Sunday, April 19, 2015

Rajiv Dixit Research

  
 💠 गर्म पानी के फायदे 💠 ■■■■■■■■■■■■■■■■■ 1⃣ अगर आप स्किन प्रॉब्लम्स से परेशान हैं या ग्लोइंग स्किन के लिए तरह-तरह के कॉस्मेटिक्स यूज करके थक चूके हैं तो रोजाना एक गिलास गर्म पानी पीना शुरू कर दें। आपकी स्किन प्रॉब्लम फ्री हो जाएगी व ग्लो करने लगेगी। ■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■ 2⃣ लड़कियों को पीरियड्स के दौरान अगर पेट दर्द हो तो ऐसे में एक गिलास गुनगुना पानी पीने से राहत मिलती है। दरअसल इस दौरान होने वाले पैन में मसल्स में जो खिंचाव होता है उसे गर्म पानी रिलैक्स कर देता है। ■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■ 3⃣ गर्म पानी पीने से शरीर के विषैले तत्व बाहर हो जाते हैं। सुबह खाली पेट व रात्रि को खाने के बाद पानी पीने से पाचन संबंधी दिक्कते खत्म हो जाती है व कब्ज और गैस जैसी समस्याएं परेशान नहीं करती हैं। ■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■ 4⃣ भूख बढ़ाने में भी एक गिलास गर्म पानी बहुत उपयोगी है। एक गिलास गर्म पानी में एक नींबू का रस और काली मिर्च व नमक डालकर पीएं। इससे पेट का भारीपन कुछ ही समय में दूर हो जाएगा। ■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■ 5⃣ खाली पेट गर्म पानी पीने से मूत्र से संबंधित रोग दूर हो जाते हैं। दिल की जलन कम हो जाती है। वात से उत्पन्न रोगों में गर्म पानी अमृत समान फायदेमंद हैं। ■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■ 6⃣ गर्म पानी के नियमित सेवन से ब्लड सर्कुलेशन भी तेज होता है। दरअसल गर्म पानी पीने से शरीर का तापमान बढ़ता है। पसीने के माध्यम से शरीर की सारे जहरीले तत्व बाहर हो जाते हैं। ■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■ 7⃣ बुखार में प्यास लगने पर मरीज को ठंडा पानी नहीं पीना चाहिए। गर्म पानी ही पीना चाहिए बुखार में गर्म पानी अधिक लाभदायक होता है। ■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■ 8⃣ यदि शरीर के किसी हिस्से में गैस के कारण दर्द हो रहा हो तो एक गिलास गर्म पानी पीने से गैस बाहर हो जाती है। ■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■ 9⃣ अधिकांश पेट की बीमारियां दूषित जल से होती हैं यदि पानी को गर्म कर फिर ठंडा कर पीया जाए तो जो पेट की कई अधिकांश बीमारियां पनपने ही नहीं पाएंगी। ■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■ 🔟 गर्म पानी पीना बहुत उपयोगी रहता है इससे शक्ति का संचार होता है। इससे कफ और सर्दी संबंधी रोग बहुत जल्दी दूर हो जाते हैं। ■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■ 1⃣1⃣ दमा ,हिचकी ,खराश आदि रोगों में और तले भुने पदार्थों के सेवन के बाद गर्म पानी पीना बहुत लाभदायक होता है। ■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■ 1⃣2⃣ सुबह खाली पेट एक गिलास गर्म पानी में एक नींबू मिलाकर पीने से शरीर को विटामिन सी मिलता है। गर्म पानी व नींबू का कॉम्बिनेशन शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करता है।साथ ही पी.एच. का स्तर भी सही बना रहता है। ■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■ 1⃣3⃣ रोजाना एक गिलास गर्म पानी सिर के सेल्स के लिए एक गजब के टॉनिक का काम करता है। सिर के स्केल्प को हाइड्रेट करता है जिससे स्केल्प ड्राय होने की प्रॉब्लम खत्म हो जाती है। ■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■ 1⃣4⃣ वजन घटाने में भी गर्म पानी बहुत मददगार होता है। खाने के एक घंटे बाद गर्म पानी पीने से मेटॉबालिम्म बढ़ता है। यदि गर्म पानी में थोड़ा नींबू व कुछ बूंदे शहद की मिला ली जाएं तो इससे बॉडी स्लिम हो जाती है। ■■■■■■■■■■■■■■■■■■ 1⃣5⃣ हमेशा जवान दिखते रहने की चाहत रखने वाले लोगों के लिए गर्म पानी एक बेहतरीन औषधि का काम करता है। अगर अपने दोस्तो से प्यार है तो सभी दोस्तो को सेन्ड करे वरना ये मेसेज आपके लिये फिजूल है ■■Dr.Bharat oswal






सफेद बालों को काला करने के घरेलू नुस्खे वर्तमान समय में भाग दौड़ भरी जिंदगी में, बालों की ठीक से देखभाल न हो पाने और प्रदूषण के कारणहमारे बाल असमय ही सफेद हो जाते है।हालांकि बाल तनाव, प्रदूषण कोई बीमारी या‍ फिर अनुवांशिकता के कारण से भी सफेद हो सकते हैं।बालों को कलर करना इस समस्या का कोई उपचार नहीं हैं। लेकिन आप कुछ घरेलू उपचार आजमा अपने बालों को सफेद होने से अवश्य ही रोक सकते हैं। आइए हम कुछ ऐसे ही आसान घरेलू उपचार बता रहे है जिन्हे आजमा कर आप अपने सफेद बालों को पुन: काला बना पाएंगे। *कुछ दिनों तक, नहाने से 1/2 घंटा पहले रोजाना सिर में प्याज का पेस्ट लगाएं। इससे बाल काले होने लगेंगे। *सप्ताह में कम से कम 3 दिन दस मिनट का कच्चे पपीता का पेस्ट सिर में लगाएं। इससे बाल नहीं झड़ेंगे और डेंड्रफ भी नहीं होगी और बाल काले भी होने लगेंगे । *भृंगराज और अश्वगंधा की जड़ें बालों के लिए वरदान मानी जाती हैं। इनका पेस्ट नारियल के तेल के साथ बालों की जड़ों में लगाएं और 1 घंटे बाद गुनगुने पानी से अच्छीं तरह से बाल धो लें। इससे भी बाल काले होते है। *नीबू के रस में आंवला पाउडर मिलाकर उसे सिर पर लगाने से भी सफेद बाल काले हो जाते हैं। *प्रतिदिन शुद्ध घी से सिर की मालिश करके भी सफेद बालों को काला किया जा सकता है । *अदरक को कद्दूकस कर शहद के रस में मिला लें। इसे बालों पर कम से कम सप्ताह में दो बार नियमित रूप से लगाएं। बालों का सफ़ेद होना कम हो जाएगा। *दही के साथ टमाटर को पीस लें। उसमें थोड़ा-सा नींबू रस और नीलगिरी का तेल मिलाएं। इससे सिर की मालिश सप्ताह में दो बार करें। बाल लंबी उम्र तक काले और घने बने रहेंगे। *1/2 कप नारियल तेल या जैतून के तेल को हल्का गर्म करें। इसमें 4 ग्राम कर्पूर मिला कर इस तेल से मालिश करें। इसकी मालिश सप्ताह में एक बार जरूर करनी चाहिए। कुछ ही समय में रूसी खत्म हो जाएगी, बाल भी क





कैसा भी बवासीर हो---- * 15 ग्राम काले तिल पिसकर, 10-15 ग्राम मख्खन के साथ मिलाकर सुबह सुबह खा लो । कैसा भी बवासीर हो मिट जाता है । * जिनको बवासीर है, शौच वाली जगह से जिनको खून आता है, वे २ नींबू का रस निकालकर, छान लें और एनिमा के साधन से शौच वाली जगह से एनिमा द्वारा नींबू का रस लें और १० मिनट सिकोड़ कर सोये रहें । इतने में वो नींबू गर्मी खींच लेगा और शौच होगा । हफ्ते में ३-४ बार करें.......कैसा भी बवासीर हो......... नीम के पके हुए फल को छाया में सुखाकर इसके फल का चूर्ण बना लें। 5 ग्राम चूर्ण सुबह जल के साथ खाने से बवासीर रोग ठीक होता है। लगभग 50 मिलीलीटर नीम का तेल, कच्ची फिटकरी 3 ग्राम, चौकिया सुहागा 3 ग्राम को बारीक पीस लें। शौच के बाद इस लेप को उंगली से गुदा के भीतर तक लगाने से कुछ ही दिनों में बवासीर के मस्से मिट जाते हैं। नीम के बीज, बकायन की सूखी गिरी, छोटी हरड़, शुद्ध रसौत 50-50 ग्राम, घी में भूनी हींग 30 ग्राम को बारीक पीसकर चूर्ण बनाकर उसमें 50 ग्राम बीज निकली हुई मुनक्का को घोंटकर छोटी- छोटी गोलियां बना लें, 1 से 4 गोली को दिन में 2 बार बकरी के दूध के साथ या ताजे लेने से बवासीर में लाभ मिलता हैं, और खूनी बवासीर में खून का गिरना बन्द हो जाता है। नीम की गिरी का तेल 2-5 बूंद तक शक्कर (चीनी) के साथ खाने से या कैप्सूल में भर कर निगलने से लाभ मिलता है। इसके सेवन के समय केवल दूध और भात का प्रयोग करें। नीम के बीज की गिरी, एलुआ और रसौत को बराबर भाग में कूटकर झड़बेरी जैसी गोंलियां बनाकर रोजाना सुबह 1-1 गोली नीम के रस के साथ बवासीर में लेने से आराम मिलता है। नीम के बीजों की गिरी 100 ग्राम और नीम के पेड़ की छाल 200 ग्राम को पीसकर 1-1 ग्राम की गोलियां बनाकर 4-4 गोली दिन में 4 बार 7 दिन तक खिलाने से तथा नीम के काढ़े से मस्सों को धोने से या नीम के पत्तों की लुगदी को मस्सों पर बांधने से लाभ मिलता है। 100 ग्राम सूखी नीम की निबौली 50 मिलीलीटर तिल के तेल में तलकर पीस लें, बाकी बचे तेल में 6 ग्राम मोम, 1 ग्राम फूला हुआ नीला थोथा मिलाकर मलहम या लेप बनाकर दिन में 2 से 3 बार मस्सों पर लगाने से मस्सें दूर हो जातें हैं। फिटकरी का फूला 2 ग्राम और सोना गेरू 3 ग्राम, नीम के बीज की गिरी 20 ग्राम में घी या मक्खन मिलाकर या गिरी का तेल मिलाकर घोट लें, इसे मस्सों पर लगाने से दर्द तुरन्त दूर होता हैं और खून का बहना बन्द होता है। 50 ग्राम कपूर, नीम के बीज की गिरी 50 ग्राम को दोनों का तेल निकालकर थोड़ी- सी मात्रा में मस्सों पर लगाने से मस्सें सूखने लगते हैं। नीम की गिरी, रसौत, कपूर व सोना गेरू को पानी पीसकर लेप करें या इस लेप को एरण्ड के तेल में घोंटकर मलहम (लेप) करने से मस्से सूख जाते हैं। नीम के पेड़ की 21 पत्तियों को भिगोई हुई मूंग की दाल के साथ पीसकर, बिना मसाला डालें, घी में पकाकर 21 दिन तक खाने से और खाने में छाछ और अधिक भूख लगने पर भात खाने से बवासीर में लाभ हो जाता है। ध्यान रहे कि नमक का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए। नीम के बीजों को तेल में तलकर, उसी में खूब बारीक पीस लें। इसके बाद फुलाया हुआ तूतिया डालकर मस्सों पर लेप करना चाहिए। पकी नीम की निबौंली के रस में 6 ग्राम गुड़ को मिलाकर रोजाना सुबह सात दिन तक खाने से बवासीर नष्ट हो जाता है।







आयुर्वेद के अनुसार विरूध्दाहार-                        (जिन पदार्थो के साथ-साथ सेवन से रोग उत्पन्न होने की सम्भावना होती है, उनका विवरण)..............                आयुर्वेदानुसार जिस प्रकार पथ्य या हितकारी आहार के सेवन से स्वास्थ्य की रक्षा होती है
8:34 AM
उसीप्रकार अपथ्य या अहितकारी आहार से स्वास्थ्य का नाश होता है ! कुछ खाद्य-पदार्थ प्रकृती से ही दोषों का प्रकोप करने वाले,रोग कारक,भारी आदि होने से अपथ्य होते है! लेकिन जब इन्ही पदार्थो को किसी अन्य खाद्य-पदार्थ के साथ लिया जाए अथवा किसी विशेष समय या किसी विशेष वस्तु मे पका कर सेवन किया जाए, तो ये लाभ के स्थान पर हानी पहुँचाते है,ये ही विरूध्दाहार कहलाते है !
8:34 AM
ये विरूध्दाहार अनेक प्रकार के होते है, जैसे-                     🔹दुध के साथ - दही, नमक,मुली,मुली के पत्ते, अन्य कच्चे सलाद, सहिजन,इमली,खरबुजा, बेलफल,निंबू,करौंदा,जामुन,अनार,आँवला,गुड,तिलकुट,कुलथी,उडद,मोठ,सत्तु,तेल तथा अन्य प्रकार के खट्टे फल या खटाई,मछली आदि का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकर है !
8:34 AM
🔹दही के साथ- खीर,दुध,पनीर,गर्म पदार्थ, गर्म भोजन,खीरा,खरबुजा, ताडफल आदि का सेवन विरूध्दाहार है!
🔹खीर के साथ- कटहल, खटाई(दही,निंबु,आदि) सत्तु, शराब आदि का सद वन विरूध्दाहार है !
🔹शहद के साथ- घी(समान मात्रा मे) वर्षा का जल, तेल, अंगुर, कमल का बीज, मुली,ज्यादा गर्म जल,गर्म दुध या अन्य गर्म पदार्थ! शहद को गर्म करके सेवन करना निषिध्द है !
🔹शीतल जल के साथ - घी तेल,तरबुज,अमरूद, खीरा,मुंगफली आदि का सेवन विरूध्दाहार है !
🔹गर्म जल या गर्म पेय के साथ - शहद ,कुल्फी,आईसक्रिम, व अन्य शितल पदार्थ का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकर है !
🔹खरबूजा के साथ - लहसुन,दही, दुध, मुली के पत्ते,पानी आदि का सेवन अहितकर है !
🔹चावल के साथ सिरके का  सेवन अहितकर है !
🔹उडद की दाल के साथ - मुली का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानीकर है !
🔹केले के साथ - तक्र(मट्ठा) का सेवन विरूध्दाहार है !
🔹घी- कॉंसे के बर्तन मे दस दिन या अधिक समय तक रखा हुवा घी विषाक्त हो जाता है !
इसप्रकार के विरूध्द आहार के सेवन से शरीर के धातु और दोष असंतुलित हो जाते है, परिणामस्वरूप अनेक प्रकार के रोग उत्पन्न हो जाते है ! अत: इन सबका विचार करके ही खाद्य पदार्थो का सेवन करना चाहिए ! 🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸
8:34 AM
3/27/2015

+91 91 75 910252🌺रमेश जोशी महाराज गौसेवक🌺

दुनिया के सबसे बड़े 7 डाक्टर
1- सुरज की किरणें
2- रोजाना रात 6/8 घंटे निंद
3- शुध्द शाकाहारी भोजन
4- हररोज व्यायाम.
5- खुदपर विश्वास
6- पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन
7- अच्छे दोस्त
इन 7 बातोंको हमेशा अपने पास रखीये
सभी दर्द दुर हो जायेंगे l
12:23 PM
3/29/2015

+91 94 61 497321कर्ण प्रताप सिंह

सिर की खुश्की (Dryness of scalp)

परिचय:-

इस रोग के कारण सिर में रूसी हो जाती है जिसके कारण सिर में खुजली होने लगती है।
सिर में खुश्की होने का कारण-

सिर की सही तरीके से सफाई न करने के कारण सिर में गंदगी भर जाती है जिसके कारण सिर में खुश्की पैदा हो जाती है।

सिर में खुश्की होने पर प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार-

गुड़हल के फूल तथा पोदीने की पत्तियों को आपस में पीसकर इसमें थोड़ा सा पानी मिलाकर लेप बना लें। इस लेप को सप्ताह में कम से कम 2 बार आधे घण्टे के लिए सिर पर लगाना चाहिए ऐसा करने से बालों के कई प्रकार के रोग ठीक हो जाते हैं तथा सिर की खुश्की भी खत्म हो जाती है।
सिर की खुश्की को दूर करने के लिए चुकन्दर के पत्तों का लगभग 80 मिलीलीटर रस सरसों के 150 मिलीलीटर तेल में मिलाकर आग पर पकाएं। जब पत्तों का रस सूख जाए तो इसे आग पर से उतार लें और ठंडा करके छानकर बोतल में भर लें। इस तेल से प्रतिदिन मालिश करने से रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
सिर की खुश्की को दूर करने के लिए आंवले के चूर्ण को नींबू के रस में मिलाकर सिर में लगाना चाहिए।
सिर की खुश्की तथा बालों के कई प्रकार के रोगों को दूर करने के लिए कई प्रकार के योगासन है जो इस प्रकार हैं- (सर्वांगासन, मत्स्यासन, शवासन तथा योगनिद्रा)
सिर की खुश्की को दूर करने के लिए 1 लीटर पानी में 1 चम्मच चोकर तथा साबूदाना मिलाकर कुछ देर तक उबालना चाहिए। इसके बाद इस पानी को ठंडा करके दिन में 2 बार सिर को अच्छी तरह से धोना चाहिए। इसके बाद गहरे रंग की बोतल के सूर्यतप्त तेल से सिर की मालिश करने से सिर की खुश्की दूर हो जाती है।
सिर की खुश्की को ठीक करने के लिए सबसे पहले रोगी को अपने पेट की सफाई करनी चाहिए और इसके बाद इस रोग का उपचार करना चाहिए।
सिर की खुश्की से पीड़ित रोगी को कुछ दिनों तक चोकर युक्त आटे की रोटी, सब्जी, सलाद तथा फल और दूध का सेवन करके अपने शरीर के खून को शुद्ध करना चाहिए और इसके बाद इस रोग का उपचार करना चाहिए
1:00 AM
मोतियाबिंद से बचाव और उपचार

जब आँख के लैंस की पारदर्शिता हल्की या समाप्त होने लगती है धुंधला दिखने लगता है तो उसे मोतियाबिंद कहते है । इस रोग में आँखों की काली पुतलियों में सफ़ेद मोती जैसा बिंदु उत्पन्न होता है जिससे व्यक्ति की आँखों की देखने की क्षमता कम हो जाती है ज्यादातर यह रोग 40 वर्ष के बाद होता है। मोतियाबिंद उम्र , मधुमेह, विटामिन या प्रोटीन की कमी , संक्रमण, सूजन या किसी चोट की वजह से भी सकता है ।

* मोतियाबिंद से बचाव के लिए सुबह जागने के बाद मुंह में ठंडा पानी भरकर पूरी आँखें खोलकर आंखों पर पानी के 8-10 बार छींटे मारें।

* 1 चम्मच त्रिफला चूर्ण, आधा चम्मच देसी घी और 1 चम्मच शहद को मिला लें। इसे रोज सुबह खाली पेट ले। इससे मोतियाबिंद के साथ-साथ आंखों की कई दूसरी बीमारियों से भी बचाव होता है।

* मोतियाबिंद से बचने और आँखों की रौशनी तेज करने लिए प्रतिदिन गाजर, संतरे, दूध और घी का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें।

* एक बूंद प्याज का रस और एक बूंद शहद मिलाकर इसे काजल की तरह रोजाना आंख में लगाएं। आँखों की समस्या शीघ्र ही दूर होगी।

* एक चम्मच घी, दो काली मिर्च और थोड़ी-सी मिश्री मिलाकर दिन में तीन बार इसका सेवन करें ।

* सौंफ और धनिया को बराबर मात्रा में लेकर उसमें हल्की भुनी हुई भूरी चीनी मिलाएं इसको एक एक चम्मच सुबह शाम सेवन करने से भी बहुत लाभ मिलता है।

* 6 बादाम की गिरी और 6 दाने साबुत काली मिर्च पीसकर मिश्री के साथ सुबह पानी के साथ लेने पर भी मोतियाबिंद में लाभ मिलता है।

* आँखोँ की तकलीफ में गाय के दूध का नियमित रूप से सेवन करना चाहिए ।

* गाजर, पालक, आंवलें के रस का सेवन करने से मोतियाबिंद 2-3 महीने में कटकर ख़त्म हो जाता है ।

* एक चम्मच पिसा हुआ धनिया एक कप पानी में उबाल कर छान लें ठंडा होने पर सुबह शाम आँखों में डाले इससे भी मोतियाबिंद में आराम मिलता है ।

* हल्दी मोतियाबिंद होने से रोकती है। हल्दी में करक्युमिन नामक रसायन होता है जो रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाता है और साइटोकाइन्स तथा एंजाइम्स को नियंत्रित करता है।इसलिए हल्दी का अधिक से अधिक सेवन करना चाहिए।

* आंखों में मोतियाबिंद और रतौंधी हो जाने पर नीम के तेल को सलाई से आंखों में अंजन की तरह से लगाएं

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Food habits in Ayurved

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