाहिए । इस समय भोजन करने अथवा सोने से पोषक आहार-रस के शोषण में अवरोध उत्पन्न होता है व शरीर रोगी तथा दुर्बल हो जाता है ।

🍃दोपहर 3 से 5 - इस समय जीवनीशक्ति विशेष रूप से मूत्राशय में होती है । 2-4 घंटे पहले पिये पानी से इस समय मूत्र-त्याग की प्रवृति होती है।

🍃शाम 5 से 7 - इस समय जीवनीशक्ति विशेष रूप से गुर्दे में होती है । इस समय हल्का भोजन कर लेना चाहिए । शाम को सूर्यास्त से 40 मिनट पहले भोजन कर लेना उत्तम रहेगा। सूर्यास्त के 10 मिनट पहले से 10 मिनट बाद तक (संध्याकाल) भोजन न करे। शाम को भोजन के तीन घंटे बाद दूध पी सकते है । देर रात को किया गया भोजन सुस्ती लाता है यह अनुभवगम्य है।

🍃रात्री 7 से 9 - इस समय जीवनीशक्ति विशेष रूप से मस्तिष्क में होती है । इस समय मस्तिष्क विशेष रूप से सक्रिय रहता है । अतः प्रातःकाल के अलावा इस काल में पढ़ा हुआ पाठ जल्दी याद रह जाता है । आधुनिक अन्वेषण से भी इसकी पुष्टी हुई है।

🍃रात्री 9 से 11 - इस समय जीवनीशक्ति विशेष रूप से रीढ़ की हड्डी में स्थित मेरुरज्जु में होती है। इस समय पीठ के बल या बायीं करवट लेकर विश्राम करने से मेरूरज्जु को प्राप्त शक्ति को ग्रहण करने में मदद मिलती है। इस समय की नींद सर्वाधिक विश्रांति प्रदान करती है । इस समय का जागरण शरीर व बुद्धि को थका देता है । यदि इस समय भोजन किया जाय तो वह सुबह तक जठर में पड़ा रहता है, पचता नहीं और उसके सड़ने से हानिकारक द्रव्य पैदा होते हैं जो अम्ल (एसिड) के साथ आँतों में जाने से रोग उत्पन्न करते हैं। इसलिए इस समय भोजन करना खतरनाक है।

🍃रात्री 11 से 1 - इस समय जीवनीशक्ति विशेष रूप से पित्ताशय में होती है । इस समय का जागरण पित्त-विकार, अनिद्रा , नेत्ररोग उत्पन्न करता है व बुढ़ापा जल्दी लाता है । इस समय नई कोशिकाएं बनती है ।

🍃रात्री 1 से 3 - इस समय जीवनीशक्ति विशेष रूप से लीवर में होती है । अन्न का सूक्ष्म पाचन करना यह यकृत का कार्य है। इस समय का जागरण यकृत (लीवर) व पाचन-तंत्र को बिगाड़ देता है । इस समय यदि जागते रहे तो शरीर नींद के वशीभूत होने लगता है, दृष्टि मंद होती है और शरीर की प्रतिक्रियाएं मंद होती हैं। अतः इस समय सड़क दुर्घटनाएँ अधिक होती हैं।

🍃नोट :-- 🍃ऋषियों व आयुर्वेदाचार्यों ने बिना भूख लगे भोजन करना वर्जित बताया है। अतः प्रातः एवं शाम के भोजन की मात्रा ऐसी रखे, जिससे ऊपर बताए भोजन के समय में खुलकर भूख लगे। जमीन पर कुछ बिछाकर सुखासन में बैठकर ही भोजन करें। इस आसन में मूलाधार चक्र सक्रिय होने से जठराग्नि प्रदीप्त रहती है। कुर्सी पर बैठकर भोजन करने में पाचनशक्ति कमजोर तथा खड़े होकर भोजन करने से तो बिल्कुल नहींवत् हो जाती है। इसलिए ʹबुफे डिनरʹ से बचना चाहिए।

🍃पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का लाभ लेने हेतु सिर पूर्व या दक्षिण दिशा में करके ही सोयें, अन्यथा अनिद्रा जैसी तकलीफें होती हैं।

🍃शरीर की जैविक घड़ी को ठीक ढंग से चलाने हेतु रात्रि को बत्ती बंद करके सोयें। इस संदर्भ में हुए शोध चौंकाने वाले हैं। देर रात तक कार्य या अध्ययन करने से और बत्ती चालू रख के सोने से जैविक घड़ी निष्क्रिय होकर भयंकर स्वास्थ्य-संबंधी हानियाँ होती हैं। अँधेरे में सोने से यह जैविक घड़ी ठीक ढंग से चलती है।

आजकल पाये जाने वाले अधिकांश रोगों का कारण अस्त-व्यस्त दिनचर्या व विपरीत आहार ही है। हम अपनी दिनचर्या शरीर की जैविक घड़ी के अनुरूप बनाये रखें तो शरीर के विभिन्न अंगों की सक्रियता का हमें अनायास ही लाभ मिलेगा। इस प्रकार थोड़ी-सी सजगता हमें स्वस्थ जीवन की प्राप्ति करा देगी।
 (सुश्रुत संहिता)
Ram raksha stotram

॥ श्रीरामरक्षास्तोत्रम् ॥ श्रीगणेशायनम: अस्यश्रीरामरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य।बुधकौशिक ऋषि: ।श्रीसीतारामचंद्रोदेवता। अनुष्टुप् छन्द: ।सीता शक्ति:। श्रीमद्‌हनुमान् कीलकम्। श्रीसीतारामचंद्रप्रीत्यर्थे जपे विनियोग:॥ ॥ अथ ध्यानम् ॥ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्धपद्‌मासनस्थं ।पीतं वासोवसानं नवकमलदलस्पर्धिनेत्रं प्रसन्नम् ॥वामाङ्‌कारूढ-सीता-मुखकमल-मिलल्लोचनं नीरदाभं। नानालङ्‌कारदीप्तं दधतमुरुजटामण्डनं रामचंद्रम् ॥ ॥ इति ध्यानम् ॥ चरितं रघुनाथस्य शतकोटिप्रविस्तरम् ।एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम् ॥१॥ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम् ।जानकीलक्ष्मणोपेतं जटामुकुटमण्डितम् ॥२॥सासितूणधनुर्बाणपाणिं नक्तं चरान्तकम् ।स्वलीलया जगत्त्रातुमाविर्भूतमजं विभुम् ॥३॥रामरक्षां पठेत्प्राज्ञ: पापघ्नीं सर्वकामदाम् ।शिरो मे राघव: पातु भालं दशरथात्मज: ॥४॥कौसल्येयो दृशौ पातु विश्वामित्रप्रिय: श्रुती ।घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सल: ॥५॥जिव्हां विद्यानिधि: पातु कण्ठं भरतवंदित: ।स्कन्धौ दिव्यायुध: पातु भुजौ भग्नेशकार्मुक: ॥६॥करौ सीतापति: पातु हृदयं जामदग्न्यजित् ।मध्यं पातु खरध्वंसी नाभिं जाम्बवदाश्रय: ॥७॥सुग्रीवेश: कटी पातु सक्थिनी हनुमत्प्रभु: ।ऊरू रघुत्तम: पातु रक्ष:कुलविनाशकृत् ॥८॥जानुनी सेतुकृत्पातु जङ्‌घे दशमुखान्तक: ।पादौ बिभीषणश्रीद: पातु रामोSखिलं वपु: ॥९॥एतां रामबलोपेतां रक्षां य: सुकृती पठॆत् ।स चिरायु: सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत् ॥१०॥पातालभूतलव्योम चारिणश्छद्‌मचारिण: ।न द्र्ष्टुमपि शक्तास्ते रक्षितं रामनामभि: ॥११॥रामेति रामभद्रेति रामचंद्रेति वा स्मरन् ।नरो न लिप्यते पापै भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति ॥१२॥जगज्जेत्रैकमन्त्रेण रामनाम्नाभिरक्षितम् ।य: कण्ठे धारयेत्तस्य करस्था: सर्वसिद्धय: ॥१३॥वज्रपंजरनामेदं यो रामकवचं स्मरेत् ।अव्याहताज्ञ: सर्वत्र लभते जयमंगलम् ॥१४॥आदिष्टवान् यथा स्वप्ने रामरक्षामिमां हर: ।तथा लिखितवान् प्रात: प्रबुद्धो बुधकौशिक: ॥१५॥आराम: कल्पवृक्षाणां विराम: सकलापदाम् ।अभिरामस्त्रिलोकानां राम: श्रीमान् स न: प्रभु: ॥१६॥तरुणौ रूपसंपन्नौ सुकुमारौ महाबलौ ।पुण्डरीकविशालाक्षौ चीरकृष्णाजिनाम्बरौ ॥१७॥फलमूलशिनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ ।पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ ॥१८॥शरण्यौ सर्वसत्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम् ।रक्ष:कुलनिहन्तारौ त्रायेतां नो रघुत्तमौ ॥१९॥आत्तसज्जधनुषा विषुस्पृशा वक्षया शुगनिषङ्ग सङि‌गनौ ।रक्षणाय मम रामलक्ष्मणावग्रत: पथि सदैव गच्छताम् ॥२०॥संनद्ध: कवची खड्‌गी चापबाणधरो युवा ।गच्छन्‌ मनोरथोSस्माकं राम: पातु सलक्ष्मण: ॥२१॥रामो दाशरथि: शूरो लक्ष्मणानुचरो बली ।काकुत्स्थ: पुरुष: पूर्ण: कौसल्येयो रघुत्तम: ॥२२॥वेदान्तवेद्यो यज्ञेश: पुराणपुरुषोत्तम: ।जानकीवल्लभ: श्रीमानप्रमेयपराक्रम: ॥२३॥इत्येतानि जपेन्नित्यं मद्‌भक्त: श्रद्धयान्वित: ।अश्वमेधाधिकं पुण्यं संप्राप्नोति न संशय: ॥२४॥रामं दूर्वादलश्यामं पद्‌माक्षं पीतवाससम् ।स्तुवन्ति नामभिर्दिव्यैर्न ते संसारिणो नर: ॥२५॥रामं लक्ष्मण-पूर्वजं रघुवरं सीतापतिं सुंदरम् ।काकुत्स्थं करुणार्णवं गुणनिधिं विप्रप्रियं धार्मिकम् ।राजेन्द्रं सत्यसंधं दशरथनयं श्यामलं शान्तमूर्तिम् ।वन्दे लोकभिरामं रघुकुलतिलकं राघवं रावणारिम् ॥२६॥रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे ।रघुनाथाय नाथाय सीताया: पतये नम: ॥२७॥श्रीराम राम रघुनन्दन राम राम ।श्रीराम राम भरताग्रज राम राम ।श्रीराम राम रणकर्कश राम राम ।श्रीराम राम शरणं भव राम राम ॥२८॥श्रीरामचन्द्रचरणौ मनसा स्मरामि ।श्रीरामचन्द्रचरणौ वचसा गृणामि ।श्रीरामचन्द्रचरणौ शिरसा नमामि ।श्रीरामचन्द्रचरणौ शरणं प्रपद्ये ॥२९॥माता रामो मत्पिता रामचन्द्र: ।स्वामी रामो मत्सखा रामचन्द्र: ।सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालुर् - ।नान्यं जाने नैव जाने न जाने ॥३०॥दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे च जनकात्मजा ।पुरतो मारुतिर्यस्य तं वन्दे रघुनंदनम् ॥३१॥लोकाभिरामं रणरङ्‌गधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम् ।कारुण्यरूपं करुणाकरन्तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये ॥३२॥मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम् ।वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये ॥३३॥कूजन्तं राम-रामेति मधुरं मधुराक्षरम् ।आरुह्य कविताशाखां वन्दे वाल्मीकिकोकिलम् ॥३४॥आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसंपदाम् ।लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम् ॥३५॥भर्जनं भवबीजानामर्जनं सुखसंपदाम् ।तर्जनं यमदूतानां रामरामेति गर्जनम् ॥३६॥रामो राजमणि: सदा विजयते रामं रमेशं भजे ।रामेणाभिहता निशाचरचमू रामाय तस्मै नम: ।रामान्नास्ति परायणं परतरं रामस्य दासोऽस्म्यहम् ।रामे चित्तलय: सदा भवतु मे भो राम मामुद्धर ॥३७॥राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ॥३८॥इति श्रीबुधकौशिकविरचितं श्रीरामरक्षास्तोत्रं संपूर्णम् ॥॥ श्री सीतारामचंद्रार्पणमस्तु ॥

Friday, June 28, 2013

Attaullah Khan - ishq main hum tumhe kya bataye

naseeb main subah to itna unhe bata dena
labo pe jaan hai surat zara dikha dena
mila naa dena tamanna khak main meri
naa hasraton ke gale par churi chala dena
janaza mera tehbaan main aaj thehra kar
azeezo rukh se kafan ko zara hata dena
tumhare haar ke baasi jo phool ho unko
mazare aashiqe laashaad par chada dena



ishq main hum tumhe kya bataye kis kadar chot khaye hue hai
maut ne humko maara hai aur hum zindagi ke sataye hue hai

usne shaadi ka joda pahan kar sirf chuma tha mere kafan ko
bas usi din se jannat ki hoorein muzko dulha banaye hue hai..

surkh aankho mai kaajal laga hai rukh par gaaza sajaye hue hai
aise aaye hai maiyat par meri jaise shaadi main aaye hue hai
ishq main hum tumhe kyaa bataye.

aye lahad apni matti se kehde daag lagne naa paaye kafan ko
aaj hi humne badle hai kapde aaj hi hum nahaye hue hai
ishq main hum tumhe kya bataye..........


Dushmanon Ki Shikayat Hai Beja Doston Say Gila Kya Karaingay
Jher Chukay Jin Darakhton Kay Pattay Phir Kahan Unke Saai Huai Hain

tum kya samJho tum kya jaaNo baat meri tanhaayee kee
Angdai Par Angdai Leti Hai Raat Judai Ki
kaun siyahi ghol raha tha waqt ke behte dariya mein
maine aankh jhuki dekhi hai aaj kisi harjee kee

wasl ki raat na jaane kyoon israar tha unko jaane par
waqt se pehle dhoob gaye taaron ne badi daanaee kee

udte udte aas ka panchi door ufaq mein doob gaya
rote rote baith gayee awaaz kisi saudaaee kee..



Kya Hai Anjaam-E-Ulfat Patangon, Jaake Shamma Ke Nazdeek Dekho,.. Kuch Patango Ke Laashein Padi Hai, Par Kisi Ke Jalaaye Hue Hain

Katal Ke Waqt Sab Doston Ne, Ye Chukaya Mohabbat Ka Badla,..
Daal Di Khaakh Mere Badan Par, Ye Na Socha Nahaaye Hue Hain,..

Un ki tareef kya poochte ho, umr saari gunahon mein guzri*
Paarsa ban rahe hain, wo aise jaise ganga nahae hue hain

Zindagi Mein Na Raas Aayi Rahat, Chain Se Ab Sone Do Lehat Mein,..
Aye Farishton Na Chedo Na Chedo, Hum Jahan Ke Sataaye Hue Hain,..

Khoi Khoi Si Bechain Aankhein, Bekarari Hai Chehre Se Zaheer,..
Hona Ho App Bhi Meri Tarah Ishq Ki Chot Khaaye Hue Hain



Dangers of Meditation by Vamanadeva Shastri

Source: http://antaryamin.wordpress.com/2013/02/12/dangers-of-meditation-by-vamanadeva-shastri/

Ojas


Without “ojas”, exercises in meditation and yoga lack the proper foundation. Perhaps, the first question for an individual attempting real yogic practices is: “Do I have the ojas to sustain it?”



["Ojas" refers to the subtle energy of water as the stored-up vital reserve, the basis for physical and mental endurance... On an inner level, it is responsible for nourishing and grounding the development of all higer faculties.]



Prana is held by ojas, which is its conductor. If we increase prana without ojas, adding energy without being able to ground it, we may disturb, if not derange, the mind and nervous system.



All forms of meditation are not good for everyone, any more than all foods or herbs are. For this reason, Ayurveda recommends the proper lifestyle and an integral approach to meditation that considers both our different faculties and the nautre of the individual.



More about Ojas, and Increasing it



Diet

Ojas, as a subtle material substance and essence of the tissues, requires the material support of a right diet. This invilves a nutrituive vegetarian diet with the use of whole grains, seeds and nuts, oils, root vegetables, dairy products, sweet fruit and natural sugars.



Brahmacharya

Control of sexual energy (Brahmacharya) means reducing the discharge odf reproductive fluid. This is crucial for developing additional ojas.



Control of the Senses

Control of the senses requires reducing the amount of energy lost through sensory indulgence, which includes avoiding most forms of entertainment, particularly through the mass media. Much energy is lost through the eyes and ears. This is part of the practice of pratyahara or withdrawal from the senses in Raja Yoga. Overuse of the motor organs can also deplete ojas., particularly too much talking because the vocal organ is the most important of these.



Preliminaries to Meditation

Most meditation disorders are caused by imbalanced development of prana, tejas and ojas. Their main cause is insufficient ojas. Without he proper ojas, increased tejas can burn up the nadis of the subtle body.



Meditation should be grounded in a proper lifestyle, particularly a sattvic diet, sattvic impressions and sattvic associations. Without these, we may not be capable of real meditation, even if we want to practice it.



If we merely sit silently without any tools to calm the mind first, we may simply get lost in our own thoughts and end up more confused and distrubed.



Meditation, particularly of a passive nature, opens up the subconscious mind. If you are NOT ready to handle it, this can cause complications.



(pgs. 88, 95-97, 100, 102, 288-289, Yoga and Ayurveda)

"Desiderata" (Latin: "desired things") is a 1927 prose poem by American writer Max Ehrmann.

Go placidly amid the noise and haste, and remember what peace there may be in silence. As far as possible without surrender be on good terms with all persons. Speak your truth quietly and clearly; and listen to others, even the dull and the ignorant; they too have their story. Avoid loud and aggressive persons, they are vexations to the spirit. If you compare yourself with others, you may become vain and bitter; for always there will be greater and lesser persons than yourself. Enjoy your achievements as well as your plans. Keep interested in your own career, however humble; it is a real possession in the changing fortunes of time. Exercise caution in your business affairs; for the world is full of trickery. But let this not blind you to what virtue there is; many persons strive for high ideals; and everywhere life is full of heroism. Be yourself. Especially, do not feign affection. Neither be cynical about love; for in the face of all aridity and disenchantment it is as perennial as the grass. Take kindly the counsel of the years, gracefully surrendering the things of youth. Nurture strength of spirit to shield you in sudden misfortune. But do not distress yourself with dark imaginings. Many fears are born of fatigue and loneliness. Beyond a wholesome discipline, be gentle with yourself. You are a child of the universe, no less than the trees and the stars; you have a right to be here. And whether or not it is clear to you, no doubt the universe is unfolding as it should. Therefore be at peace with God, whatever you conceive Him to be, and whatever your labors and aspirations, in the noisy confusion of life keep peace with your soul. With all its sham, drudgery, and broken dreams, it is still a beautiful world. Be cheerful. Strive to be happy. “ ” Max Ehrmann, "Desiderata".

Depression is treatable, and your biggest help is you!!

In the run up to World Mental Health Day, which was yesterday, sad news trickled in. Asha Bhosle’s daughter Varsha had committed suicide by shooting herself in the head. Like many victims of depression, who feel a black cloud of sadness surmount them, Varsha found it too hard to live and thought it easier to end her life instead. The incident is a wake up call to all of us to help those who suffer from depression. Newspapers went on an overdrive after the issue to note that Varsha’s affliction was treatable. And that’s the truth: Depression is treatable. In this piece by Nirmalya Dutta, the author talks about the various kinds of depression and how to transcend the symptoms. She writes: “One of the most effective non-medicated treatments for depression is sharing with your loved ones. ” Also, when all else seems to be failing there is no harm in visiting a counseller or psychiatrist. While anti-depressants do not work for everyone, they do work in chronic cases and there is no taboo in popping a pill. But what do you watch out for? Overdoing the intake of nicotine and caffeine, and lack of sleep can be major causes of depressive symptoms. In such cases dealing with the disorder at the root can stop the black cloud from taking over. It may also help to develop a hobby or vigorously exercise. Strenuous exercise releases ‘feel-good hormones’ called endorphins that can help tackle symptoms of overwhelming sadness. According to Dutta, there are basically four types of depression: Clinical or Major depression, Bipolar or Manic-depressive disorder, Postpartum depression (depression after delivery of child) and Seasonal affective disorder (It usually doesn’t affect people who live in tropical climates like India.) Common symptoms of major depression include – despair and loneliness, unwillingness to do the simplest tasks, low energy levels, recurring nightmares and sleep disorders, loss of libido and appetite. These symptoms usually last for over two months. Bipolar disorder on the other hand is a cyclical disorder characterised by two phases – a manic phase and a depressive phase. In the manic phase, the patient is likely to suffer from delusions of grandeur, excessive self-confidence, feeling of euphoria and higher sexual drive while the depressive phase is very similar to the aforementioned symptoms of major depression. But no type of depression is untreatable. Considering that 1.8 lakh Indians commit suicide every year and there are 20 times more attempts, means at least 36 lakh people in India are surely suffering from major depressive disorder, writes Dutta. These are just the statistics. The numbers could be more overwhelming. There is no harm in seeking help from any quarter, but the biggest help can be you. The first step towards that is waking up from denial. Source: http://www.firstpost.com/living/depression-is-treatable-and-your-biggest-help-is-you-485519.html

Tuesday, June 11, 2013

Food habits in Ayurved

The more you let Ayurveda and Yoga become the basis for your living, the easier living gets. Here are Some Ancient Indian Health Tips. - quo...