Sunday, January 17, 2016

Health

NEEM

नीम के वृक्ष की ठंण्डी छाया गर्मी से राहत देती है तो पत्ते फल-फूल, छाल का उपयोग घरेलू रोगों में किया जाता है, नीम के औषधीय गुणों को घरेलू नुस्खों में उपयोग कर स्वस्थ व निरोगी बना जा सकता है। इसका स्वाद तो कड़वा होता है, लेकिन इसके फ़ायदे तो अनेक और बहुत प्रभावशाली हैं और उनमें से कुछ निम्नलिखित हैं :--
नीम के तेल से मालिश करने से विभिन्न प्रकार के चर्म रोग ठीक हो जाते हैं।
नीम का लेप सभी प्रकार के चर्म रोगों के निवारण में सहायक है।
नीम की दातुन करने से दांत व मसूढे मज़बूत होते है और दांतों में कीडा नहीं लगता है, तथा मुंह से दुर्गंध आना बंद हो जाता है।
इसमें दोगुना पिसा सेंधा नमक मिलाकर मंजन करने से पायरिया, दांत-दाढ़ का दर्द आदि दूर हो जाता है।
नीम की कोपलों को पानी में उबालकर कुल्ले करने से दाँतों का दर्द जाता रहता है।
नीम की पत्तियां चबाने से रक्त शोधन होता है और त्वचा विकार रहित और चमकदार होती है।
नीम की पत्तियों को पानी में उबालकर और पानी ठंडा करके उस पानी से नहाने से चर्म विकार दूर होते हैं, और ये ख़ासतौर से चेचक के उपचार में सहायक है और उसके विषाणु को फैलने न देने में सहायक है।
चेचक होने पर रोगी को नीम की पत्तियों बिछाकर उस पर लिटाएं।
नीम की छाल के काढे में धनिया और सौंठ का चूर्ण मिलाकर पीने से मलेरिया रोग में जल्दी लाभ होता है।
नीम मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों को दूर रखने में अत्यन्त सहायक है। जिस वातावरण में नीम के पेड़ रहते हैं, वहाँ मलेरिया नहीं फैलता है। नीम के पत्ते जलाकर रात को धुआं करने से मच्छर नष्ट हो जाते हैं और विषम ज्वर (मलेरिया) से बचाव होता है।
नीम के फल (छोटा सा) और उसकी पत्तियों से निकाले गये तेल से मालिश की जाये तो शरीर के लिये अच्छा रहता है।
नीम के द्वारा बनाया गया लेप वालों में लगाने से बाल स्वस्थ रहते हैं और कम झड़ते हैं।
नीम और बेर के पत्तों को पानी में उबालें, ठंण्डा होने पर इससे बाल, धोयें स्नान करें कुछ दिनों तक प्रयोग करने से बाल झडने बन्द हो जायेगें व बाल काले व मज़बूत रहेंगें।
नीम की पत्तियों के रस को आंखों में डालने से आंख आने की बीमारी (कंजेक्टिवाइटिस) समाप्त हो जाती है।
नीम की पत्तियों के रस और शहद को 2:1 के अनुपात में पीने से पीलिया में फ़ायदा होता है, और इसको कान में डालने कान के विकारों में भी फ़ायदा होता है।
नीम के तेल की 5-10 बूंदों को सोते समय दूध में डालकर पीने से ज़्यादा पसीना आने और जलन होने सम्बन्धी विकारों में बहुत फ़ायदा होता है।
नीम के बीजों के चूर्ण को ख़ाली पेट गुनगुने पानी के साथ लेने से बवासीर में काफ़ी फ़ायदा होता है।
नीम की निम्बोली का चूर्ण बनाकर एक-दो ग्राम रात को गुनगुने पानी से लें कुछ दिनों तक नियमित प्रयोग करने से कब्ज रोग नहीं होता है एवं आंतें मज़बूत बनती है।
गर्मियों में लू लग जाने पर नीम के बारीक पंचांग (फूल, फल, पत्तियां, छाल एवं जड) चूर्ण को पानी मे मिलाकर पीने से लू का प्रभाव शांत हो जाता है।
बिच्छू के काटने पर नीम के पत्ते मसल कर काटे गये स्थान पर लगाने से जलन नहीं होती है और ज़हर का असर कम हो जाता है।
नीम के 25 ग्राम तेल में थोडा सा कपूर मिलाकर रखें यह तेल फोडा-फुंसी, घाव आदि में उपयोग रहता है।
गठिया की सूजन पर नीम के तेल की मालिश करें।
नीम के पत्ते कीढ़े मारते हैं, इसलिये पत्तों को अनाज, कपड़ों में रखते हैं।
नीम की 20 पत्तियाँ पीसकर एक कप पानी में मिलाकर पिलाने से हैजा़ ठीक हो जाता है।
निबोरी नीम का फल होता है, इससे तेल निकला जाता है। आग से जले घाव में इसका तेल लगाने से घाव बहुत जल्दी भर जाता है।
नीम का फूल तथा निबोरियाँ खाने से पेट के रोग नहीं होते।
नीम की जड़ को पानी में उबालकर पीने से बुखार दूर हो जाता है।
छाल को जलाकर उसकी राख में तुलसी के पत्तों का रस मिलाकर लगाने से दाग़ तथा अन्य चर्म रोग ठीक होते हैं।
विदेशों में नीम को एक ऐसे पेड़ के रूप में पेश किया जा रहा है, जो मधुमेह से लेकर एड्स, कैंसर और न जाने किस-किस तरह की बीमारियों का इलाज कर सकता है।

Appetite

भूख बढाने के कुछ असरदार नुस्खे....!
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हमारे शरीर की अग्नि खाये गये भोजन को पचाने का काम
करती है,यदि यह अग्नि किसी कारण से मंद पड़ जाये तो भोजन
ठीक तरह से नही पचता है, भोजन के ठीक से नही पचने के कारण
शरीर में कितने ही रोग पैदा हो जाते है,अनियमित खानपान से वायु
पित्त और कफ़ दूषित हो जाते है,जिसकी वजह से भूख लगनी बंद
हो जाती है,और अजीर्ण अपच वायु विकार तथा पित्त
आदि की शिकायतें आने लगती है,भूख लगनी बंद हो जाती है,शरीर
टूटने लगता है, स्वाद बिगड जाता है,पेट में भारीपन महसूस होने
लगता है,पेट खराब होने सेदिमाग खराब रहना चालू
हो जाता है,अथवा समझ लीजिये कि शरीर का पूरा का पूरा तंत्र
ही खराब हो जाता है,इसके लिये मंन्दाग्नि से हमेशा बचना चाहिये
और तकलीफ़ होने पर इन दवाओं का प्रयोग करना चाहिये।
1. * भूख नही लगने पर आधा माशा फ़ूला हुआ
सुहागा एक कप गुनगुने पानी में दो तीन बार लेने से
भूख खुल जाती है।
2. * काला नमक चाटने से गैस खारिज होती है,और भूख
बढती है,यह नमक पेट को भी साफ़ करता है।
3. * हरड का चूर्ण सौंठ और गुड के साथ अथवा सेंधे
नमक के साथ सेवन करने से मंदाग्नि ठीक होती है।
4. * सेंधा नमक,हींग अजवायन और
त्रिफ़ला का समभाग लेकर कूट पीस कर
चूर्ण बना लें,इस चूर्ण के बराबर पुराना गुड लेकर
सारे चूर्ण के अन्दर मिला दें,और
छोटी छोटी गोलियां बना लें,रोजाना ताजे पानी से एक
या दो गोली लेना चालू कर दे,यह गोलियां खाना खाने
के बाद ली जाती है,इससे खाना पचेगा भी और भूख
भी बढेगी।
5. * हरड को नीब की निबोलियों के साथ लेने से भूख
बढती है,और शरीर के चर्म रोगों का भी नाश
होता है।
6. * हरड गुड और सौंठ का चूर्ण बनाकर उसे
थोडा थोडा मट्ठे के साथ रोजाना लेने से भूख खुल
जाती है।
7. * छाछ के रोजाना लेने से मंदाग्नि खत्म हो जाती है।
8. * सोंठ का चूर्ण घी में मिलाकर चाटने से और गरम
जल खूब पीने से भूख खूब लगती है।
9. * रोज भोजन करने से पहले छिली हुई अदरक
को सेंधा नमक लगाकर खाने से भूख बढती है।
10. * लाल मिर्च को नीबू के रस में चालीस दिन तक
खरल करके दो दो रत्ती की गोलियां बना लें,रोज एक
गोली खाने से भूख बढती है।
11. * गेंहूं के चोकर में सेंधा नमक और अजवायन मिलाकर
रोटी बनवायी जाये,इससे भूख बहुत बढती है।
12. * मोठ की दाल मंदाग्नि और बुखार की नाशक है।
13. * डेढ ग्राम सांभर नमक रोज सुबह फ़ांककर
पानी पीलें,मंदाग्नि का नामोनिशान मिट जायेगा।
14. * पके टमाटर की फ़ांके चूंसते रहने से भूख खुल
जाती है।
15. * दो छुहारों का गूदा निकाल कर तीन सौ ग्राम दूध में
पका लें,छुहारों का सत निकलने पर दूध
को पी लें,इससे खाना भी पचता है,और भूख
भी लगती है।
16. * जीरा सोंठ अजवायन छोटी पीपल और काली मिर्च
समभाग में लें,उसमे थोडी सी हींग मिला लें,फ़िर इन
सबको खूब बारीक पीस कर चूर्ण बना लें,इस चूर्ण
का एक चम्मच भाग छाछ मे मिलाकर
रोजाना पीना चालू करें,दो सप्ताह तक लेने
से कैसी भी कब्जियत में फ़ायदा देगा।
17. * भोजन के आधा घंटा पूर्व चुकन्दर गाजर टमाटर
पत्ता गोभी पालक तथा अन्य हरी साग सब्जियां व
फ़लीदार सब्जियों के मिश्रण का रस पीने से भूख
बढती है।
18. * सेब का सेवन करने से भूख भी बढती है और खून
भी साफ़ होता है।
19. * अजवायन चालीस ग्राम सेंधा नमक दस ग्राम
दोनो को कूट पीस कर एक साफ़बोतल में रखलें,इसमे
दो ग्राम चूर्ण रोजाना सवेरे फ़ांक कर ऊपर से
पानी पीलें,इससे भूख भी बढेगी और वात
वाली बीमारियां भी समाप्त होंगी।
20. * एक पाव सौंफ़ पानी में भिगो दें,फ़िर इस पानी में
चौगुनी मिश्री मिलाकर पका लें,इस शरबत को चाटने
से भूख बढती है।
21. * पकी हुई मीठी इमली के पत्ते सेंधा नमक
या काला नमक काली मिर्च और हींग
का काढा बनाकर पीने से मंदाग्नि ठीक हो जाती है।
22. * जायफ़ल का एक ग्राम चूर्ण शहद के साथ चाटने
से जठराग्नि प्रबल होकर मंदाग्नि दूर होती है।
23. * सोंफ़ सोंठ और मिश्री सभी को समान भाग लेकर
ताजे पानी से रोजाना लेना चाहिये इससे पाचन
शक्ति प्रबल होती है।
24. * जवाखार और सोंठ का चूर्ण गरम पानी से लेने से
मंदाग्नि दूर होती है।
25. * लीची को भोजन से पहले लेने से पाचन शक्ति और
भूख में बढोत्तरी होती है।
26. * अनार भी क्षुधा वर्धक होता है,इसका सेवन करने
से भूख बढती है।
27. * नीबू का रस रोजाना पानी में मिलाकर पीने से भूख
बढती है।
28. * आधा गिलास अनन्नास का रस भोजन से पहले
पीने से भूख बढती है।
29. * तरबूज के बीज की गिरी खाने से भूख बढती है।
30. * बील का फ़ल या जूस भी भूख बढाने वाला होता है।
31. * इमली की पत्ती की चटनी बनाकर खाने से भूख
भी बढती है,और खाना भी हजम होता है।

Lemon

रीज़ किए गए नीबू के आश्चर्यजनक परिणाम।
नीबू को स्वच्छ धोकर फ्रीजर में रखिए
8 सॆ 10 घंटे बाद वह बरफ जैसा ठंडा तथा कडा हो जाएगा।
उपयोग मे लाने के लिए उसे कद्दूकस कर लें।
आप जो भी खाएँ उसपर डाल के इसे खा सकते हैं।
इससे खाद्यपदार्थ में एक अलग ही टेस्ट आएगा।
नीबू के रस में विटामिन सी होता है।
ये आप जानते हैं।
आइये देखें इसके और क्या क्या फायदे हैं।
नीबू के छिलके में 5 से 10 गुना अधिक विटामिन सी होता है और
वही हम फेंक देते हैं।
नीबू के छिलके में शरीर कॆ सभी विषद्रव्य को बाहर निकालने
कि क्षमता होती है।
निंबु का छिलका कैंसर का नाश करता है।
यह छिलका कैमोथेरेपी से 10000 गुना ज्यादा प्रभावी है।
यह बैक्टेरियल इन्फेक्शन, फंगस आदि पर भी प्रभावी है।
निंबु का रस विशेषत: छिलका रक्तदाब तथा मानसिक दबाव
नियंत्रीत करता है।
नीबू का छिलका 12 से ज्यादा प्रकार के कैंसर में पूर्ण प्रभावी है
और वो भी बिना किसी साइड इफेक्ट के।
इसलिए आप से प्रार्थना है कि आप अच्छे पके हुए तथा स्वच्छ नीबू
फ्रीज में रखे और कद्दूकस कर प्रतिदिन अपने आहार के साथ प्रयोग
करें।


Joint Pain

‘ज्वाइंट पेन’छु बूढ़े हो या जवान …..
1. पारिजात के 6-7 ताजे पत्ते अदरक के साथ पीस लें और शहद का साथ इसका सेवन करें तो इससे न केवल जोड़ों के दर्द से राहत मिलती है, बल्कि शरीर की अन्य तकलीफें भी खत्म हो जाती हैं। माना जाता है कि इस फॉमरूले का सेवन सायटिका जैसे रोगों से निजात दिलाने में भी बहुत सहायक है।
2. बरसात के दिनों में इंद्रावन के फल का गूदा, नमक और आजवाइन के मिश्रण का सेवन न सिर्फ जोड़ों के दर्द से मुक्ति दिलाता है, बल्कि यह आर्थरायटिस में भी शरीर को काफी लाभ पहुंचाता है।
3. साटोडी के फूल,आबा हल्दी और अदरक की समान मात्रा को मिक्स कर उसका काढ़ा तैयार कर लें। इस काढ़े की दो-तीन चम्मच मात्रा का सेवन करें। इससे भी जोड़ों का दर्द दूर होता है।
4. आदिवासी आमतौर पर अनंतवेल के पत्तों की चाय पीते हैं। अनंतबेल की एक ग्राम जड़ लगभग एक कप चाय के लिए काफी है। अगर दिन में दो बार इसका सेवन किया जाए तो जोड़ों के दर्द से तुरंत निजात मिल जाती है।
5. लगभग 8-10 लहसुन की कली को तेल या घी में तल लें और खाना खाने सेपहले उसे चबाएं। इससे जोड़ों के दर्द से तुरंत आराम मिलता है।
6. डांग जिला गुजरात के हर्बल जानकारों का मानना है कि लहसुन की कलियों को तलकर या गर्म करके कपूर के साथ मिलाकर दर्द वाली जगह पर थोड़ी देर तक मालिश की जाए तो तुरंत आराम मिलता है।
7. आंकडा के ताजी पत्तियों पर सरसों का तेल के साथ लेप तैयार कर लें। इस लेप को हल्का गर्म कर दर्द वाली जगह पर लगाने से भी आराम मिलता है.
8. दालचीनी का 2 ग्राम का चूर्ण एक कप पानी में मिलाकर रोजाना सुबह पिएं। इससे जोड़ों के दर्द में काफी आराम मिलता है। डांग जिले के आदिवासियों के अनुसार यह फॉमरूला डायबिटीज की समस्या से भी निजात दिलाने में सहायक है। आदिवासियों के अनुसार खाने-पीने में भी दालचीनी का उपयोग शरीर को कई तरह की समस्याओं से दूर रखता है।
9. आदिवासी हरी घास, अदरक, दालचीनी और लोंग की समान मात्रा को मिश्रित कर इसकी गोली बनाते हैं। वे इस गोली का नियमित सेवन करते हैं और इसके साथ कम से कम 5 मिली पानी पीने की सलाह देते हैं। यह प्रकिया अगर लगातार एक महीने तक आजमाई जाए तो जोड़ों का दर्द खत्म हो जाता है।
10. पारिजात के 6-7 ताजे पत्ते अदरक के साथ पीस लें और शहद का साथ इसका सेवन करें तो इससे न केवल जोड़ों के दर्द से राहत मिलती है, बल्कि शरीर की अन्य तकलीफें भी खत्म हो जाती हैं। माना जाता है कि इस फॉमरूले का सेवन सायटिका जैसे रोगों से निजात दिलाने में भी बहुत सहायक है।

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