एक बार किसी देश का राजा अपनी प्रजा का हाल-चाल पूछने के लिए गाँवो में घूम रहा था। घूमते-घूमते उसके कुर्ते का बटन टूट गया। उसने अपने मंत्री को कहा कि, पता करो कि इस गाँव में कौन सा दर्जी हैं, जो मेरे बटन को सिल सके। मंत्री ने पता किया। उस गाँव में सिर्फ एक ही दर्जी था, जो कपडे सिलने का काम करता था।
उसको राजा के सामने ले जाया गया। राजा ने कहा, क्य़ा तुम मेरे कुर्ते का बटन सी सकते हो?
दर्जी ने कहा, यह कोई मुश्किल काम थोड़े ही है। उसने मंत्री से बटन ले लिया। धागे से उसने राजा के कुर्ते का बटन फोरन सी दिया, क्योंकि बटन भी राजा के पास था। सिर्फ उसको अपना धागे का प्रयोग करना था।
राजा ने दर्जी से पूछा कि, कितने पैसे दू? उसने कहा, महाराज रहने दो, छोटा सा काम था। उसने मन में सोचा कि बटन भी राजा के पास था, उसने तो सिर्फ धागा ही लगाया हैं।
राजा ने फिर से दर्जी को कहा, कि नहीं नहीं बोलो कितनीे माया दूँ। दर्जी ने सोचा कि 2 रूपये मांग लेता हूँ, फिर मन में सोचा कि कहीं राजा यह ने सोच लें कि बटन टाँगने के मुझ से 2 रुपये ले रहा हैं, तो गाँव वालों से कितना लेता होगा। क्योंकि उस जमाने में २ रुपये की कीमत बहुत होती थी।
दर्जी ने राजा से कहा कि महाराज जो भी आपको उचित लगे वह दे दो।
अब था तो राजा ही, उसने अपने हिसाब से देना था। कहीं देने में उसकी पोजीशन ख़राब न हो जाये।
उसने अपने मंत्री से कहा कि, इस दर्जी को २ गाँव दे दों, यह हमारा हुकम है।
कहाँ वो दर्जी सिर्फ २ रुपये की मांग कर रहा था और कहाँ राजा ने उसको २ गाँव दे दिए।
जब हम प्रभु पर सब कुछ छोड़ देते हैं, तो वह अपने हिसाब से देते हैं। सिर्फ हम मांगने में कमी कर जाते है। देने वाला तो पता नही क्या देना चाहता हैं ????
इसलिए ईश्वर के चरणों पर अपने आपको अर्पण कर दों। फिर देखो उनकी लीला..
Tuesday, June 2, 2015
7 chakra of Human Body
7 chakra of Human Body
★★चक्रों की जानकारी★★
1. मूलाधार चक्र :
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यह शरीर का पहला चक्र है।
गुदा और लिंग के बीच चार पंखुरियों वाला यह "आधार चक्र" है।
99.9% लोगों की चेतना इसी चक्र पर अटकी रहती है और वे इसी चक्र में रहकर मर जाते हैं। जिनके जीवन में भोग, संभोग और निद्रा की प्रधानता है, उनकी ऊर्जा इसी चक्र के आसपास एकत्रित रहती है।
मंत्र : "लं"
चक्र जगाने की विधि:
मनुष्य तब तक पशुवत् है, जब तक कि वह इस चक्र में जी रहा है। इसीलिए भोग, निद्रा और संभोग पर संयम रखते हुए इस चक्र पर लगातार ध्यान लगाने से यह चक्र जाग्रत होने लगता है। इसको जाग्रत करने का दूसरा नियम है, यम और नियम का पालन करते हुए साक्षी भाव में रहना।
प्रभाव :
इस चक्र के जाग्रत होने पर व्यक्ति के भीतर वीरता, निर्भीकता और आनंद का भाव जाग्रत हो जाते है। सिद्धियाँ प्राप्त करने के लिए वीरता, निर्भीकता और जागरूकता का होना जरूरी है।
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2. स्वाधिष्ठान चक्र :
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यह वह चक्र है, जो लिंग मूल से चार अंगुल ऊपर स्थित है।
जिसकी छ पंखुरियां हैं।
अगर आपकी ऊर्जा इस चक्र पर ही एकत्रित है, तो आपके जीवन में आमोद-प्रमोद, मनोरंजन, घूमना-फिरना और मौज-मस्ती करने की प्रधानता रहेगी। यह सब करते हुए ही आपका जीवन कब व्यतीत हो जाएगा आपको पता भी नहीं चलेगा और हाथ फिर भी खाली रह जाएंगे।
मंत्र : "वं"
कैसे जाग्रत करें :
जीवन में मनोरंजन जरूरी है, लेकिन मनोरंजन की आदत नहीं। मनोरंजन भी व्यक्ति की चेतना को बेहोशी में धकेलता है। फिल्म सच्ची नहीं होती। लेकिन उससे जुड़कर आप जो अनुभव करते हैं, वह आपके बेहोश जीवन जीने का प्रमाण है। आप जानते हैं, नाटक और मनोरंजन सच नहीं होते।
प्रभाव :
इसके जाग्रत होने पर क्रूरता, गर्व, आलस्य, प्रमाद, अवज्ञा, अविश्वास आदि दुर्गणों का नाश होता है। सिद्धियाँ प्राप्त करने के लिए जरूरी है कि उक्त सारे दुर्गुण समाप्त हो, तभी सिद्धियाँ आपका द्वार खटखटाएंगी।
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3. मणिपुर चक्र :
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नाभि के मूल में स्थित रक्त वर्ण का यह चक्र शरीर के अंतर्गत "मणिपुर" नामक तीसरा चक्र है।
जो दस कमल पंखुरियों से युक्त है।
जिस व्यक्ति की चेतना या ऊर्जा यहां एकत्रित है, उसे काम करने की धुन-सी रहती है। ऐसे लोगों को कर्मयोगी कहते हैं। ये लोग दुनिया का हर कार्य करने के लिए तैयार रहते हैं।
मंत्र : "रं"
कैसे जाग्रत करें :
आपके कार्य को सकारात्मक आयाम देने के लिए इस चक्र पर ध्यान लगाएंगे। पेट से श्वास लें।
प्रभाव :
इसके सक्रिय होने से तृष्णा, ईर्ष्या, चुगली, लज्जा, भय, घृणा, मोह आदि कषाय-क्लेश दूर हो जाते हैं। यह चक्र मूल रूप से आत्मशक्ति प्रदान करता है। सिद्धियाँ प्राप्त करने के लिए आत्मवान होना जरूरी है। आत्मवान होने के लिए यह अनुभव करना जरूरी है कि आप शरीर नहीं, आत्मा हैं। आत्मशक्ति, आत्मबल और आत्मसम्मान के साथ जीवन का कोई भी लक्ष्य दुर्लभ नहीं।
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4. अनाहत चक्र :
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हृदय स्थल में स्थित स्वर्णिम वर्ण का द्वादश दल कमल की पंखुड़ियों से युक्त द्वादश स्वर्णाक्षरों से सुशोभित चक्र ही "अनाहत चक्र" है।
अगर आपकी ऊर्जा अनाहत में सक्रिय है, तो आप एक सृजनशील व्यक्ति होंगे। हर क्षण आप कुछ न कुछ नया रचने की सोचते हैं। आप चित्रकार, कवि, कहानीकार, इंजीनियर आदि हो सकते हैं।
मंत्र : "यं"
कैसे जाग्रत करें :
हृदय पर संयम करने और ध्यान लगाने से यह चक्र जाग्रत होने लगता है। खासकर रात्रि को सोने से पूर्व इस चक्र पर ध्यान लगाने से यह अभ्यास से जाग्रत होने लगता है और "सुषुम्ना" इस चक्र को भेदकर ऊपर गमन करने लगती है।
प्रभाव :
इसके सक्रिय होने पर लिप्सा, कपट, हिंसा, कुतर्क, चिंता, मोह, दंभ, अविवेक और अहंकार आदि समाप्त हो जाते हैं। इस चक्र के जाग्रत होने से व्यक्ति के भीतर प्रेम और संवेदना का जागरण होता है। इसके जाग्रत होने पर व्यक्ति के समक्ष ज्ञान स्वत: ही प्रकट होने लगता है। व्यक्ति अत्यंत आत्मविश्वस्त, सुरक्षित, चारित्रिक रूप से जिम्मेदार एवं भावनात्मक रूप से संतुलित व्यक्तित्व बन जाता हैं। ऐसा व्यक्ति अत्यंत हितैषी एवं बिना किसी स्वार्थ के मानवता प्रेमी एवं सर्व प्रिय बन जाता है।
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5. विशुद्ध चक्र :
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कंठ में सरस्वती का स्थान है, जहां "विशुद्ध चक्र" है और जो सोलह पंखुरियों वाला है।
सामान्यतौर पर यदि आपकी ऊर्जा इस चक्र के आसपास एकत्रित है, तो आप अति शक्तिशाली होंगे।
मंत्र : "हं"
कैसे जाग्रत करें :
कंठ में संयम करने और ध्यान लगाने से यह चक्र जाग्रत होने लगता है।
प्रभाव :
इसके जाग्रत होने पर सोलह कलाओं और सोलह विभूतियों का ज्ञान हो जाता है। इसके जाग्रत होने से जहां भूख और प्यास को रोका जा सकता है। वहीं मौसम के प्रभाव को भी रोका जा सकता है।
●●●●●●●● 6. आज्ञाचक्र :
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भ्रूमध्य (दोनों आंखों के बीच भृकुटि में)
में "आज्ञा-चक्र" है और जो दो पंखुरियों वाला है।
सामान्यतौर पर जिस व्यक्ति की ऊर्जा यहां ज्यादा सक्रिय है, तो ऐसा व्यक्ति बौद्धिक रूप से संपन्न, संवेदनशील और तेज दिमाग का बन जाता है। लेकिन वह सब कुछ जानने के बावज़ूद मौन रहता है। इसे "बौद्धिक सिद्धि" कहते हैं।
मंत्र : "ऊं"
कैसे जाग्रत करें :
भृकुटि के मध्य में ध्यान लगाते हुए साक्षी भाव में रहने से यह चक्र जाग्रत होने लगता है।
प्रभाव :
यहां अपार शक्तियाँ और सिद्धियाँ निवास करती हैं। इस "आज्ञा चक्र" का जागरण होने से ये सभी शक्तियाँ जाग पड़ती हैं और व्यक्ति एक सिद्धपुरुष बन जाता है।
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7. सहस्रार चक्र :
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"सहस्रार" की स्थिति मस्तिष्क के मध्य भाग में है अर्थात् जहां चोटी रखते हैं। यदि व्यक्ति यम, नियम का पालन करते हुए यहां तक पहुंच गया है तो वह आनंदमय शरीर में स्थित हो गया है। ऐसे व्यक्ति को संसार, संन्यास और सिद्धियों से कोई मतलब नहीं रहता है।
कैसे जाग्रत करें :
"मूलाधार" से होते हुए ही "सहस्रार" तक पहुंचा जा सकता है। लगातार ध्यान करते रहने से यह "चक्र" जाग्रत हो जाता है और व्यक्ति परमहंस के पद को प्राप्त कर लेता है।
प्रभाव :
शरीर संरचना में इस स्थान पर अनेक महत्वपूर्ण विद्युतीय और जैवीय विद्युत का संग्रह है। यही "मोक्ष" का द्वार है।।
Rajiv Dixit related
जरूरी सुचना किसान भाइयों के लिये ।।
जो भाई जैविक खेती की करना चाहते हैं या कर रहे हैं वो एक बार डॉक्टर दत्तात्रय कुलकर्णी जी के पास तीन चार दिन के अंदर उनके पास एक महीने की प्रेक्टिकली ट्रेनिग लेकर आएं ये आपको बिलकुल निषुल्क सिखाई जायेगी वहां रहना खाना फ्री है ये व्ही कुलकर्णी जी हैं जो राजीव भाई की टीम में साथी रहे हैं 20 साल तक और राजीव भाई ने जिक्र भी किया है की इन्होंने एक महीने तक गोबर गेन्स से एक जज की गाड़ी भी चलाई ।
और क्या क्या खास बात है इनके तीन एकड़ के मॉडल फार्म गौ आधारित जैविक खेती की ।
1 ये वर्ल्ड का पहला तीन एकड़ का जैविक खेती का मॉडल फार्म होगा जहां पर आप कई प्रकार के फल के व्रक्ष कई प्रकार की सब्जियां कई प्रकार का चारा और अनाज की भरपूर पैदा ले सकते हैं ।
2 आप पांच से दस गोवंश रख सकते हैं जो खुली रहेगी और सुद्ध चारा खायेगी ।
3 आप इनके गोबर से गोबर गेन्स प्लांट लगा सकते हैं जो एक दो तीन के तहत होगा और इससे आप डेली की 25 किलो तक गेन्स ले सकते हैं
4 आप यहां पंचगव्य आयुर्वेदः और होमियोपेथी का ज्ञान ले सकते हैं ।
5 यहां आप गौ वन्स की पहचान और उसका वंशवर्धन की भी जानकारी ले सकते हैं ये सब आपको गुरु शिष्य परम्परा के तहत शिखाया जायेगा ।
सम्पर्क सूत्र है 9729129129 और 9742852988
भाइयो देश और किसान भाई के लिये पोस्ट को आगे शेयर जरूर करें क्यों की डॉक्टर कुलकर्णी जी ने राजीव भाई के अधूरे कार्य को पूरा कर रहे हैं और इन्होंने भी राजीव भाई की तरह आजीवन ब्रह्मचारिय पालन और देश सेवा के लिये जीवन दिया है
क्या आप देश,समाज के लिए कुछ करना चाहते है ?
क्या आप स्वदेशी के समर्थक है?
क्या आप राजीव भाई के सपनो को पूरा करना चाहते है? तो तुरन्त सम्पर्क करे।
जो भाई स्वदेशी का,राजीव भाई के विचारो का ,जैविक कृषि का एवं गौविज्ञान का प्रचार -प्रसार करना चाहते है।
अच्छा पारिश्रमिक(salary)मिलेगा तुरंत संपर्क करे।1-2 दिन मे बैठक होनी है।
प्रशिक्षण भी दिया जायेगा,चाहे तो अपना काम भी कर सकते है।
गव्यसिद्ध ज्ञानेन्द्र प्रकाश
09899992058
कार्य क्षेत्र दिल्ली NCR
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और क्या क्या खास बात है इनके तीन एकड़ के मॉडल फार्म गौ आधारित जैविक खेती की ।
1 ये वर्ल्ड का पहला तीन एकड़ का जैविक खेती का मॉडल फार्म होगा जहां पर आप कई प्रकार के फल के व्रक्ष कई प्रकार की सब्जियां कई प्रकार का चारा और अनाज की भरपूर पैदा ले सकते हैं ।
2 आप पांच से दस गोवंश रख सकते हैं जो खुली रहेगी और सुद्ध चारा खायेगी ।
3 आप इनके गोबर से गोबर गेन्स प्लांट लगा सकते हैं जो एक दो तीन के तहत होगा और इससे आप डेली की 25 किलो तक गेन्स ले सकते हैं
4 आप यहां पंचगव्य आयुर्वेदः और होमियोपेथी का ज्ञान ले सकते हैं ।
5 यहां आप गौ वन्स की पहचान और उसका वंशवर्धन की भी जानकारी ले सकते हैं ये सब आपको गुरु शिष्य परम्परा के तहत शिखाया जायेगा ।
सम्पर्क सूत्र है 9729129129 और 9742852988
भाइयो देश और किसान भाई के लिये पोस्ट को आगे शेयर जरूर करें क्यों की डॉक्टर कुलकर्णी जी ने राजीव भाई के अधूरे कार्य को पूरा कर रहे हैं और इन्होंने भी राजीव भाई की तरह आजीवन ब्रह्मचारिय पालन और देश सेवा के लिये जीवन दिया है
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जो भाई स्वदेशी का,राजीव भाई के विचारो का ,जैविक कृषि का एवं गौविज्ञान का प्रचार -प्रसार करना चाहते है।
अच्छा पारिश्रमिक(salary)मिलेगा तुरंत संपर्क करे।1-2 दिन मे बैठक होनी है।
प्रशिक्षण भी दिया जायेगा,चाहे तो अपना काम भी कर सकते है।
गव्यसिद्ध ज्ञानेन्द्र प्रकाश
09899992058
कार्य क्षेत्र दिल्ली NCR
Sunday, April 19, 2015
Rajiv Dixit Research
गर्म पानी के फायदे
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अगर आप स्किन प्रॉब्लम्स से परेशान हैं या ग्लोइंग स्किन के लिए तरह-तरह के कॉस्मेटिक्स यूज करके थक चूके हैं तो रोजाना एक गिलास गर्म पानी पीना शुरू कर दें। आपकी स्किन प्रॉब्लम फ्री हो जाएगी व ग्लो करने लगेगी।
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लड़कियों को पीरियड्स के दौरान अगर पेट दर्द हो तो ऐसे में एक गिलास गुनगुना पानी पीने से राहत मिलती है। दरअसल इस दौरान होने वाले पैन में मसल्स में जो खिंचाव होता है उसे गर्म पानी रिलैक्स कर देता है।
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गर्म पानी पीने से शरीर के विषैले तत्व बाहर हो जाते हैं। सुबह खाली पेट व रात्रि को खाने के बाद पानी पीने से पाचन संबंधी दिक्कते खत्म हो जाती है व कब्ज और गैस जैसी समस्याएं परेशान नहीं करती हैं।
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भूख बढ़ाने में भी एक गिलास गर्म पानी बहुत उपयोगी है। एक गिलास गर्म पानी में एक नींबू का रस और काली मिर्च व नमक डालकर पीएं। इससे पेट का भारीपन कुछ ही समय में दूर हो जाएगा।
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खाली पेट गर्म पानी पीने से मूत्र से संबंधित रोग दूर हो जाते हैं। दिल की जलन कम हो जाती है। वात से उत्पन्न रोगों में गर्म पानी अमृत समान फायदेमंद हैं।
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गर्म पानी के नियमित सेवन से ब्लड सर्कुलेशन भी तेज होता है। दरअसल गर्म पानी पीने से शरीर का तापमान बढ़ता है। पसीने के माध्यम से शरीर की सारे जहरीले तत्व बाहर हो जाते हैं।
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बुखार में प्यास लगने पर मरीज को ठंडा पानी नहीं पीना चाहिए। गर्म पानी ही पीना चाहिए बुखार में गर्म पानी अधिक लाभदायक होता है।
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यदि शरीर के किसी हिस्से में गैस के कारण दर्द हो रहा हो तो एक गिलास गर्म पानी पीने से गैस बाहर हो जाती है।
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अधिकांश पेट की बीमारियां दूषित जल से होती हैं यदि पानी को गर्म कर फिर ठंडा कर पीया जाए तो जो पेट की कई अधिकांश बीमारियां पनपने ही नहीं पाएंगी।
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गर्म पानी पीना बहुत उपयोगी रहता है इससे शक्ति का संचार होता है। इससे कफ और सर्दी संबंधी रोग बहुत जल्दी दूर हो जाते हैं।
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दमा ,हिचकी ,खराश आदि रोगों में और तले भुने पदार्थों के सेवन के बाद गर्म पानी पीना बहुत लाभदायक होता है।
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सुबह खाली पेट एक गिलास गर्म पानी में एक नींबू मिलाकर पीने से शरीर को विटामिन सी मिलता है। गर्म पानी व नींबू का कॉम्बिनेशन शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करता है।साथ ही पी.एच. का स्तर भी सही बना रहता है।
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रोजाना एक गिलास गर्म पानी सिर के सेल्स के लिए एक गजब के टॉनिक का काम करता है। सिर के स्केल्प को हाइड्रेट करता है जिससे स्केल्प ड्राय होने की प्रॉब्लम खत्म हो जाती है।
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वजन घटाने में भी गर्म पानी बहुत मददगार होता है। खाने के एक घंटे बाद गर्म पानी पीने से मेटॉबालिम्म बढ़ता है। यदि गर्म पानी में थोड़ा नींबू व कुछ बूंदे शहद की मिला ली जाएं तो इससे बॉडी स्लिम हो जाती है।
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हमेशा जवान दिखते रहने की चाहत रखने वाले लोगों के लिए गर्म पानी एक बेहतरीन औषधि का काम करता है।
अगर अपने दोस्तो से प्यार है तो सभी दोस्तो को सेन्ड करे वरना ये मेसेज आपके लिये फिजूल है
■■Dr.Bharat oswal
सफेद बालों को काला करने के घरेलू नुस्खे वर्तमान समय में भाग दौड़ भरी जिंदगी में, बालों की ठीक से देखभाल न हो पाने और प्रदूषण के कारणहमारे बाल असमय ही सफेद हो जाते है।हालांकि बाल तनाव, प्रदूषण कोई बीमारी या फिर अनुवांशिकता के कारण से भी सफेद हो सकते हैं।बालों को कलर करना इस समस्या का कोई उपचार नहीं हैं। लेकिन आप कुछ घरेलू उपचार आजमा अपने बालों को सफेद होने से अवश्य ही रोक सकते हैं। आइए हम कुछ ऐसे ही आसान घरेलू उपचार बता रहे है जिन्हे आजमा कर आप अपने सफेद बालों को पुन: काला बना पाएंगे। *कुछ दिनों तक, नहाने से 1/2 घंटा पहले रोजाना सिर में प्याज का पेस्ट लगाएं। इससे बाल काले होने लगेंगे। *सप्ताह में कम से कम 3 दिन दस मिनट का कच्चे पपीता का पेस्ट सिर में लगाएं। इससे बाल नहीं झड़ेंगे और डेंड्रफ भी नहीं होगी और बाल काले भी होने लगेंगे । *भृंगराज और अश्वगंधा की जड़ें बालों के लिए वरदान मानी जाती हैं। इनका पेस्ट नारियल के तेल के साथ बालों की जड़ों में लगाएं और 1 घंटे बाद गुनगुने पानी से अच्छीं तरह से बाल धो लें। इससे भी बाल काले होते है। *नीबू के रस में आंवला पाउडर मिलाकर उसे सिर पर लगाने से भी सफेद बाल काले हो जाते हैं। *प्रतिदिन शुद्ध घी से सिर की मालिश करके भी सफेद बालों को काला किया जा सकता है । *अदरक को कद्दूकस कर शहद के रस में मिला लें। इसे बालों पर कम से कम सप्ताह में दो बार नियमित रूप से लगाएं। बालों का सफ़ेद होना कम हो जाएगा। *दही के साथ टमाटर को पीस लें। उसमें थोड़ा-सा नींबू रस और नीलगिरी का तेल मिलाएं। इससे सिर की मालिश सप्ताह में दो बार करें। बाल लंबी उम्र तक काले और घने बने रहेंगे। *1/2 कप नारियल तेल या जैतून के तेल को हल्का गर्म करें। इसमें 4 ग्राम कर्पूर मिला कर इस तेल से मालिश करें। इसकी मालिश सप्ताह में एक बार जरूर करनी चाहिए। कुछ ही समय में रूसी खत्म हो जाएगी, बाल भी क
कैसा भी बवासीर हो---- * 15 ग्राम काले तिल पिसकर, 10-15 ग्राम मख्खन के साथ मिलाकर सुबह सुबह खा लो । कैसा भी बवासीर हो मिट जाता है । * जिनको बवासीर है, शौच वाली जगह से जिनको खून आता है, वे २ नींबू का रस निकालकर, छान लें और एनिमा के साधन से शौच वाली जगह से एनिमा द्वारा नींबू का रस लें और १० मिनट सिकोड़ कर सोये रहें । इतने में वो नींबू गर्मी खींच लेगा और शौच होगा । हफ्ते में ३-४ बार करें.......कैसा भी बवासीर हो......... नीम के पके हुए फल को छाया में सुखाकर इसके फल का चूर्ण बना लें। 5 ग्राम चूर्ण सुबह जल के साथ खाने से बवासीर रोग ठीक होता है। लगभग 50 मिलीलीटर नीम का तेल, कच्ची फिटकरी 3 ग्राम, चौकिया सुहागा 3 ग्राम को बारीक पीस लें। शौच के बाद इस लेप को उंगली से गुदा के भीतर तक लगाने से कुछ ही दिनों में बवासीर के मस्से मिट जाते हैं। नीम के बीज, बकायन की सूखी गिरी, छोटी हरड़, शुद्ध रसौत 50-50 ग्राम, घी में भूनी हींग 30 ग्राम को बारीक पीसकर चूर्ण बनाकर उसमें 50 ग्राम बीज निकली हुई मुनक्का को घोंटकर छोटी- छोटी गोलियां बना लें, 1 से 4 गोली को दिन में 2 बार बकरी के दूध के साथ या ताजे लेने से बवासीर में लाभ मिलता हैं, और खूनी बवासीर में खून का गिरना बन्द हो जाता है। नीम की गिरी का तेल 2-5 बूंद तक शक्कर (चीनी) के साथ खाने से या कैप्सूल में भर कर निगलने से लाभ मिलता है। इसके सेवन के समय केवल दूध और भात का प्रयोग करें। नीम के बीज की गिरी, एलुआ और रसौत को बराबर भाग में कूटकर झड़बेरी जैसी गोंलियां बनाकर रोजाना सुबह 1-1 गोली नीम के रस के साथ बवासीर में लेने से आराम मिलता है। नीम के बीजों की गिरी 100 ग्राम और नीम के पेड़ की छाल 200 ग्राम को पीसकर 1-1 ग्राम की गोलियां बनाकर 4-4 गोली दिन में 4 बार 7 दिन तक खिलाने से तथा नीम के काढ़े से मस्सों को धोने से या नीम के पत्तों की लुगदी को मस्सों पर बांधने से लाभ मिलता है। 100 ग्राम सूखी नीम की निबौली 50 मिलीलीटर तिल के तेल में तलकर पीस लें, बाकी बचे तेल में 6 ग्राम मोम, 1 ग्राम फूला हुआ नीला थोथा मिलाकर मलहम या लेप बनाकर दिन में 2 से 3 बार मस्सों पर लगाने से मस्सें दूर हो जातें हैं। फिटकरी का फूला 2 ग्राम और सोना गेरू 3 ग्राम, नीम के बीज की गिरी 20 ग्राम में घी या मक्खन मिलाकर या गिरी का तेल मिलाकर घोट लें, इसे मस्सों पर लगाने से दर्द तुरन्त दूर होता हैं और खून का बहना बन्द होता है। 50 ग्राम कपूर, नीम के बीज की गिरी 50 ग्राम को दोनों का तेल निकालकर थोड़ी- सी मात्रा में मस्सों पर लगाने से मस्सें सूखने लगते हैं। नीम की गिरी, रसौत, कपूर व सोना गेरू को पानी पीसकर लेप करें या इस लेप को एरण्ड के तेल में घोंटकर मलहम (लेप) करने से मस्से सूख जाते हैं। नीम के पेड़ की 21 पत्तियों को भिगोई हुई मूंग की दाल के साथ पीसकर, बिना मसाला डालें, घी में पकाकर 21 दिन तक खाने से और खाने में छाछ और अधिक भूख लगने पर भात खाने से बवासीर में लाभ हो जाता है। ध्यान रहे कि नमक का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए। नीम के बीजों को तेल में तलकर, उसी में खूब बारीक पीस लें। इसके बाद फुलाया हुआ तूतिया डालकर मस्सों पर लेप करना चाहिए। पकी नीम की निबौंली के रस में 6 ग्राम गुड़ को मिलाकर रोजाना सुबह सात दिन तक खाने से बवासीर नष्ट हो जाता है।
+91 91 75 910252
सफेद बालों को काला करने के घरेलू नुस्खे वर्तमान समय में भाग दौड़ भरी जिंदगी में, बालों की ठीक से देखभाल न हो पाने और प्रदूषण के कारणहमारे बाल असमय ही सफेद हो जाते है।हालांकि बाल तनाव, प्रदूषण कोई बीमारी या फिर अनुवांशिकता के कारण से भी सफेद हो सकते हैं।बालों को कलर करना इस समस्या का कोई उपचार नहीं हैं। लेकिन आप कुछ घरेलू उपचार आजमा अपने बालों को सफेद होने से अवश्य ही रोक सकते हैं। आइए हम कुछ ऐसे ही आसान घरेलू उपचार बता रहे है जिन्हे आजमा कर आप अपने सफेद बालों को पुन: काला बना पाएंगे। *कुछ दिनों तक, नहाने से 1/2 घंटा पहले रोजाना सिर में प्याज का पेस्ट लगाएं। इससे बाल काले होने लगेंगे। *सप्ताह में कम से कम 3 दिन दस मिनट का कच्चे पपीता का पेस्ट सिर में लगाएं। इससे बाल नहीं झड़ेंगे और डेंड्रफ भी नहीं होगी और बाल काले भी होने लगेंगे । *भृंगराज और अश्वगंधा की जड़ें बालों के लिए वरदान मानी जाती हैं। इनका पेस्ट नारियल के तेल के साथ बालों की जड़ों में लगाएं और 1 घंटे बाद गुनगुने पानी से अच्छीं तरह से बाल धो लें। इससे भी बाल काले होते है। *नीबू के रस में आंवला पाउडर मिलाकर उसे सिर पर लगाने से भी सफेद बाल काले हो जाते हैं। *प्रतिदिन शुद्ध घी से सिर की मालिश करके भी सफेद बालों को काला किया जा सकता है । *अदरक को कद्दूकस कर शहद के रस में मिला लें। इसे बालों पर कम से कम सप्ताह में दो बार नियमित रूप से लगाएं। बालों का सफ़ेद होना कम हो जाएगा। *दही के साथ टमाटर को पीस लें। उसमें थोड़ा-सा नींबू रस और नीलगिरी का तेल मिलाएं। इससे सिर की मालिश सप्ताह में दो बार करें। बाल लंबी उम्र तक काले और घने बने रहेंगे। *1/2 कप नारियल तेल या जैतून के तेल को हल्का गर्म करें। इसमें 4 ग्राम कर्पूर मिला कर इस तेल से मालिश करें। इसकी मालिश सप्ताह में एक बार जरूर करनी चाहिए। कुछ ही समय में रूसी खत्म हो जाएगी, बाल भी क
कैसा भी बवासीर हो---- * 15 ग्राम काले तिल पिसकर, 10-15 ग्राम मख्खन के साथ मिलाकर सुबह सुबह खा लो । कैसा भी बवासीर हो मिट जाता है । * जिनको बवासीर है, शौच वाली जगह से जिनको खून आता है, वे २ नींबू का रस निकालकर, छान लें और एनिमा के साधन से शौच वाली जगह से एनिमा द्वारा नींबू का रस लें और १० मिनट सिकोड़ कर सोये रहें । इतने में वो नींबू गर्मी खींच लेगा और शौच होगा । हफ्ते में ३-४ बार करें.......कैसा भी बवासीर हो......... नीम के पके हुए फल को छाया में सुखाकर इसके फल का चूर्ण बना लें। 5 ग्राम चूर्ण सुबह जल के साथ खाने से बवासीर रोग ठीक होता है। लगभग 50 मिलीलीटर नीम का तेल, कच्ची फिटकरी 3 ग्राम, चौकिया सुहागा 3 ग्राम को बारीक पीस लें। शौच के बाद इस लेप को उंगली से गुदा के भीतर तक लगाने से कुछ ही दिनों में बवासीर के मस्से मिट जाते हैं। नीम के बीज, बकायन की सूखी गिरी, छोटी हरड़, शुद्ध रसौत 50-50 ग्राम, घी में भूनी हींग 30 ग्राम को बारीक पीसकर चूर्ण बनाकर उसमें 50 ग्राम बीज निकली हुई मुनक्का को घोंटकर छोटी- छोटी गोलियां बना लें, 1 से 4 गोली को दिन में 2 बार बकरी के दूध के साथ या ताजे लेने से बवासीर में लाभ मिलता हैं, और खूनी बवासीर में खून का गिरना बन्द हो जाता है। नीम की गिरी का तेल 2-5 बूंद तक शक्कर (चीनी) के साथ खाने से या कैप्सूल में भर कर निगलने से लाभ मिलता है। इसके सेवन के समय केवल दूध और भात का प्रयोग करें। नीम के बीज की गिरी, एलुआ और रसौत को बराबर भाग में कूटकर झड़बेरी जैसी गोंलियां बनाकर रोजाना सुबह 1-1 गोली नीम के रस के साथ बवासीर में लेने से आराम मिलता है। नीम के बीजों की गिरी 100 ग्राम और नीम के पेड़ की छाल 200 ग्राम को पीसकर 1-1 ग्राम की गोलियां बनाकर 4-4 गोली दिन में 4 बार 7 दिन तक खिलाने से तथा नीम के काढ़े से मस्सों को धोने से या नीम के पत्तों की लुगदी को मस्सों पर बांधने से लाभ मिलता है। 100 ग्राम सूखी नीम की निबौली 50 मिलीलीटर तिल के तेल में तलकर पीस लें, बाकी बचे तेल में 6 ग्राम मोम, 1 ग्राम फूला हुआ नीला थोथा मिलाकर मलहम या लेप बनाकर दिन में 2 से 3 बार मस्सों पर लगाने से मस्सें दूर हो जातें हैं। फिटकरी का फूला 2 ग्राम और सोना गेरू 3 ग्राम, नीम के बीज की गिरी 20 ग्राम में घी या मक्खन मिलाकर या गिरी का तेल मिलाकर घोट लें, इसे मस्सों पर लगाने से दर्द तुरन्त दूर होता हैं और खून का बहना बन्द होता है। 50 ग्राम कपूर, नीम के बीज की गिरी 50 ग्राम को दोनों का तेल निकालकर थोड़ी- सी मात्रा में मस्सों पर लगाने से मस्सें सूखने लगते हैं। नीम की गिरी, रसौत, कपूर व सोना गेरू को पानी पीसकर लेप करें या इस लेप को एरण्ड के तेल में घोंटकर मलहम (लेप) करने से मस्से सूख जाते हैं। नीम के पेड़ की 21 पत्तियों को भिगोई हुई मूंग की दाल के साथ पीसकर, बिना मसाला डालें, घी में पकाकर 21 दिन तक खाने से और खाने में छाछ और अधिक भूख लगने पर भात खाने से बवासीर में लाभ हो जाता है। ध्यान रहे कि नमक का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए। नीम के बीजों को तेल में तलकर, उसी में खूब बारीक पीस लें। इसके बाद फुलाया हुआ तूतिया डालकर मस्सों पर लेप करना चाहिए। पकी नीम की निबौंली के रस में 6 ग्राम गुड़ को मिलाकर रोजाना सुबह सात दिन तक खाने से बवासीर नष्ट हो जाता है।
आयुर्वेद के अनुसार विरूध्दाहार- (जिन पदार्थो के साथ-साथ सेवन से रोग उत्पन्न होने की सम्भावना होती है, उनका विवरण).............. आयुर्वेदानुसार जिस प्रकार पथ्य या हितकारी आहार के सेवन से स्वास्थ्य की रक्षा होती है
8:34 AM
उसीप्रकार अपथ्य या अहितकारी आहार से स्वास्थ्य का नाश होता है ! कुछ खाद्य-पदार्थ प्रकृती से ही दोषों का प्रकोप करने वाले,रोग कारक,भारी आदि होने से अपथ्य होते है! लेकिन जब इन्ही पदार्थो को किसी अन्य खाद्य-पदार्थ के साथ लिया जाए अथवा किसी विशेष समय या किसी विशेष वस्तु मे पका कर सेवन किया जाए, तो ये लाभ के स्थान पर हानी पहुँचाते है,ये ही विरूध्दाहार कहलाते है !
8:34 AM
ये विरूध्दाहार अनेक प्रकार के होते है, जैसे-
दुध के साथ - दही, नमक,मुली,मुली के पत्ते, अन्य कच्चे सलाद, सहिजन,इमली,खरबुजा, बेलफल,निंबू,करौंदा,जामुन,अनार,आँवला,गुड,तिलकुट,कुलथी,उडद,मोठ,सत्तु,तेल तथा अन्य प्रकार के खट्टे फल या खटाई,मछली आदि का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकर है !
8:34 AM
दही के साथ- खीर,दुध,पनीर,गर्म पदार्थ, गर्म भोजन,खीरा,खरबुजा, ताडफल आदि का सेवन विरूध्दाहार है!
खीर के साथ- कटहल, खटाई(दही,निंबु,आदि) सत्तु, शराब आदि का सद वन विरूध्दाहार है !
शहद के साथ- घी(समान मात्रा मे) वर्षा का जल, तेल, अंगुर, कमल का बीज, मुली,ज्यादा गर्म जल,गर्म दुध या अन्य गर्म पदार्थ! शहद को गर्म करके सेवन करना निषिध्द है !
शीतल जल के साथ - घी तेल,तरबुज,अमरूद, खीरा,मुंगफली आदि का सेवन विरूध्दाहार है !
गर्म जल या गर्म पेय के साथ - शहद ,कुल्फी,आईसक्रिम, व अन्य शितल पदार्थ का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकर है !
खरबूजा के साथ - लहसुन,दही, दुध, मुली के पत्ते,पानी आदि का सेवन अहितकर है !
चावल के साथ सिरके का सेवन अहितकर है !
उडद की दाल के साथ - मुली का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानीकर है !
केले के साथ - तक्र(मट्ठा) का सेवन विरूध्दाहार है !
घी- कॉंसे के बर्तन मे दस दिन या अधिक समय तक रखा हुवा घी विषाक्त हो जाता है !
इसप्रकार के विरूध्द आहार के सेवन से शरीर के धातु और दोष असंतुलित हो जाते है, परिणामस्वरूप अनेक प्रकार के रोग उत्पन्न हो जाते है ! अत: इन सबका विचार करके ही खाद्य पदार्थो का सेवन करना चाहिए ! 







8:34 AM
3/27/2015
+91 91 75 910252
रमेश जोशी महाराज गौसेवक
दुनिया के सबसे बड़े 7 डाक्टर
1- सुरज की किरणें
2- रोजाना रात 6/8 घंटे निंद
3- शुध्द शाकाहारी भोजन
4- हररोज व्यायाम.
5- खुदपर विश्वास
6- पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन
7- अच्छे दोस्त
इन 7 बातोंको हमेशा अपने पास रखीये
सभी दर्द दुर हो जायेंगे l
12:23 PM
3/29/2015
+91 94 61 497321कर्ण प्रताप सिंह
सिर की खुश्की (Dryness of scalp)
परिचय:-
इस रोग के कारण सिर में रूसी हो जाती है जिसके कारण सिर में खुजली होने लगती है।
सिर में खुश्की होने का कारण-
सिर की सही तरीके से सफाई न करने के कारण सिर में गंदगी भर जाती है जिसके कारण सिर में खुश्की पैदा हो जाती है।
सिर में खुश्की होने पर प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार-
गुड़हल के फूल तथा पोदीने की पत्तियों को आपस में पीसकर इसमें थोड़ा सा पानी मिलाकर लेप बना लें। इस लेप को सप्ताह में कम से कम 2 बार आधे घण्टे के लिए सिर पर लगाना चाहिए ऐसा करने से बालों के कई प्रकार के रोग ठीक हो जाते हैं तथा सिर की खुश्की भी खत्म हो जाती है।
सिर की खुश्की को दूर करने के लिए चुकन्दर के पत्तों का लगभग 80 मिलीलीटर रस सरसों के 150 मिलीलीटर तेल में मिलाकर आग पर पकाएं। जब पत्तों का रस सूख जाए तो इसे आग पर से उतार लें और ठंडा करके छानकर बोतल में भर लें। इस तेल से प्रतिदिन मालिश करने से रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
सिर की खुश्की को दूर करने के लिए आंवले के चूर्ण को नींबू के रस में मिलाकर सिर में लगाना चाहिए।
सिर की खुश्की तथा बालों के कई प्रकार के रोगों को दूर करने के लिए कई प्रकार के योगासन है जो इस प्रकार हैं- (सर्वांगासन, मत्स्यासन, शवासन तथा योगनिद्रा)
सिर की खुश्की को दूर करने के लिए 1 लीटर पानी में 1 चम्मच चोकर तथा साबूदाना मिलाकर कुछ देर तक उबालना चाहिए। इसके बाद इस पानी को ठंडा करके दिन में 2 बार सिर को अच्छी तरह से धोना चाहिए। इसके बाद गहरे रंग की बोतल के सूर्यतप्त तेल से सिर की मालिश करने से सिर की खुश्की दूर हो जाती है।
सिर की खुश्की को ठीक करने के लिए सबसे पहले रोगी को अपने पेट की सफाई करनी चाहिए और इसके बाद इस रोग का उपचार करना चाहिए।
सिर की खुश्की से पीड़ित रोगी को कुछ दिनों तक चोकर युक्त आटे की रोटी, सब्जी, सलाद तथा फल और दूध का सेवन करके अपने शरीर के खून को शुद्ध करना चाहिए और इसके बाद इस रोग का उपचार करना चाहिए
1:00 AM
मोतियाबिंद से बचाव और उपचार
जब आँख के लैंस की पारदर्शिता हल्की या समाप्त होने लगती है धुंधला दिखने लगता है तो उसे मोतियाबिंद कहते है । इस रोग में आँखों की काली पुतलियों में सफ़ेद मोती जैसा बिंदु उत्पन्न होता है जिससे व्यक्ति की आँखों की देखने की क्षमता कम हो जाती है ज्यादातर यह रोग 40 वर्ष के बाद होता है। मोतियाबिंद उम्र , मधुमेह, विटामिन या प्रोटीन की कमी , संक्रमण, सूजन या किसी चोट की वजह से भी सकता है ।
* मोतियाबिंद से बचाव के लिए सुबह जागने के बाद मुंह में ठंडा पानी भरकर पूरी आँखें खोलकर आंखों पर पानी के 8-10 बार छींटे मारें।
* 1 चम्मच त्रिफला चूर्ण, आधा चम्मच देसी घी और 1 चम्मच शहद को मिला लें। इसे रोज सुबह खाली पेट ले। इससे मोतियाबिंद के साथ-साथ आंखों की कई दूसरी बीमारियों से भी बचाव होता है।
* मोतियाबिंद से बचने और आँखों की रौशनी तेज करने लिए प्रतिदिन गाजर, संतरे, दूध और घी का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें।
* एक बूंद प्याज का रस और एक बूंद शहद मिलाकर इसे काजल की तरह रोजाना आंख में लगाएं। आँखों की समस्या शीघ्र ही दूर होगी।
* एक चम्मच घी, दो काली मिर्च और थोड़ी-सी मिश्री मिलाकर दिन में तीन बार इसका सेवन करें ।
* सौंफ और धनिया को बराबर मात्रा में लेकर उसमें हल्की भुनी हुई भूरी चीनी मिलाएं इसको एक एक चम्मच सुबह शाम सेवन करने से भी बहुत लाभ मिलता है।
* 6 बादाम की गिरी और 6 दाने साबुत काली मिर्च पीसकर मिश्री के साथ सुबह पानी के साथ लेने पर भी मोतियाबिंद में लाभ मिलता है।
* आँखोँ की तकलीफ में गाय के दूध का नियमित रूप से सेवन करना चाहिए ।
* गाजर, पालक, आंवलें के रस का सेवन करने से मोतियाबिंद 2-3 महीने में कटकर ख़त्म हो जाता है ।
* एक चम्मच पिसा हुआ धनिया एक कप पानी में उबाल कर छान लें ठंडा होने पर सुबह शाम आँखों में डाले इससे भी मोतियाबिंद में आराम मिलता है ।
* हल्दी मोतियाबिंद होने से रोकती है। हल्दी में करक्युमिन नामक रसायन होता है जो रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाता है और साइटोकाइन्स तथा एंजाइम्स को नियंत्रित करता है।इसलिए हल्दी का अधिक से अधिक सेवन करना चाहिए।
* आंखों में मोतियाबिंद और रतौंधी हो जाने पर नीम के तेल को सलाई से आंखों में अंजन की तरह से लगाएं
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