Tuesday, August 30, 2016

How-to-Pay-Zero-Tax-for-Income-up-to-Rs-12-Lakhs-from-Salary-for-Financial-Year-2016-17

https://expertmile.com/arti.php?article_id=1105&title=How-to-Pay-Zero-Tax-for-Income-up-to-Rs-12-Lakhs-from-Salary-for-Financial-Year-2016-17-Budget-2016

Tuesday, August 9, 2016

Meditation - Scientific benefits

From the time of our birth till death the heart works continuosly.Everyday the heart pumps 7000 litres of blood ... of which 70% blood is pumped to the brain and the remaining 30% to the rest of body.The blood is pumped through veins/arteries which are about more than 70,000 km long.
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> The strength required to pump the blood upto 42 ft high and weight of 1 tonne is generated by the heart everyday throught its work.
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> We take rest when we are tired but if the heart takes rests for 4-5 mins we will have to rest forever.
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> How does the heart work continuously and efficiently?
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> Heart works effectively because it follows a discipline. In normal conditions the heart takes 0.3 secs to contract (systole) and 0.5 secs to relax (diastole). So 0.3+0.5=0.8 secs are required by the heart to complete one beat (1 cardiac cycle). That means in 1 min, the heart beats 72 times which is considered as normal heart beat.
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> During the relaxing phase of 0.5 secs the impure blood travels through the liver and becomes 100% pure.
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> In some stressful conditions the body demands more blood in less time and in this situation the heart reduces the relaxing period of 0.5 secs to 0.4 secs.Thus in this case the heart beats 82 times in 1min and only 80% of blood gets purified.
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> On more demand the relaxing time is further reduced to 0.3 secs then only 60% of blood is purified.
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> Thus 20-40% of impure blood is pumped in the blood vessels. The impure components (cholestrol/lipid) gets deposited on the walls of arteries/ veins and thus the elastic nature of the veins and the arteries is impacted negatively.
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> Continuation of the above conditions makes the veins/arteries rigid. Now if a blood clot travels through restricted veins/ arteries (which in normal conditions flows easily due to the elastic nature mentioned earlier) there is always a chance that it gets blocked and resists blood flow in that area. This results in a blockage which might further result in a Heart Attack.
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> From the above discussion we realise that the main reason for the heart problems is the increase demand of blood by the brain and the body. When the activity of brain is stimulated it demands more amount of blood than that of normal conditions.
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> To stimulate the activity of brain, 25-30% impact comes from the diet. Whereas the remaining 70-75% is due to the thinking, emotions, attitude, memories and other processes of the brain. These factors that hold so much sway over the brain are more or less ignored due to our current lifestyle.
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> So keeping the brain healthy also helps us keep the heart healthy. This why we consciously need to protect ourselves from - worries, anger, sadness, emotional n sensitive behavior, stress and hurry .
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> MEDICATION is hardly the chosen alternative for this purpose. And this is where MEDITATION helps.
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> Meditation has been a part of our spiritual tradition for a long time. Commercialization of meditation as an instructional discipline has been rampant since the 50s. Piggy backing this phenomenon spirituality has been commercialized too. And this has done our society more harm than good.
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> << Meditation unlike popular belief can start from simple practices like focused hearing or even focused thinking.>>
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> Maybe we can share how people who do yoga practice focus? By sharing this we can all benefit. We can identify alternates and choose to experiment with something that might turn out to be better for our unique selves.

Sunday, July 10, 2016

Bhagwad Geeta verses that help achieve salvation very fast

श्रीमद्भगवद्गीताका प्रभाव -3-
अब यदि यह पूछा जाय कि गीता में ऐसे कौन-से श्लोक हैं जिनमें से केवल एक को ही काम में लानेपर मनुष्य का कल्याण हो जाय, इसका ठीक-ठीक निश्चय करना बहुत ही कठिन है; क्योंकि गीता के प्राय: सभी श्लोक ज्ञानपूर्ण और कल्याणकारक है | फिर भी सम्पूर्ण गीता में एक तिहाई श्लोक तो ऐसे दीखते है कि जिनमें से एक को भी भलीभाँति समझकर काम में लाने से अर्थात् उसके अनुसार आचरण बनाने से मनुष्य परमपद को प्राप्त कर सकता है | उन श्लोकों की पूर्ण संख्या विस्तारभय से न देकर पाठकों की जानकारी के लिये कतिपय श्लोकों की संख्या नीचे लिखी जाती है-
अ○ २ श्लो○ २०, ७१; अ○ ३ श्लो○ १७-३०; अ○ ४ श्लो○ २०-२७; अ○ ५ श्लो○ १०, १७, १८, २९; अ○ ६ श्लो○ १४, ३०, ३१, ४७; अ○ ७ श्लो○ ७, १४, १९; अ○ ८ श्लो○ ७, १४, २२; अ○ ९ श्लो○ २६, २९, ३२, ३४; अ○ १० श्लो○ ९, ४२; अ○ ११ श्लो○ ५४, ५५; अ○ १२ श्लो○ २, ८, १३, १४; अ○ १३ श्लो○ १५, २४, २५, ३०; अ○ १४ श्लो○ १९, २६; अ○ १५ श्लो○ ५, २५; अ○ १६ श्लो○ १; अ○ १७ श्लो○ १६; और अ○ १८ श्लो○ ४६, ५६, ५७, ६२, ६५, ६६ ।
इस प्रकार उपर्युक्त श्लोकों में से एक श्लोक को भी अच्छी तरह काम में लानेवाला पुरुष मुक्त हो सकता है | जो सम्पूर्ण गीता को अर्थ और भावसहित समझकर श्रद्धा-प्रेम से अध्ययन करता हुआ उसके अनुसार चलता है उसके तो रोम-रोम में गीता ठीक उसी प्रकार रम जाती है जैसे परम भागवत श्रीहनुमानजी के रोम-रोम में ‘राम’ रम गये थे । जिस समय वह पुरुष श्रद्धा और प्रेम से गीता का पाठ करता है उस समय ऐसा प्रतीत होता है कि मानो उसके रोम-रोम से गीता का सुमधुर संगीत-स्वर प्रतिध्वनित हो रहा है |
जय श्री कृष्ण
'तत्त्वचिन्तामणि' पुस्तक से, पुस्तक कोड- 683, विषय- श्रीमद्भगवद्गीताका प्रभाव, पृष्ठ-संख्या- २७३, गीताप्रेस गोरखपुर
ब्रह्मलीन परम श्रद्धेय श्री जयदयाल जी गोयन्दका सेठजी

Sunday, March 13, 2016

Right time to sleep, rest and feel rejuvenated

जब आँख, कान, आदि ज्ञानेन्द्रियाँ और हाथ, पैर आदि कर्मेन्द्रियाँ तथा मन अपने-अपने कार्य में रत रहने के कारण थक जाते हैं, तब स्वाभाविक ही नींद आ जाती है। जो लोग नियत समय पर सोते और उठते हैं, उनकी शारीरिक शक्ति में ठीक से वृद्धि होती है। पाचकाग्नि प्रदीप्त होती है जिससे शरीर की धातुओं का निर्माण उचित ढंग से होता रहता है। उनका मन दिन भर उत्साह से भरा रहता है जिससे वे अपने सभी कार्य तत्परता से कर सकते हैं।

सोने की पद्धतिः अच्छी नींद के लिए रात्रि का भोजन अल्प तथा सुपाच्य होना चाहिए। सोने से दो घंटे पहले भोजन कर लेना चाहिए। भोजन के बाद स्वच्छ, पवित्र तथा विस्तृत स्थान में अच्छे, अविषम एवं घुटनों तक की ऊँचाई वाले शयनासन पर पूर्व या दक्षिण की ओर सिर करके हाथ नाभि के पास रखकर व प्रसन्न मन से ईश्वरचिंतन करते-करते सो जाना चाहिए। पश्चिम या उत्तर की ओर सिर करके सोने से जीवनशक्ति का ह्रास होता है। शयन से पूर्व प्रार्थना करने पर मानसिक शांति मिलती है एवं नसों में शिथिलता उत्पन्न होती है। इससे स्नायविक तथा मानसिक रोगों से बचाव व छुटकारा मिलता है। यह नियम अनिद्रा रोग एवं दुःस्वप्नों का नाश करता है। यथाकाल निद्रा के सेवन से शरीर की पुष्टि होती है तथा बल और उत्साह की प्राप्ति होती है।
निद्राविषयक उपयोगी नियमः रात्रि 10 बजे से प्रातः 4 बजे तक गहरी निद्रा लेने मात्र से आधे रोग ठीक हो जाते हैं। कहा भी हैः ‘अर्धरोगहरि निद्रा….’

स्वस्थ रहने के लिए कम से कम छः घंटे और अधिक से अधिक साढ़े सात घंटे की नींद करनी चाहिए, इससे कम ज्यादा नहीं। वृद्ध को चार व श्रमिक को छः से साढ़े सात घंटे की नींद करनी चाहिए। जब आप शयन करें तब कमरे की खिड़कियाँ खुली हों और रोशनी न हो।
रात्रि के प्रथम प्रहर में सो जाना और ब्रह्ममुहूर्त में प्रातः 4 बजे नींद से उठ जाना चाहिए। इससे स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है क्योंकि इस समय में ऋषि-मुनियों के जप-तप एवं शुभ संकल्पों का प्रभाव शांत वातावरण में व्याप्त रहता है। इस समय ध्यान-भजन करने से उनके शुभ संकल्पों का प्रभाव हमारे मनः शरीर में गहरा उतरता है। कम से कम सूर्योदय से पूर्व उठना ही चाहिए। सूर्योदय के बाद तक बिस्तर पर पड़े रहना अपने स्वास्थ्य की कब्र खोदना है।

नींद से उठते ही तुरंत बिस्तर का त्याग नहीं करना चाहिए। पहले दो-चार मिनट बिस्तर में ही बैठकर परमात्मा का ध्यान करना चाहिए कि ‘हे प्रभु ! आप ही सर्वनियंता हैं, आप की ही सत्ता से सब संचालित है। हे भगवान, इष्टदेव, गुरुदेव जो भी कह दो। मैं आज जो भी कार्य करूँगा परमात्मा सर्वव्याप्त हैं, इस भावना से सबका हित ध्यान में रखते हुए करूँगा।’ ऐसी प्रार्थना करनी चाहिए।

Saturday, January 30, 2016

लंबे समय तक जीना चाहते हैं तो

लंबे समय तक जीना चाहते हैं तो अपनी कॉफी को कह दें बाय-बाय। इजराइल में किए गए एक शोध में सामने आया है कि रोजाना चाय पीने वाले दूसरों के मुकाबले ज्यादा जीते हैं। चाय में पाया जाने वाला एंटीऑक्सीडेंट जिसे पॉलीफिनेल कहते हैं कैंसर, दिल की बीमारियों, बुढ़ापे को दूर रखता है। साथ ही कई सारी बीमारियो से लड़ता है।
[1/29, 09:30] manojkumar9 mk28: स्क्रेनटेन, अमेरिका में हुए एक शोध के मुताबिक अखरोट में बीमारियों से लड़ने वाले एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। साथ ही एंटी एजिंग ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं जो बुढ़ापे को दूर भगाते हैं। इसलिए रोजाना 3 से 4 अखरोट लंबे समय तक जीने का राज है।
[1/29, 09:32] manojkumar9 mk28: यूके के एक शोध में सामने आया है कि कम से कम 15 से 20 मिनट धूप में बिना सनस्क्रीन के रहा जाए तो शरीर में विटामिन डी की कमी पूरी हो जाएगी। विटामिन डी की कमी से कैंसर, ऑस्टियोपोरसिस और दिल की बीमारियां हो जाती हैं।
[1/29, 09:32] manojkumar9 mk28: शोध में सामने आया है कि दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ भावात्मक गहरे रिश्ते बनाना लंबे समय तक जीने का राज है। दोस्तों से जो भावात्मक सहयोग मिलता है उससे तनाव से लड़ने में मदद मिलती है। खुद को प्यार और सहयोग सराबोर देखकर शरीर में डोपामाइन और ऑक्सीटोसिन जैसे केमिकल बनते हैं जो बुढ़ापे को दूर रखते हैं साथ ही दिमाग के विकास में सहयोग करते हैं।
[1/29, 09:33] manojkumar9 mk28: 80 प्रतिशत तक पेट भरने पर खाना छोड़ दें। जापान के एक सुदूर स्थित द्वीप ओकीनावान्स में लोग यही तरीका अपनाते हैं जिस वजह से इस क्षेत्र में दुनिया में सबसे कम मोटापे और उम्रदाराज लोग मिलते हैं।
[1/29, 09:34] manojkumar9 mk28: 8 घंटे की पर्याप्त हैं किसी के भी लिए। नींद की कमी ना केवल तनाव बल्कि दिल के कई रोग दे सकता है। इसलिए नींद बहुत ही जरुरी है लंबे समय तक जीने के लिए।
[1/29, 10:46] manojkumar9 mk28: रात में दांतो को साफ करके सोएं। 10 साल के शोध बताते हैं कि कई सारी बीमारियां जैसे दिल की बीमारियां, कैंसर और डॉयबॉटीज मसूड़ों की बीमारियों से होते हैं।
[1/29, 10:47] manojkumar9 mk28: कोई पालतू जानवर पाल लें, ये लंबे समय तक जीने में मदद करेगा। शोध में सामने आया है कि पालतू जानवर रखने वाले औरों के अपेक्षा कम तनावग्रस्त होते हैं और बल्ड प्रेशर को नियंत्रित रखता है। ऐसे लोग जो अपने पालतू कुत्ते के साथ वॉक पर जाते हैं वो लोग आम लोग से कसरत करते हैं उनसे ज्यादा समय कॉक करने में लगाते हैं।
[1/29, 10:48] manojkumar9 mk28: फलों को कमरे के तापमान पर रखकर खाएं ना कि फ्रिज में रखें।
[1/29, 10:49] manojkumar9 mk28: लंबे समय तक जीना है तो दूसरों की निस्वार्थ मन से लोगों की मदद करें। दूसरों की मदद करने से ना केवल खुशी मिलती है बल्कि तनाव और दुख को भी कम करता है जिससे ऐसे लोग लंबे समय तक जीते हैं।
[1/29, 10:58] manojkumar9 mk28: सुनकर थोड़ा हैरान होंगे लेकिन शोध में सामने आया है कि नहाते समय गाना गाने से आप लंबे समय तक जीएंगे। अमेरिका की येल और हावर्ड यूनिवर्सिटी के संयुक्त प्रयास से एक शोध में ये बात सामने आई है।
[1/29, 11:01] manojkumar9 mk28: ज्यादा से ज्यादा फल और सब्जियां खाएं।लेकिन एक समय में एक ही खाएँ
[1/29, 11:02] manojkumar9 mk28: सकारात्मक सोच रखें, लंबा जीवन जिएंगे। ऐसा हम नहीं यूएस के मियो क्लीनिक के शोध में सामने आया है।
[1/29, 11:09] manojkumar9 mk28: परिवार के सदस्यों के सेहत का इतिहास पता करें। कई सारी बीमारियां लोगों को उनके परिवार अनुवांशिक रुप से मिलती है। अगर आप अपने परिवार के सेहत का इतिहास पता कर लेंगे तो आपको खुद की कई बीमारियों के बारे में पहले से आभास हो जाएगा और उसका ख्याल रख पाएंगे।
[1/29, 11:10] manojkumar9 mk28: 25 साल की उम्र के बाद आप रात को जितना भी टीवी देखते हैं उससे 20 मिनट आपका जीवन घट जाता है। इसलिए रात को कम टीवी देखें।
[1/29, 11:11] manojkumar9 mk28: शादीशुदा लोगों की अपेक्षा अविवाहित लोगों में 3 गुना ज्यादा खतरा होता है दिल की बीमारियों का। 2009 में हुए एक शोध में सामने आया था।
[1/29, 11:12] manojkumar9 mk28: दिन में कम से कम 20 बार हंसें
[1/29, 11:13] manojkumar9 mk28: अगर लंबे समय तक जीना है तो सिगरेट बिल्कुल छोड़ दें।
[1/29, 11:15] manojkumar9 mk28: भरोसा करें, खुद पर, औरों पर और भगवान पर। 1000 से ज्यादा शोध बताते हैं कि लंबे जीवन और विश्वास में गहरा संबंध है। ये तनाव से लड़ने और कई सारी बीमारियों से लड़ने में मदद करता है।
[1/29, 11:15] manojkumar9 mk28: सुनकर जरा चौंकेंगे कि लेकिन शोध में सामने आया है कि एक पैर पर खड़े रहने से लंबे समय तक जी सकते हैं। ये तरीके आपके पैर औक कमर की मांसपेशियों को मजबूत बनाएगी साथ ही बुढ़ापे में हड्डियां टूटने से भी बचाएगी।
[1/29, 11:16] manojkumar9 mk28: कमर की नाप बराबर रखें ना कि वजन पर। वजन कम करने से कुछ नहीं होगा मोटी कमर बीमार करती है।
[1/29, 11:17] manojkumar9 mk28: बीच-बीच में कोई ना कोई हेल्थ चेकअप कराते रहें। इसके लिए जरुरी नही है कि बीमार पड़ने पर ही कराएं
[1/29, 11:18] manojkumar9 mk28: शराब से दूर रहें। ये बुरी आदत जीवन के लिए खतरनाक है।
[1/29, 11:19] manojkumar9 mk28: हर चीज का हिसाब रखें। शोध में साफ हुआ है जो लोग पैसे से लेकर अपने विचार हर चीज को संभाल कर रखते हैं वो लंबे समय तक जीते हैं।
[1/29, 11:20] manojkumar9 mk28: किसी से भी चाहे कोई भी वजह हो झूठ बोलने से बचें।

Sunday, January 17, 2016

Health

NEEM

नीम के वृक्ष की ठंण्डी छाया गर्मी से राहत देती है तो पत्ते फल-फूल, छाल का उपयोग घरेलू रोगों में किया जाता है, नीम के औषधीय गुणों को घरेलू नुस्खों में उपयोग कर स्वस्थ व निरोगी बना जा सकता है। इसका स्वाद तो कड़वा होता है, लेकिन इसके फ़ायदे तो अनेक और बहुत प्रभावशाली हैं और उनमें से कुछ निम्नलिखित हैं :--
नीम के तेल से मालिश करने से विभिन्न प्रकार के चर्म रोग ठीक हो जाते हैं।
नीम का लेप सभी प्रकार के चर्म रोगों के निवारण में सहायक है।
नीम की दातुन करने से दांत व मसूढे मज़बूत होते है और दांतों में कीडा नहीं लगता है, तथा मुंह से दुर्गंध आना बंद हो जाता है।
इसमें दोगुना पिसा सेंधा नमक मिलाकर मंजन करने से पायरिया, दांत-दाढ़ का दर्द आदि दूर हो जाता है।
नीम की कोपलों को पानी में उबालकर कुल्ले करने से दाँतों का दर्द जाता रहता है।
नीम की पत्तियां चबाने से रक्त शोधन होता है और त्वचा विकार रहित और चमकदार होती है।
नीम की पत्तियों को पानी में उबालकर और पानी ठंडा करके उस पानी से नहाने से चर्म विकार दूर होते हैं, और ये ख़ासतौर से चेचक के उपचार में सहायक है और उसके विषाणु को फैलने न देने में सहायक है।
चेचक होने पर रोगी को नीम की पत्तियों बिछाकर उस पर लिटाएं।
नीम की छाल के काढे में धनिया और सौंठ का चूर्ण मिलाकर पीने से मलेरिया रोग में जल्दी लाभ होता है।
नीम मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों को दूर रखने में अत्यन्त सहायक है। जिस वातावरण में नीम के पेड़ रहते हैं, वहाँ मलेरिया नहीं फैलता है। नीम के पत्ते जलाकर रात को धुआं करने से मच्छर नष्ट हो जाते हैं और विषम ज्वर (मलेरिया) से बचाव होता है।
नीम के फल (छोटा सा) और उसकी पत्तियों से निकाले गये तेल से मालिश की जाये तो शरीर के लिये अच्छा रहता है।
नीम के द्वारा बनाया गया लेप वालों में लगाने से बाल स्वस्थ रहते हैं और कम झड़ते हैं।
नीम और बेर के पत्तों को पानी में उबालें, ठंण्डा होने पर इससे बाल, धोयें स्नान करें कुछ दिनों तक प्रयोग करने से बाल झडने बन्द हो जायेगें व बाल काले व मज़बूत रहेंगें।
नीम की पत्तियों के रस को आंखों में डालने से आंख आने की बीमारी (कंजेक्टिवाइटिस) समाप्त हो जाती है।
नीम की पत्तियों के रस और शहद को 2:1 के अनुपात में पीने से पीलिया में फ़ायदा होता है, और इसको कान में डालने कान के विकारों में भी फ़ायदा होता है।
नीम के तेल की 5-10 बूंदों को सोते समय दूध में डालकर पीने से ज़्यादा पसीना आने और जलन होने सम्बन्धी विकारों में बहुत फ़ायदा होता है।
नीम के बीजों के चूर्ण को ख़ाली पेट गुनगुने पानी के साथ लेने से बवासीर में काफ़ी फ़ायदा होता है।
नीम की निम्बोली का चूर्ण बनाकर एक-दो ग्राम रात को गुनगुने पानी से लें कुछ दिनों तक नियमित प्रयोग करने से कब्ज रोग नहीं होता है एवं आंतें मज़बूत बनती है।
गर्मियों में लू लग जाने पर नीम के बारीक पंचांग (फूल, फल, पत्तियां, छाल एवं जड) चूर्ण को पानी मे मिलाकर पीने से लू का प्रभाव शांत हो जाता है।
बिच्छू के काटने पर नीम के पत्ते मसल कर काटे गये स्थान पर लगाने से जलन नहीं होती है और ज़हर का असर कम हो जाता है।
नीम के 25 ग्राम तेल में थोडा सा कपूर मिलाकर रखें यह तेल फोडा-फुंसी, घाव आदि में उपयोग रहता है।
गठिया की सूजन पर नीम के तेल की मालिश करें।
नीम के पत्ते कीढ़े मारते हैं, इसलिये पत्तों को अनाज, कपड़ों में रखते हैं।
नीम की 20 पत्तियाँ पीसकर एक कप पानी में मिलाकर पिलाने से हैजा़ ठीक हो जाता है।
निबोरी नीम का फल होता है, इससे तेल निकला जाता है। आग से जले घाव में इसका तेल लगाने से घाव बहुत जल्दी भर जाता है।
नीम का फूल तथा निबोरियाँ खाने से पेट के रोग नहीं होते।
नीम की जड़ को पानी में उबालकर पीने से बुखार दूर हो जाता है।
छाल को जलाकर उसकी राख में तुलसी के पत्तों का रस मिलाकर लगाने से दाग़ तथा अन्य चर्म रोग ठीक होते हैं।
विदेशों में नीम को एक ऐसे पेड़ के रूप में पेश किया जा रहा है, जो मधुमेह से लेकर एड्स, कैंसर और न जाने किस-किस तरह की बीमारियों का इलाज कर सकता है।

Appetite

भूख बढाने के कुछ असरदार नुस्खे....!
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हमारे शरीर की अग्नि खाये गये भोजन को पचाने का काम
करती है,यदि यह अग्नि किसी कारण से मंद पड़ जाये तो भोजन
ठीक तरह से नही पचता है, भोजन के ठीक से नही पचने के कारण
शरीर में कितने ही रोग पैदा हो जाते है,अनियमित खानपान से वायु
पित्त और कफ़ दूषित हो जाते है,जिसकी वजह से भूख लगनी बंद
हो जाती है,और अजीर्ण अपच वायु विकार तथा पित्त
आदि की शिकायतें आने लगती है,भूख लगनी बंद हो जाती है,शरीर
टूटने लगता है, स्वाद बिगड जाता है,पेट में भारीपन महसूस होने
लगता है,पेट खराब होने सेदिमाग खराब रहना चालू
हो जाता है,अथवा समझ लीजिये कि शरीर का पूरा का पूरा तंत्र
ही खराब हो जाता है,इसके लिये मंन्दाग्नि से हमेशा बचना चाहिये
और तकलीफ़ होने पर इन दवाओं का प्रयोग करना चाहिये।
1. * भूख नही लगने पर आधा माशा फ़ूला हुआ
सुहागा एक कप गुनगुने पानी में दो तीन बार लेने से
भूख खुल जाती है।
2. * काला नमक चाटने से गैस खारिज होती है,और भूख
बढती है,यह नमक पेट को भी साफ़ करता है।
3. * हरड का चूर्ण सौंठ और गुड के साथ अथवा सेंधे
नमक के साथ सेवन करने से मंदाग्नि ठीक होती है।
4. * सेंधा नमक,हींग अजवायन और
त्रिफ़ला का समभाग लेकर कूट पीस कर
चूर्ण बना लें,इस चूर्ण के बराबर पुराना गुड लेकर
सारे चूर्ण के अन्दर मिला दें,और
छोटी छोटी गोलियां बना लें,रोजाना ताजे पानी से एक
या दो गोली लेना चालू कर दे,यह गोलियां खाना खाने
के बाद ली जाती है,इससे खाना पचेगा भी और भूख
भी बढेगी।
5. * हरड को नीब की निबोलियों के साथ लेने से भूख
बढती है,और शरीर के चर्म रोगों का भी नाश
होता है।
6. * हरड गुड और सौंठ का चूर्ण बनाकर उसे
थोडा थोडा मट्ठे के साथ रोजाना लेने से भूख खुल
जाती है।
7. * छाछ के रोजाना लेने से मंदाग्नि खत्म हो जाती है।
8. * सोंठ का चूर्ण घी में मिलाकर चाटने से और गरम
जल खूब पीने से भूख खूब लगती है।
9. * रोज भोजन करने से पहले छिली हुई अदरक
को सेंधा नमक लगाकर खाने से भूख बढती है।
10. * लाल मिर्च को नीबू के रस में चालीस दिन तक
खरल करके दो दो रत्ती की गोलियां बना लें,रोज एक
गोली खाने से भूख बढती है।
11. * गेंहूं के चोकर में सेंधा नमक और अजवायन मिलाकर
रोटी बनवायी जाये,इससे भूख बहुत बढती है।
12. * मोठ की दाल मंदाग्नि और बुखार की नाशक है।
13. * डेढ ग्राम सांभर नमक रोज सुबह फ़ांककर
पानी पीलें,मंदाग्नि का नामोनिशान मिट जायेगा।
14. * पके टमाटर की फ़ांके चूंसते रहने से भूख खुल
जाती है।
15. * दो छुहारों का गूदा निकाल कर तीन सौ ग्राम दूध में
पका लें,छुहारों का सत निकलने पर दूध
को पी लें,इससे खाना भी पचता है,और भूख
भी लगती है।
16. * जीरा सोंठ अजवायन छोटी पीपल और काली मिर्च
समभाग में लें,उसमे थोडी सी हींग मिला लें,फ़िर इन
सबको खूब बारीक पीस कर चूर्ण बना लें,इस चूर्ण
का एक चम्मच भाग छाछ मे मिलाकर
रोजाना पीना चालू करें,दो सप्ताह तक लेने
से कैसी भी कब्जियत में फ़ायदा देगा।
17. * भोजन के आधा घंटा पूर्व चुकन्दर गाजर टमाटर
पत्ता गोभी पालक तथा अन्य हरी साग सब्जियां व
फ़लीदार सब्जियों के मिश्रण का रस पीने से भूख
बढती है।
18. * सेब का सेवन करने से भूख भी बढती है और खून
भी साफ़ होता है।
19. * अजवायन चालीस ग्राम सेंधा नमक दस ग्राम
दोनो को कूट पीस कर एक साफ़बोतल में रखलें,इसमे
दो ग्राम चूर्ण रोजाना सवेरे फ़ांक कर ऊपर से
पानी पीलें,इससे भूख भी बढेगी और वात
वाली बीमारियां भी समाप्त होंगी।
20. * एक पाव सौंफ़ पानी में भिगो दें,फ़िर इस पानी में
चौगुनी मिश्री मिलाकर पका लें,इस शरबत को चाटने
से भूख बढती है।
21. * पकी हुई मीठी इमली के पत्ते सेंधा नमक
या काला नमक काली मिर्च और हींग
का काढा बनाकर पीने से मंदाग्नि ठीक हो जाती है।
22. * जायफ़ल का एक ग्राम चूर्ण शहद के साथ चाटने
से जठराग्नि प्रबल होकर मंदाग्नि दूर होती है।
23. * सोंफ़ सोंठ और मिश्री सभी को समान भाग लेकर
ताजे पानी से रोजाना लेना चाहिये इससे पाचन
शक्ति प्रबल होती है।
24. * जवाखार और सोंठ का चूर्ण गरम पानी से लेने से
मंदाग्नि दूर होती है।
25. * लीची को भोजन से पहले लेने से पाचन शक्ति और
भूख में बढोत्तरी होती है।
26. * अनार भी क्षुधा वर्धक होता है,इसका सेवन करने
से भूख बढती है।
27. * नीबू का रस रोजाना पानी में मिलाकर पीने से भूख
बढती है।
28. * आधा गिलास अनन्नास का रस भोजन से पहले
पीने से भूख बढती है।
29. * तरबूज के बीज की गिरी खाने से भूख बढती है।
30. * बील का फ़ल या जूस भी भूख बढाने वाला होता है।
31. * इमली की पत्ती की चटनी बनाकर खाने से भूख
भी बढती है,और खाना भी हजम होता है।

Lemon

रीज़ किए गए नीबू के आश्चर्यजनक परिणाम।
नीबू को स्वच्छ धोकर फ्रीजर में रखिए
8 सॆ 10 घंटे बाद वह बरफ जैसा ठंडा तथा कडा हो जाएगा।
उपयोग मे लाने के लिए उसे कद्दूकस कर लें।
आप जो भी खाएँ उसपर डाल के इसे खा सकते हैं।
इससे खाद्यपदार्थ में एक अलग ही टेस्ट आएगा।
नीबू के रस में विटामिन सी होता है।
ये आप जानते हैं।
आइये देखें इसके और क्या क्या फायदे हैं।
नीबू के छिलके में 5 से 10 गुना अधिक विटामिन सी होता है और
वही हम फेंक देते हैं।
नीबू के छिलके में शरीर कॆ सभी विषद्रव्य को बाहर निकालने
कि क्षमता होती है।
निंबु का छिलका कैंसर का नाश करता है।
यह छिलका कैमोथेरेपी से 10000 गुना ज्यादा प्रभावी है।
यह बैक्टेरियल इन्फेक्शन, फंगस आदि पर भी प्रभावी है।
निंबु का रस विशेषत: छिलका रक्तदाब तथा मानसिक दबाव
नियंत्रीत करता है।
नीबू का छिलका 12 से ज्यादा प्रकार के कैंसर में पूर्ण प्रभावी है
और वो भी बिना किसी साइड इफेक्ट के।
इसलिए आप से प्रार्थना है कि आप अच्छे पके हुए तथा स्वच्छ नीबू
फ्रीज में रखे और कद्दूकस कर प्रतिदिन अपने आहार के साथ प्रयोग
करें।


Joint Pain

‘ज्वाइंट पेन’छु बूढ़े हो या जवान …..
1. पारिजात के 6-7 ताजे पत्ते अदरक के साथ पीस लें और शहद का साथ इसका सेवन करें तो इससे न केवल जोड़ों के दर्द से राहत मिलती है, बल्कि शरीर की अन्य तकलीफें भी खत्म हो जाती हैं। माना जाता है कि इस फॉमरूले का सेवन सायटिका जैसे रोगों से निजात दिलाने में भी बहुत सहायक है।
2. बरसात के दिनों में इंद्रावन के फल का गूदा, नमक और आजवाइन के मिश्रण का सेवन न सिर्फ जोड़ों के दर्द से मुक्ति दिलाता है, बल्कि यह आर्थरायटिस में भी शरीर को काफी लाभ पहुंचाता है।
3. साटोडी के फूल,आबा हल्दी और अदरक की समान मात्रा को मिक्स कर उसका काढ़ा तैयार कर लें। इस काढ़े की दो-तीन चम्मच मात्रा का सेवन करें। इससे भी जोड़ों का दर्द दूर होता है।
4. आदिवासी आमतौर पर अनंतवेल के पत्तों की चाय पीते हैं। अनंतबेल की एक ग्राम जड़ लगभग एक कप चाय के लिए काफी है। अगर दिन में दो बार इसका सेवन किया जाए तो जोड़ों के दर्द से तुरंत निजात मिल जाती है।
5. लगभग 8-10 लहसुन की कली को तेल या घी में तल लें और खाना खाने सेपहले उसे चबाएं। इससे जोड़ों के दर्द से तुरंत आराम मिलता है।
6. डांग जिला गुजरात के हर्बल जानकारों का मानना है कि लहसुन की कलियों को तलकर या गर्म करके कपूर के साथ मिलाकर दर्द वाली जगह पर थोड़ी देर तक मालिश की जाए तो तुरंत आराम मिलता है।
7. आंकडा के ताजी पत्तियों पर सरसों का तेल के साथ लेप तैयार कर लें। इस लेप को हल्का गर्म कर दर्द वाली जगह पर लगाने से भी आराम मिलता है.
8. दालचीनी का 2 ग्राम का चूर्ण एक कप पानी में मिलाकर रोजाना सुबह पिएं। इससे जोड़ों के दर्द में काफी आराम मिलता है। डांग जिले के आदिवासियों के अनुसार यह फॉमरूला डायबिटीज की समस्या से भी निजात दिलाने में सहायक है। आदिवासियों के अनुसार खाने-पीने में भी दालचीनी का उपयोग शरीर को कई तरह की समस्याओं से दूर रखता है।
9. आदिवासी हरी घास, अदरक, दालचीनी और लोंग की समान मात्रा को मिश्रित कर इसकी गोली बनाते हैं। वे इस गोली का नियमित सेवन करते हैं और इसके साथ कम से कम 5 मिली पानी पीने की सलाह देते हैं। यह प्रकिया अगर लगातार एक महीने तक आजमाई जाए तो जोड़ों का दर्द खत्म हो जाता है।
10. पारिजात के 6-7 ताजे पत्ते अदरक के साथ पीस लें और शहद का साथ इसका सेवन करें तो इससे न केवल जोड़ों के दर्द से राहत मिलती है, बल्कि शरीर की अन्य तकलीफें भी खत्म हो जाती हैं। माना जाता है कि इस फॉमरूले का सेवन सायटिका जैसे रोगों से निजात दिलाने में भी बहुत सहायक है।

Friday, January 15, 2016

Work and Play

“The master in the art of living makes little distinction between his work and his play, his labour and his leisure, his mind and his body, his information and his recreation, his love and his religion. He hardly knows which is which. He simply pursues his vision of excellence at whatever he does, leaving others to decide whether he is working or playing. To him he’s always doing both.”
 
-LP Jacks

http://www.moneylife.in/article/homeopathy-is-dead-ayurveda-needs-a-science-test-nobel-uvaacha/44993.html

Thursday, January 14, 2016

अमरूद के लाभ


1 शक्ति (ताकत) और वीर्य की वृद्धि के लिए :- अच्छी तरह पके नरम, मीठे अमरूदों को मसलकर दूध में फेंट लें और फिर छानकर इनके बीज निकाल लें। आवश्यकतानुसार शक्कर मिलाकर सुबह नियमित रूप से 21 दिन सेवन करना धातुवर्द्धक होता है।
2 पेट दर्द :- *नमक के साथ पके अमरूद खाने से आराम मिलता है।
*अमरूद के पेड़ के कोमल 50 ग्राम पत्तों को पीसकर पानी में मिलाकर छानकर पीने से लाभ होगा।
*अमरूद के पेड़ की पत्तियों को बारीक पीसकर काले नमक के साथ चाटने से लाभ होता है।
*अमरूद के फल की फुगनी (अमरूद के फल के नीचे वाले छोटे पत्ते) में थोड़ा-सी मात्रा में सेंधानमक को मिलाकर गुनगुने पानी के साथ पीने से पेट में दर्द समाप्त होता है।
*यदि पेट दर्द की शिकायत हो तो अमरूद की कोमल पित्तयों को पीसकर पानी में मिलाकर पीने से आराम होता है। अपच, अग्निमान्द्य और अफारा के लिए अमरूद बहुत ही उत्तम औषधि है। इन रोगों से पीड़ित व्यक्तियों को 250 ग्राम अमरूद भोजन करने के बाद खाना चाहिए। जिन लोगों को कब्ज न हो तो उन्हें खाना खाने से पहले खाना चाहिए।"
3 बवासीर (पाइल्स) :- *सुबह खाली पेट 200-300 ग्राम अमरूद नियमित रूप से सेवन करने से बवासीर में लाभ मिलता है।
*पके अमरुद खाने से पेट का कब्ज खत्म होता है, जिससे बवासीर रोग दूर हो जाता है।
*कुछ दिनों तक रोजाना सुबह खाली पेट 250 ग्राम अमरूद खाने से बवासीर ठीक हो जाती है। बवासीर को दूर करने के लिए सुबह खाली पेट अमरूद खाना उत्तम है। *मल-त्याग करते समय बांयें पैर पर जोर देकर बैठें। इस प्रयोग से बवासीर नहीं होती है और मल साफ आता है।"
4 सूखी खांसी :- *गर्म रेत में अमरूद को भूनकर खाने से सूखी, कफयुक्त और काली खांसी में आराम मिलता है। यह प्रयोग दिन में तीन बार करें।
*एक बड़ा अमरूद लेकर उसके गूदे को निकालकर अमरूद के अंदर थोड़ी-सी जगह बनाकर अमरूद में पिसी हुई अजवायन तथा पिसा हुआ कालानमक 6-6 ग्राम की मात्रा में भर देते हैं। इसके बाद अमरूद में कपड़ा भरकर ऊपर से मिट्टी चढ़ाकर तेज गर्म उपले की राख में भूने, अमरूद के भुन जाने पर मिट्टी और कपड़ा हटाकर अमरूद पीसकर छान लेते हैं। इसे आधा-आधा ग्राम शहद में मिलाकर सुबह-शाम मिलाकर चाटने से सूखी खांसी में लाभ होता है।"
5 दांतों का दर्द :- *अमरूद की कोमल पत्तियों को चबाने से दांतों की पीड़ा (दर्द) नष्ट हो जाती है।
*अमरूद के पत्तों को दांतों से चबाने से आराम मिलेगा।
*अमरूद के पत्तों को जल में उबाल लें। इसे जल में फिटकरी घोलकर कुल्ले करने से दांतों की पीड़ा (दर्द) नष्ट हो जाती है।
*अमरूद के पत्तों को चबाने से दांतों की पीड़ा दूर होती है। मसूढ़ों में दर्द, सूजन और दातों में दर्द होने पर अमरूद के पत्तों को उबालकर गुनगुने पानी से कुल्ले करें।"
6 आधाशीशी (आधे सिर का दर्द) :- *आधे सिर के दर्द में कच्चे अमरूद को सुबह पीसकर लेप बनाएं और उसे मस्तक पर लगाएं।
*सूर्योदय के पूर्व ही सवेरे हरे कच्चे अमरूद को पत्थर पर घिसकर जहां दर्द होता है, वहां खूब अच्छी तरह लेप कर देने से सिर दर्द नहीं उठने पाता, अगर दर्द शुरू हो गया हो तो शांत हो जाता है। यह प्रयोग दिन में 3-4 बार करना चाहिए।"
7 जुकाम :- रुके हुए जुकाम को दूर करने के लिए बीज निकला हुआ अमरूद खाएं और ऊपर से नाक बंदकर 1 गिलास पानी पी लें। जब 2-3 दिन के प्रयोग से स्राव (बहाव) बढ़ जाए, तो उसे रोकने के लिए 50-100 ग्राम गुड़ खा लें। ध्यान रहे- कि बाद में पानी न पिएं। सिर्फ 3 दिन तक लगातार अमरूद खाने से पुरानी सर्दी और जुकाम दूर हो जाती है।
लंबे समय से रुके हुए जुकाम में रोगी को एक अच्छा बड़ा अमरूद के अंदर से बीजों को निकालकर रोगी को खिला दें और ऊपर से ताजा पानी नाक बंद करके पीने को दें। 2-3 दिन में ही रुका हुआ जुकाम बहार साफ हो जायेगा। 2-3 दिन बाद अगर नाक का बहना रोकना हो तो 50 ग्राम गुड़ रात में बिना पानी पीयें खा लें"
8 मलेरिया :- *मलेरिया बुखार में अमरूद का सेवन लाभकारी है। नियमित सेवन से तिजारा और चौथिया ज्वर में भी आराम मिलता है।
*अमरूद और सेब का रस पीने से बुखार उतर जाता है।
*अमरूद को खाने से मलेरिया में लाभ होता है।"
9 भांग का नशा :- 2-4 अमरूद खाने से अथवा अमरूद के पत्तों का 25 ग्राम रस पीने से भांग का नशा उतर जाता है।
10 मानसिक उन्माद (पागलपन) :- *सुबह खाली पेट पके अमरूद चबा-चबाकर खाने से मानसिक चिंताओं का भार कम होकर धीरे-धीरे पागलपन के लक्षण दूर हो जाते हैं और शरीर की गर्मी निकल जाती है।
*250 ग्राम इलाहाबादी मीठे अमरूद को रोजाना सुबह और शाम को 5 बजे नींबू, कालीमिर्च और नमक स्वाद के अनुसार अमरूद पर डालकर खा सकते हैं। इस तरह खाने से दिमाग की मांस-पेशियों को शक्ति मिलती है, गर्मी निकल जाती है, और पागलपन दूर हो जाता है। दिमागी चिंताएं अमरूद खाने से खत्म हो जाती हैं।"
11 पेट में गड़-बड़ी होने पर :- अमरूद की कोंपलों को पीसकर पिलाना चाहिए।
12 ठंडक के लिए :- अमरूद के बीजों को निकालकर पीसें और लड्डू बनाकर गुलाब जल में शक्कर के साथ पियें।
13 अमरूद का मुरब्बा :- अच्छी किस्म के तरोताजा बड़े-बड़े अमरूद लेकर उसके छिलकों को निकालकर टुकड़े कर लें और धीमी आग पर पानी में उबालें। जब अमरूद आधे पककर नरम हो जाएं, तब नीचे उतारकर कपड़े में डालकर पानी निकाल लें। उसके बाद उससे 3 गुना शक्कर लेकर उसकी चासनी बनायें और अमरूद के टुकड़े उसमें डाल दें। फिर उसमें इलायची के दानों का चूर्ण और केसर इच्छानुसार डालकर मुरब्बा बनायें। ठंडा होने पर इस मुरब्बे को चीनी-मिट्टी के बर्तन में भरकर, उसका मुंह बंद करके थोड़े दिन तक रख छोड़े। यह मुरब्बा 20-25 ग्राम की मात्रा में रोजाना खाने से कोष्ठबद्धता (कब्जियत) दूर होती है।
14 आंखों के लिए :- *अमरूद के पत्तों की पोटली बनाकर रात को सोते समय आंख पर बांधने से आंखों का दर्द ठीक हो जाता है। आंखों की लालिमा, आंख की सूजन और वेदना तुरंत मिट जाती है।
*अमरूद के पत्तों की पुल्टिस (पोटली) बनाकर आंखों पर बांधने से आंखों की सूजन, आंखे लाल होना और आंखों में दर्द करना आदि रोग दूर होते हैं।"
15 कब्ज :- *250 ग्राम अमरूद खाकर ऊपर से गर्म दूध पीने से कब्ज दूर होती है।
*अमरूद के कोमल पत्तों के 10 ग्राम रस में थोड़ी शक्कर मिलाकर प्रतिदिन केवल एक बार सुबह सेवन करने से 7 दिन में अजीर्ण (पुरानी कब्ज) में लाभ होता है।
*अमरूद को नाश्ते के समय कालीमिर्च, कालानमक, अदरक के साथ खाने से अजीर्ण, गैस, अफारा (पेट फूलना) की तकलीफ दूर होकर भूख बढ़ जाएगी। नाश्ते में अमरूद का सेवन करें। सख्त कब्ज में सुबह-शाम अमरूद खाएं।
*अमरूद को कुछ दिनों तक नियमित सेवन करने से 3-4 दिन में ही मलशुद्धि होने लग जाती है। कोष्ठबद्धता मिटती है एवं कब्जियत के कारण होने वाला आंखों की जलन और सिर दर्द भी दूर होता है।
*अमरूद खाने से आंतों में तरावट आती है और कब्ज दूर हो जाता है। इसे खाना खाने से पहले ही खाना चाहिए, क्योंकि खाना खाने के बाद खाने से कब्ज करता है। कब्ज वालों को सुबह के समय नाश्ते में अमरूद लेना चाहिए। पुरानी कब्ज के रोगियों को सुबह और शाम अमरूद खाना चाहिए। इससे पेट साफ हो जाता है।
*अमरूद खाने से या अमरूद के साथ किशमिश के खाने से कब्ज़ की शिकायत नहीं रहती है।"
16 कुकर खांसी, काली खांसी (हूपिंग कफ) :- *एक अमरूद को भूभल (गर्म रेत या राख) में सेंककर खाने से कुकर खांसी में लाभ होता है। छोटे बच्चों को अमरूद पीसकर अथवा पानी में घोलकर पिलाना चाहिए। अमरूद पर नमक और कालीमिर्च लगाकर खाने से कफ निकल जाती है। 100 ग्राम अमरूद में विटामिन-सी लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग आधा ग्राम तक होता है। यह हृदय को बल देता है। अमरूद खाने से आंतों में तरावट आती है। कब्ज से ग्रस्त रोगियों को नाश्ते में अमरूद लेना चाहिए। पुरानी कब्ज के रोगियों को सुबह-शाम अमरूद खाना चाहिए। इससे दस्त साफ आएगा, अजीर्ण और गैस दूर होगी। अमरूद को सेंधानमक के साथ खाने से पाचन शक्ति बढ़ती है।
*एक कच्चे अमरूद को लेकर चाकू से कुरेदकर उसका थोड़ा-सा गूदा निकाल लेते हैं। फिर इस अमरूद में पिसी हुई अजवायन तथा पिसा हुआ कालानमक 6-6 ग्राम की मात्रा में लेकर भर देते हैं। इसके बाद अमरूद पर कपड़ा लपेटकर उसमें गीली मिट्टी का लेप चढ़ाकर आग में भून लेते हैं पकने के बाद इसके ऊपर से मिट्टी और कपड़ा हटाकर अमरूद को पीस लेते हैं। इसे आधा-आधा ग्राम की मात्रा में शहद के साथ मिलाकर सुबह-शाम रोगी को चटाने से काली खांसी में लाभ होता है।
*एक अमरूद को गर्म बालू या राख में सेंककर सुबह-शाम 2 बार खाने से काली खांसी ठीक हो जाती है।"
17 रक्तविकार के कारण फोड़े-फुन्सियों का होना :- 4 सप्ताह तक नित्य प्रति दोपहर में 250 ग्राम अमरूद खाएं। इससे पेट साफ होगा, बढ़ी हुई गर्मी दूर होगी, रक्त साफ होगा और फोड़े-फुन्सी, खाज-खुजली ठीक हो जाएगी।
18 पुरानी सर्दी :- 3 दिनों तक केवल अमरूद खाकर रहने से बहुत पुरानी सर्दी की शिकायत दूर हो जाती है।
19 पुराने दस्त :- अमरूद की कोमल पित्तयां उबालकर पीने से पुराने दस्तों का रोग ठीक हो जाता है। दस्तों में आंव आती रहे, आंतों में सूजन आ जाए, घाव हो जाए तो 2-3 महीने लगातार 250 ग्राम अमरूद रोजाना खाते रहने से दस्तों में लाभ होता है। अमरूद में-टैनिक एसिड होता है, जिसका प्रधान काम घाव भरना है। इससे आंतों के घाव भरकर आंते स्वस्थ हो जाती हैं।
20 कफयुक्त खांसी :- एक अमरूद को आग में भूनकर खाने से कफयुक्त खांसी में लाभ होता है।
21 मस्तिष्क विकार :- अमरूद के पत्तों का फांट मस्तिष्क विकार, वृक्क प्रवाह और शारीरिक एवं मानसिक विकारों में प्रयोग किया जाता है।
22 आक्षेपरोग :- अमरूद के पत्तों के रस या टिंचर को बच्चों की रीढ़ की हड्डी पर मालिश करने से उनका आक्षेप का रोग दूर हो जाता है।
23 हृदय :- अमरूद के फलों के बीज निकालकर बारीक-बारीक काटकर शक्कर के साथ धीमी आंच पर बनाई हुई चटनी हृदय के लिए अत्यंत हितकारी होती है तथा कब्ज को भी दूर करती है।
24 हृदय की दुर्बलता :- *अमरूद को कुचलकर उसका आधा कप रस निकाल लें। उसमें थोड़ा-सा नींबू का रस डालकर पी जाए।
*अमरूद में विटामिन-सी होता है। यह हृदय में नई शक्ति देकर शरीर में स्फूर्ति पैदा करता है। इसे दमा व खांसी वाले न खायें।"
25 खांसी और कफ विकार :- *यदि सूखी खांसी हो और कफ न निकलता हो तो, सुबह ही सुबह ताजे एक अमरूद को तोड़कर, चाकू की सहायता के बिना चबा-चबाकर खाने से खांसी 2-3 दिन में ही दम तोड़ देती है।
*अमरूद का रस भवक यन्त्र द्वारा निकालकर उसमें श
हद मिलाकर पीने से भी सूखी खांसी में लाभ होता है।
*यदि बलगम खूब पड़ता हो और खांसी अधिक हो, दस्त साफ न हो हल्का बुखार भी हो तो अच्छे ताजे मीठे अमरूदों को अपनी इच्छानुसार खायें।
*यदि जुकाम की साधारण खांसी हो तो अधपके अमरूद को आग में भूनकर उसमें नमक लगाकर खाने से लाभ होता है।"
26 वमन (उल्टी) :- अमरूद के पत्तों के 10 ग्राम काढ़े को पिलाने से वमन या उल्टी बंद हो जाती है।
27 तृष्ण (अधिक प्यास लगना) :- अमरूद के छोटे-छोटे टुकड़े काटकर पानी में डाल दें। कुछ देर बाद इस पानी को पीने से मधुमेह (शूगर) या बहुमूत्र रोग के कारण तृष्ण में उत्तम लाभ होता है।
28 अतिसार (दस्त) :- *बच्चे का पुराना अतिसार मिटाने के लिए इसकी 15 ग्राम जड़ को 150 ग्राम पानी में ओटाकर, जब आधा पानी शेष रह जाये तो 6-6 ग्राम तक दिन में 2-3 बार पिलाना चाहिए।
*कच्चे अमरूद के फल उबालकर खिलाने से भी अतिसार मिटता है।
*अमरूद की छाल व इसके कोमल पत्तों का 20 मिलीलीटर क्वाथ पिलाने से हैजे की प्रारिम्भक अवस्था में लाभ होता है।"
29 प्रवाहिका :- अमरूद का मुरब्बा प्रवाहिका एवं अतिसार में लाभदायक है।
30 गुदाभ्रंश (गुदा से कांच का निकलना) :- *बच्चों के गुदभ्रंश रोग पर इसकी जड़ की छाल का काढ़ा गाढ़ा-गाढ़ा लेप करने से लाभ होता है।
*तीव्र अतिसार में गुदाभ्रंश होने पर अमरूद के पत्तों की पोटली बनाकर बांधने से सूजन कम हो जाती है और गुदा अंदर बैठ जाता है।
*आंतरिक प्रयोग के लिए अमरूद और नागकेशर दोनों को महीन पीसकर उड़द के समान गोलियां बनाकर देनी चाहिए।
*अमरूद के पेड़ की छाल, जड़ और पत्ते, बराबर-बराबर 250 ग्राम लेकर पीसकर रख लें तथा 1 किलो पानी में उबालें, जब आधा पानी शेष रह जायें, तब इस काढ़े से गुदा को बार-बार धोना चाहिए और उसे अंदर धकेलें। इससे गुदा अंदर चली जायेगी।
*अमरूद के पेड़ की छाल 50 ग्राम, अमरूद की जड़ 50 ग्राम और अमरूद के पत्ते 50 ग्राम को मिलाकर कूटकर 400 ग्राम पानी में मिलाकर उबाल लें। आधा पानी शेष रहने पर छानकर गुदा को धोऐं। इससे गुदाभ्रंश (कांच निकलना) ठीक होता है।
*अमरूद के पत्तों को पसकर इसके लुगदी (पेस्ट) गुदा को अंदर कर मलद्वार पर बांधने से गुदा बाहर नहीं निकलता है।"
31 घुटनों के दर्द में :- अमरूद के कोमल पत्तों को पीसकर गठिया के वेदना युक्त स्थानों पर लेप करने से लाभ होता है।
32 विषम ज्वर या मलेरिया बुखार :- विषम ज्वर या मलेरिया बुखार
33 बुखार :- अमरूद के कोमल पत्तों को पीस-छानकर पिलाने से ज्वर के उपद्रव्य दूर होते है।
34 विदाह (पित्त की जलन) में :- अमरूद के बीज निकालकर पीसकर गुलाब जल और मिसरी मिला कर पीने से अत्यंत बढ़े हुए पित्त और विदाह की शांति होती है।
35 भांग या धतूरे का नशा :- अमरूद के पत्तों के स्वरस को भरपेट पिलाने से या अमरूद खाने से भांग, धतूरा आदि का नशा दूर हो जाता है
36 पेट की गैस बनना :- अदरक का रस एक चम्मच, नींबू का रस का आधा चम्मच और शहद को डालकर खाने से पेट की गैस में धीरे-धीरे लाभ होता हैं।
37 मुंह के छाले :- *रोजाना भोजन करने के बाद अमरूद का सेवन करने से छाले में आराम मिलता है।
*अमरूद के पत्तों में कत्था मिलाकर पान की तरह चबाने से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं।"
38 दस्त :- *अमरूद के पेड़ की कोमल नई पत्तियों को पानी में उबालकर, छानकर थोड़ी-थोड़ी-सी मात्रा में पकाकर पीने से अतिसार का आना रुक जाता है।
*अमरूद में मिश्री डालकर या अमरूद और मिश्री का सेवन करने से दस्त का आना बंद हो जाता हैं।
*अमरूद के पेड़ की 10 पत्तियां, नींबू की 2 पत्तियां, तुलसी की 3 पत्तियों को बराबर मात्रा में लेकर एक कप पानी में डालकर काढ़ा बनाकर पीने से राहत मिलती है।"
39 मुंह का रोग :- मुंह के रोग में जौ, अमरूद के पत्ते एवं बबूल के पत्ते। इस सबको जलाकर इसके धुंए को मुंह में भरने से गला ठीक होता है तथा मुंह के दाने नष्ट होते हैं।
40 अग्निमान्द्यता (अपच) के लिए :- अमरूद के पेड़ की 2 पत्तियों को चबाकर पानी के साथ सेवन करने से आराम होता हैं।
41 प्यास अधिक लगना :- अमरूद, लीची, शहतूत व खीरा खाने से प्यास का अधिक लगना बंद हो जाता है।
42 मधुमेह के रोग :- पके अमरूद को आग में डालकर उसे निकाल लें, और उसका भरता बना लें, उसमें अवश्कतानुसार नमक, कालीमिर्च, जीरा, मिलाकर सेवन करें। इससे मधुमेह रोग से लाभ होता है।
43 योनि की जलन और खुजली :- अमरूद के पेड़ की जड़ को पीसकर 25 ग्राम की मात्रा में लेकर 300 ग्राम पानी में डालकर पका लें, फिर इसी पानी को साफ कपड़े की मदद से योनि को साफ करने से योनि में होने वाली खुजली समाप्त हो जाती है।
44 गठिया रोग :- गठिया के दर्द को सही करने के लिए अमरूद की 5-6 नई पत्तियों को पीसकर उसमें जरा-सा काला नमक डालकर प्रतिदिन सेवन करने से रोगी को लाभ मिलता है।
45 फोड़े-फुंसियों के लिए :- अमरूद की थोड़ी सी पत्तियों को लेकर पानी में उबालकर पीस लें। इस लेप को फुंसियों पर लगाने से लाभ होता है।
46 विसर्प-फुंसियों का दल बनना :- 4 हफ्तों तक रोजाना दोपहर में 250 ग्राम अमरूद खाने से पेट साफ होता है, पेट की गर्मी दूर होती है, खून साफ होता है जिससे फुंसिया और खुजली भी दूर हो जाती है।

जीवन को स्वस्थ कैसे बनाएँ


1- 90 प्रतिशत रोग केवल पेट से होते हैं। पेट में कब्ज नहीं रहना चाहिए। अन्यथा रोगों की कभी कमी नहीं रहेगी।
2- कुल 13 असाधारणीय शारीरिक वेग होते हैं । उन्हें रोकना नहीं चाहिए ।।
3-160 रोग केवल मांसाहार से होते है
4- 103 रोग भोजन के बाद जल पीने से होते हैं। भोजन के 1 घंटे बाद ही जल पीना चाहिये।
5- 80 रोग चाय पीने से होते हैं।
6- 48 रोग ऐलुमिनियम के बर्तन या कुकर के खाने से होते हैं।
7- शराब, कोल्डड्रिंक और चाय के सेवन से हृदय रोग होता है।
8- अण्डा खाने से हृदयरोग, पथरी और गुर्दे खराब होते हैं।
9- ठंडेजल (फ्रिज)और आइसक्रीम से बड़ीआंत सिकुड़ जाती है।
10- मैगी, गुटका, शराब, सूअर का माँस, पिज्जा, बर्गर, बीड़ी, सिगरेट, पेप्सी, कोक से बड़ी आंत सड़ती है।
11- भोजन के पश्चात् स्नान करने से पाचनशक्ति मन्द हो जाती है और शरीर कमजोर हो जाता है।
12- बाल रंगने वाले द्रव्यों(हेयरकलर) से आँखों को हानि (अंधापन भी) होती है।
13- दूध(चाय) के साथ नमक (नमकीन पदार्थ) खाने से चर्म रोग हो जाता है।
14- शैम्पू, कंडीशनर और विभिन्न प्रकार के तेलों से बाल पकने, झड़ने और दोमुहें होने लगते हैं।
15- गर्म जल से स्नान से शरीर की प्रतिरोधक शक्ति कम हो जाती है और शरीर कमजोर हो जाता है। गर्म जल सिर पर डालने से आँखें कमजोर हो जाती हैं।
16- टाई बांधने से आँखों और मस्तिश्क हो हानि पहुँचती है।
17- खड़े होकर जल पीने से घुटनों(जोड़ों) में पीड़ा होती है।
18- खड़े होकर मूत्रत्याग करने से रीढ़ की हड्डी को हानि होती है।
19- भोजन पकाने के बाद उसमें नमक डालने से रक्तचाप (ब्लडप्रेशर) बढ़ता है।
20- जोर लगाकर छींकने से कानों को क्षति पहुँचती है।
21- मुँह से साँस लेने पर आयु कम होती है।
22- पुस्तक पर अधिक झुकने से फेफड़े खराब हो जाते हैं और क्षय(टीबी) होने का डर रहता है।
23- चैत्र माह में नीम के पत्ते खाने से रक्त शुद्ध हो जाता है मलेरिया नहीं होता है।
24- तुलसी के सेवन से मलेरिया नहीं होता है।
25- MUNG प्रतिदिन खाने से व्यक्ति अनेक रोगों से मुक्त रहता है।
26- अनार आंव, संग्रहणी, पुरानी खांसी व हृदय रोगों के लिए सर्वश्रेश्ठ है।

27- हृदयरोगी के लिए अर्जुनकी छाल, लौकी का रस, तुलसी, पुदीना, मौसमी, सेंधा नमक, गुड़, चोकरयुक्त आटा, छिलकेयुक्त अनाज औशधियां हैं।
28- भोजन के पश्चात् पान, गुड़ या सौंफ खाने से पाचन अच्छा होता है। अपच नहीं होता है।
29- अपक्व भोजन (जो आग पर न पकाया गया हो) से शरीर स्वस्थ रहता है और आयु दीर्घ होती है।
30- मुलहठी चूसने से कफ बाहर आता है और आवाज मधुर होती है।
31- जल सदैव ताजा (चापाकल, कुएं आदि का) पीना चाहिये, बोतलबंद (फ्रिज) पानी बासी और अनेक रोगों के कारण होते हैं।
32- नीबू गंदे पानी के रोग (यकृत, टाइफाइड, दस्त, पेट के रोग) तथा हैजा से बचाता है।
33- चोकर खाने से शरीर की प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है। इसलिए सदैव गेहूं मोटा ही पिसवाना चाहिए।
34- फल, मीठा और घी या तेल से बने पदार्थ खाकर तुरन्त जल नहीं पीना चाहिए।
35- भोजन पकने के 48 मिनट के अन्दर खा लेना चाहिए । उसके पश्चात् उसकी पोशकता कम होने लगती है। 12 घण्टे के बाद पशुओं के खाने लायक भी नहीं रहता है।।
36- मिट्टी के बर्तन में भोजन पकाने से पोशकता 100% कांसे के बर्तन में 97% पीतल के बर्तन में 93% अल्युमिनियम के बर्तन और प्रेशर कुकर में 7-13% ही बचते हैं।
37- गेहूँ का आटा 15 दिनों पुराना और चना, ज्वार, बाजरा, मक्का का आटा 7 दिनों से अधिक पुराना नहीं प्रयोग करना चाहिए।
38- मनष्य को मैदे से बनीं वस्तुएं (बिस्कुट, ब्रेड, पीज़ा समोसा आदि)
कभी भी नहीं खाना चाहिए।
39- खाने के लिए सेंधा नमक सर्वश्रेष्ठ होता है उसके बाद काला नमक का स्थान आता है। सफेद नमक जहर के समान होता है।
40- जल जाने पर आलू का रस, हल्दी, शहद, घृतकुमारी में से कुछ भी लगाने पर जलन ठीक हो जाती है और फफोले नहीं पड़ते।
41- सरसों, तिल,मूंगफली या नारियल का तेल ही खाना चाहिए। देशी घी ही खाना चाहिए है। रिफाइंड तेल और
वनस्पति घी (डालडा) जहर होता है।
42- पैर के अंगूठे के नाखूनों को सरसों तेल से भिगोने से आँखों की खुजली लाली और जलन ठीक हो जाती है।
43- खाने का चूना 70 रोगों को ठीक करता है।
44- चोट, सूजन, दर्द, घाव, फोड़ा होने पर उस पर 5-20 मिनट तक चुम्बक रखने से जल्दी ठीक होता है।
हड्डी टूटने पर चुम्बक का प्रयोग करने से आधे से भी कम समय में ठीक होती है।
45- मीठे में मिश्री, गुड़, शहद, देशी (कच्ची) चीनी का प्रयोग करना चाहिए सफेद चीनी जहर होता है।
46- कुत्ता काटने पर हल्दी लगाना चाहिए।
47-बर्तन मिटटी के ही परयोग करन चाहिए।
48- टूथपेस्ट और ब्रश के स्थान पर दातून और मंजन करना चाहिए दाँत मजबूत रहेंगे ।
(आँखों के रोग में दातून नहीं करना)
49- यदि सम्भव हो तो सूर्यास्त के पश्चात् न तो पढ़े और लिखने का काम तो न ही करें तो अच्छा है ।
50- निरोग रहने के लिए अच्छी नींद और अच्छा(ताजा) भोजन अत्यन्त आवश्यक है।
51- देर रात तक जागने से शरीर की प्रतिरोधक शक्ति कमजोर हो जाती है। भोजन का पाचन भी ठीक से नहीं हो पाता है आँखों के रोग भी होते हैं।
52- प्रातः का भोजन राजकुमार के समान, दोपहर का राजा और देर रात्रि का भिखारी के
समान ।

Food habits in Ayurved

The more you let Ayurveda and Yoga become the basis for your living, the easier living gets. Here are Some Ancient Indian Health Tips. - quo...